महामानव संभाजी भिड़े की असलियत जानें

डा. राधेश्याम द्विवेदी
जाने-माने लोकप्रिय नेता:- संभाजी भिड़े ‘गुरूजी’ महाराष्ट्र के जाने-माने लोकप्रिय नेता हैं। संत विनोवा भावे, महात्मा गांधी जय प्रकाशनारायण नरेन्द्रदेव लोहिया तथा अन्ना हजारे की तरह वे एक सर्वोदयी जननेता हैं। हिंदुत्व के लिये उनका योगदान अवर्णनीय है। वह मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी के कट्टर अनुयायी हैं और महाराष्ट्र की वर्तमान युवा जनसंख्या उन्हें अपना आदर्श मानती है और भिड़े के एक इशारा पर 10 लाख युवा एक जगह जमा हो सकते हैं। आपने प्रचारक के तौर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में भी अपनी सेवायें दी हैं। 1980 में आपने स्वेच्छा से संघ से मुक्त होकर शिव प्रतिष्ठान नामक एक स्वयंसेवक संगठन का निर्माण किया। वह उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के कई अन्य नेता भी अन्तः हृदय से पसंद करते हैं। संभाजी भिडे का ऑर्डर पीएम से लेकर महाराष्ट्र के सीएम तक मानते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने सांगली में एक चुनाव रैली कर रहे थे। उन्होने मोदी जी की सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए उनसे मुलाकात की थी। रैली में पीएम मोदी ने कहा भी था कि वे संभाजी भिडे गुरूजी के बुलावे पर नहीं बल्कि उनका आदेश मानकर वहां आए हैं। ऐसे ही एक बार महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने भी संभाजी भिडे गुरूजी से मिलने के लिए फ्लाइट को रूकवा दिया था।
गुरुजी का परोपकारी जीवन:- लोग उन्हे गुरुजी ही कहकर सम्बोधित करते हैं। गुरूजी की उम्र 85 वर्ष है और उनका असली नाम मनोहर है। उनका पैतृक गांव सतारा जिले का सबनिसवाड़ी है। सांगली में एक जमाने में आरएसएस के बड़े कार्यकर्ता बाबाराव भिड़े थे। संभाजी उनके भतीजे हैं । वह 1980 के दशक में खुद आरएसएस में थे। संभाजी भिडे ने वहां आरएसएस का संगठन स्तर पर काम शुरू किया था लेकिन कुछ विवाद की वजह से उनका तबादला कर दिया गया। उन्होंने वह तबादला स्वीकार नहीं किया और सांगली में एक समानांतर आरएसएस का गठन किया। विजयदशमी पर होने वाली आरएसएस की रैली के जवाब में संभाजी ने दुर्गा माता दौड़ शुरू की थी। बाद में जब रामजन्मभूमि आंदोलन शुरू हुआ तब इनके संगठन को ज्यादा समर्थन मिलना शुरू हुआ। हिंदुत्ववादी शक्तियां जिस तरह से छत्रपति शिवाजी और छत्रपति संभाजी का इतिहास पेश करती हैं उसी तरीके से भिड़े भी पेश करते हैं। उनके संगठन का उद्देश्य बताया गया है कि उनका लक्ष्य हिंदुओं को शिवाजी और संभाजी के ब्लड ग्रुप का बनाना है। सांगली जिले से भिडे के संगठन के दो कार्यकर्ता हर रोज रायगढ़ किले में शिवाजी की पूजा के लिए जाते हैं। रायगढ़ काफिले पर इन्होंने सोने का सिंहासन बनाने का संकल्प किया है जिसमें करीब 144 किलोग्राम सोना इस्तेमाल होगा. धर्मवीर संभाजी महाराज बलिदान मास, दुर्गा माता दौड़, धारातीर्थ यात्रा ऐसे कार्यक्रम यह संगठन आयोजन करता है। 2009 में इस संगठन ने दूसरे संगठनों के साथ मिलकर जोधा-अकबर फिल्म का विरोध किया था. जिसके बाद सांगली, सतारा, कोल्हापुर जिलों में काफी हिंसा हुई थी। पंढरपुर के विट्ठल की यात्रा को महाराष्ट्र में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। पुणे में जून 2017 में इन पर इस यात्रा को अवरुद्ध करने का आरोप लगा था।
सादाजीवन उच्च विचार:-भिडे काफी साधारण तरीके से जीवन बिताते हैं. उनके खाने और रहने का इंतजाम उनके कार्यकर्ताओं के जिम्मे रहता है। वह सफेद रंग का धोती-कुर्ता पहनते हैं और चप्पल नहीं पहनते हैं. पब्लिक में इतनी लोकप्रियता होने के बाद भी वे कभी कार में नहीं चलते सांबाजी भिड़े ने कभी कार में यात्रा नहीं की और ना ही कभी आराम करने के लिए किसी जगह पर रुके। वह हमेशा घूम-घूमकर अपने अनुयायियों से मिलकर मुद्दों पर बातचीत करते रहते हैं। वह साइकिल से ही सफर करते हैं, और वे चप्पल भी नहीं पहनते हैं। उनका खुद का घर भी नहीं है। जनता में लोकप्रिय होने के बाद भी संभाजी राजनीति से अलग हैं। कई बार उन्हें राजनीतिक पार्टियों की ओर से ऑफर आए लेकिन वे हिन्दुत्व लीडर रहना ही सही समझा। वे कभी पॉलिटिक्स में आना भी नहीं चाहते।
अटॉमिक साइंस में की है मास्टर्स एक मात्र भारतीय वैज्ञानिक :- देखने में एकदम साधारण से दिखने वाले संभाजी भिड़े ने प्रतिष्ठित पुणे विश्वविद्यालय से अटॉमिक साइंस में एमएससी गोल्ड मेडल के साथ की है। वह पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में फिजिक्स के प्रोफेसर भी रह चुके हैं। आपके कार्य के लिये 100 से भी ज्यादा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कारों पुरुस्कृत किया जा चुका है। आपने 67 डॉक्टोरल एवं पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च कार्य किये हैं। आप नासा एवं पेंटागन के सलाहकार सद्स्यों की कमेटी के सद्स्य रह चुके हैं, ये गौरव प्राप्त करने वाले आप पहले और एक मात्र भारतीय वैज्ञानिक हैं। इतना सब होने के बावजूद भिड़े ने जीवन जनता के नाम कर दिया है। वह हमेशा नंगे पैर रहते हैं और अब तक उन्होंने खुद का घर भी नहीं बनाया है। इसके अलावा उन्होंने अपने किसी भी अनुयायी से किसी प्रकार के फंड की मांग नहीं की और ना ही किसी भी बड़ी पार्टियों से कभी फंड लिया। हाल ही में संभाजी के भिडे के समर्थकों ने संगाली पुलिस के खिलाफ उग्र आंदोलन किया गया था।
दलित राजनेता उन्हें कीचड़ में फंसा रहे:- पुणे के पास स्थित भीमा-कोरेगांव में एक जनवरी के दिन हुई हिंसा अब धीरे धीरे पूरे महाराष्ट्र में फैल चुकी है। महाराष्ट्र में फैली हिंसा के आरोप में मंगलवार को दो हिंदुवादी नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। राज्य के शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के जानेमाने नेता संभाजी भिड़े और समस्त हिंदू आघाडी के मिलिंद एकबोटे के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। भिड़े पर भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ के दौरान हिंसा फैलाने का आरोप लगा है। आजकल किसी पर भी आरोप लगा कर खुद को किनारा कर लेना भी आसान हो चूका है। भारीपा बहुजन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने शिवजगर प्रतिष्ठान के अध्यक्ष संभाजी भिडे गुरुजी और हिंदू जनजागृति समिति के अध्यक्ष मिलिंद एकबोटे के नामों का हवाला दिया, जिनके खिलाफ पुणे पुलिस ने शिकायत दर्ज की है। प्रकाश अंबेडकर ने एक साजिस के तहत यह बेतुकी मांग की, “उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए और याकूब मेमन के समान दंड दिया जाना चाहिए।” क्या देश का कानून प्रकाश जैसे लोगों के कहने पर चलेगा ? इस हिंसा को भड़काने में असल में किसका हाथ है ये तो जांच के बाद ही सामने आयेगा। मीडिया के बहकावे में आकर इनको गाली देने से पहले या इनके उपर दंगे भडकाने का स्टीकर चिपकाने से पहले इस महान देशभक्त के बारे में देश को भी जान लेना चाहिए। आज ये महापुरुष किसी मल्टीनेशनल कंपनी के लिये काम नहीं कर रहा। बल्कि गांव गांव फिरकर गरीबों की सेवा करना उनको शिक्षित करना उन्हें रोजगार दिलाना ही इनका मुख्य कार्य है। इन्होंने मां भारती की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित किया है। ये सिर्फ खादी पहनते हैं और बिना चप्पल के यात्रा करते हैं चाहे कितनी दूरी की क्यों न हो। ये मानव नहीं महामानव है, राष्ट्र के लिये अपना सब कुछ समर्पित करने वाले ऐसे महापुरुष पर दंगे भडकाने का आरोप लगाना राजनीति के रसातल में जाने के संकेत है। एसे देश के सपूत को हम सादर नमन करते हैं।

4 COMMENTS

  1. ऐसे महामानवों को खरीदा या बदला नहीं जा सकता है | उनकी अच्छाई से लोग डरते है और तभी तो लोग कुछ न कुछ षड्यंत्र करके व्यक्ति, समाज , देश में भ्रम पैदा करके , इनके त्याग को ढकना चाहते है लेकिन इस तकनीकी के युग मे ऐसा संभव नहीं होगा |
    धन्यबाद , जानकारी पूर्ण लेख के लिए |

  2. द्विवेदी जी धन्यवाद. समयोचित सुन्दर आलेख. हर्षित हूँ जानकर कि अभी भी हमारी गुरु परम्परा जीवित है. यही भारत की ऋषि परम्परा भारत को सनातनत्व देती है. शत शत नमन है ऐसे व्यक्तित्व को. बाबाराव भिडे जी महाराष्ट्र के प्रान्त संघचालक रहे थे.
    फिर से उचित परिचय कराने के लिए धन्यवाद.

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