जानिए वास्तु के अनुसार सेप्टिक टैंक कहाँ होना चाहिए ?

वर्तमान परिवेश में सेप्टिक टैंक वास्तु के अनुसार घर में होना बहुत जरुरी है। आज की इस पोस्ट में हम चर्चा करेंगे की वास्तु के अनुसार सेप्टिक टैंक क्यों और कहाँ होना चाहिए?सेप्टिक टैंक निर्माण क्यों करना चाहिए?
सबसे ख़ास बात तो यह है की घर में मल-मूत्र और अपशिष्ट पदार्थों के निर्वहन के लिए सेप्टिक टैंक बनाना बहुत जरुरी है।
जानिए कहाँ होना चाहिए वास्तु के अनुसार सेप्टिक टैंक :– 
इसमें सबसे बड़ी गलती यह कर देते है की इसे घर में कहीं पर भी बना देते है और लोग इसे जरुरी नहीं समझते। लेकिन लोग नहीं जानते की गलत दिशा और गलत स्थान पर सेप्टिक टैंक का निर्माण करने से परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। वास्तु के हिसाब से सेप्टिक टैंक मुख्य द्वार पर होना चाहिए।
वास्तु के अनुसार सेप्टिक टैंक—सेप्टिक टैंक की जरूरत कुछ दशकों पहले ही अस्तित्व में आई लेकिन आज यह हर घर की जरूरत बन गया है। सेप्टिक टैंक के निर्माण के लिए जमीन के नीचे एक गड्डा बनाया जाता है। वास्तु के अनुसार गड्डा बनाते समय किसी चीज की कमी नहीं रहनी चाहिए अन्यथा घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और साथ में अनेक तरह की समस्याएं भी आ सकती है।
 नैऋत्य कोण में सेप्टिक टैंक का गड्ढा करने से ऊंचा और भारी होने का नियम भंग हो रहा है। इस कोण में सेप्टिक टैंक होने से स्वास्थ सम्बन्धी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
इसी तरह दक्षिण-पूर्व में टैंक होने से आपके बच्चे व पत्नी परेशान हो सकते हैं। दक्षिण-पश्चिम में कमोड ( डब्ल्यू सी वॉटर क्लोसेट) होने से धन की निरंतर हानि व घर मुखिया का मानसिक तनाव में रहना मुख्य लक्षण है। 
होती है धन की हानि—

वास्तु के अनुसार नैऋत्य कोण में सेप्टिक टैंक होने से धन की भी हानि होती है। नैऋत्य कोण में सेप्टिक टैंक होने से घर, फैक्ट्री, दुकान या ऑफिस में आय से अधिक व्यय होता है।
प्रेम संबंधों में आती है कमी–नैऋत्य कोण में सेप्टिक टैंक होने से पति और पत्नी के सम्बन्धों में खटास देखा गया है। नैऋत्य कोण में सेप्टिक टैंक होने से घर में पारिवारिक जीवन दुखमय हो जाता है। 
नैऋत्य कोण में सेप्टिक टैंक होने से वैवाहिक जीवन का कोना भी दूषित होता है इसीलिए योग्य होते हुए भी घर में लड़के और लड़कियों की शादी नहीं हो पाती। 
नैऋत्य कोण में सेप्टिक टैंक होने से ऑफिस में कर्मचारियों में आपसी संबंध खराब देखे गए हैं।
वास्तु के अनुसार सेप्टिक टैंक कहाँ होना चाहिए??? सेप्टिक टैंक कहाँ बनाना चाहिए?पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के मतानुसार वास्तु के अनुसार घर का सेप्टिक टैंक का निर्माण इस तरह करना चाहिए की इसका मुहं कभी भी दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पूर्व दिशा की और ना हो। सेप्टिक टैंक के लिए सबसे सही जगह उत्तर-पश्चिम की दिशा मानी गई है।सीवेज और अवशिष्ट पदार्थों के लिए घर पर सेप्टिक टैंक का निर्माण करना बहुत महत्वपूर्ण है। वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार पर सेप्टिक टैंक का निर्माण न करें।
वास्तु के अनुसार, सेप्टिक टैंक की जरूरत कुछ दशक पहले ही अस्तित्व में आई थी, लेकिन आज यह हर घर की जरूरत बन गया है। इसके निर्माण के लिए जमीन के नीचे एक गड्ढा बनाया जाता है। वास्तु के अनुसार, इसके निर्माण में कुछ भी कमी नहीं होनी चाहिए। अन्यथा, घर में नकारात्मक ऊर्जा का निवास होता है। और कई तरह की समस्याएं भी हैं।
वास्तु के अनुसार सेप्टिक टैंक के निर्माण के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
सेप्टिक टैंक का जल निकासी पूर्व की ओर होना चाहिए। और सीवेज और अपशिष्ट पदार्थों की निकासी पश्चिम दिशा में होनी चाहिए।
सेप्टिक टैंक की लंबाई पूर्व-पश्चिम दिशा में होनी चाहिए। और चौड़ाई उत्तर-दक्षिण दिशा की ओर होनी चाहिए।
सेप्टिक टैंक को घर की मुख्य दीवार से कुछ दूरी पर बनाया जाना चाहिए। ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि बाथरूम की नाली का पाइप पश्चिम या उत्तर पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
हमेशा ध्यान रखें कि ड्रेनेज पाइप दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए। यदि गलती से इसका निर्माण दक्षिण दिशा में हो गया है तो कम से कम ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि जल निकासी पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो।
पूर्व दिशा में सेप्टिक टैंक कभी न बनाएं। यदि आप इसे पूर्व में निर्मित करते हैं, तो उत्तर-पूर्व कोण को छोड़कर और फायरिंग कोण को छोड़कर, बीच में एक टैंक बनाएं।
पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि सेप्टिक टैंक के जल की निकासी पूर्व दिशा की और हो तथा मल और अपशिष्ट पदार्थों की निकासी पश्चिम दिशा की और हो। सेप्टिक टैंक की लम्बाई पूर्व-पश्चिम दिशा की और तथा चोड़ाई उत्तर-दक्षिण दिशा की और होना सही माना जाता है। इसे घर के मुख्य दीवार से कुछ दुरी पर बनाये। इस तरह की व्यवस्था होनी चाहिए की बाथरूम की नाली का पाइप पश्चिम अथवा उत्तर-पश्चिम दिशा की और हो और रसोईघर की जल निकासी का पाइपपूर्व अथवा उत्तर की दिशा में हो।इस बात का हमेशा ध्यान रखें की जल निकासी का पाइप दक्षिण दिशा की और नहीं होना चाहिए। अगर गलती से दक्षिण दिशा में इसका निर्माण हो गया है तो कम से कम ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए की जल निकासी पूर्व अथवा उत्तर दिशा से हो।
गलत जगह सेप्टिक टैंक वास्तु दोष–
कभी भी सेप्टिक टैंक को पूर्व दिशा में नहीं बना चाहिए क्योंकि यह दिशा शुद्द और देवीय मानी जाती है और इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। इसी तरह दक्षिण-पश्चिम घर का सबसे शांत एरिया होता है जिसमे घर के लोग आराम करते है, इसलिए इस दिशा में भी सेप्टिक टैंक का निर्माण नहीं करना चाहिए अन्यथा घर में नकारात्क ऊर्जा आ सकती है, जिसके कारण बैचेनी, सिर दर्द, घबराहट, लड़ाई-झगड़े, व्यपार में नुकसान, पुलिस केस आदि हो सकते है और इसका असर घर के मालिक पर ज्यादा पड़ता है।
सेप्टिक टैंक वास्तु दोष निवारणअगर सेप्टिक टैंक गलत दिशा में बन गया हो तो क्या करें? 
वास्तुनुकूल सेप्टिक टैंक बनाने हेतु आवश्यक निर्देशः-
 1. सेप्टिक टैंक का प्रतिष्ठापन इस प्रकार किया जाना चाहिए कि इसका मुख कभी भी दक्षिण-पूर्व, दक्षिण-पश्चिम अथवा उत्तर-पूर्व दिशा की ओर न हो। 2. सेप्टिक टैंक के लिए सबसे आदर्श एवं उपयुक्त स्थिति उत्तर-पश्चिम दिशा है। 3. सेप्टिक टैंक का पृथक्करण इस प्रकार किया जाना चाहिए जिससे कि जल का निकास पूर्व दिशा की ओर हो तथा मल एवं अवशिष्ट पदार्थों का निष्कासन पश्चिम दिशा की ओर हो। 4. सेप्टिक टैंक की लम्बाई पूर्व-पश्चिम दिशा की ओर तथा चैड़ाई उत्तर-दक्षिण दिशा की ओर होनी चाहिए। 5. इसका निर्माण जमीन के लेवल में किया जाना चाहिए तथा इसे घर के मुख्य दीवार अथवा कम्पाउन्ड वाॅल से कुछ दूरी पर होना चाहिए। 6. ऐसी व्यवस्था बनाएं कि टाॅयलेट एवं स्नानागार की नाली के पाइप का निकास पश्चिम अथवा उत्तर-पश्चिम की ओर से हो। इसके विपरीत रसोईघर का जल-निकास पाइप पूर्व अथवा उत्तर की दिशा की ओर उन्मुख हो। 9. जल निकास पाइप किसी भी परिस्थिति में घर के दक्षिणी भाग में प्रतिष्ठापित नहीं होना चाहिए। यदि इस प्रकार का निर्माण अपरिहार्य कारणों से हो भी गया है तो यह अवश्य निश्चित करें कि कम से कम जल का निकास पूर्व अथवा उत्तर दिशा से हो। 10. मुख्य सीवेज (गन्दा जल/मल जल) उत्तर, पूर्व अथवा पश्चिम की ओर अवस्थित हो सकता है किन्त दक्षिण दिशा में इसकी अवस्थिति वास्तु के दृष्टिकोण से स्वीकार्य नहीं है। 11. यदि सम्पूर्ण उत्तरी भाग को 9 समान हिस्सों में विभाजित किया जाय तो सेप्टिक टैंक उत्तर-पश्चिम दिशा के तीसरे भाग में निर्मित की जानी चाहिए। 12. सेप्टिक टैंक को मुख्यतया सम्पूर्ण भूखण्ड को 9ग9 के कुल 81 ग्रिड में बांटकर सेप्टिक टैंक का स्थान निर्धारित करना चाहिए। 
संलग्न चित्र में इन 81 ग्रिड में किन दिशाओं में सेप्टिक टैंक शुभ अथवा अशुभ अथवा सम है, दर्शाया गया है। इसी चित्र के अनुरूप सेप्टिक टैंक हेतु स्थान का चयन कर निर्माण करवाना चाहिए। 
पूर्व पूर्व दिशा सबसे शुद्ध एवं दैव दिशा मानी जाती है। इधर से ही जीवनदायिनी रश्मियों एवं ऊर्जाओं का घर में प्रवेश एवं प्रवाह होता है। अतः इस दिशा को सेप्टिक टैंक के लिए निषिद्ध माना गया है क्योंकि इसकी नकारात्मक ऊर्जा के कारण इस दिशा से सकारात्मक ऊर्जा एवं लाभदायक किरणों एवं तरंगों का प्रवेश एवं प्रवाह अवरुद्ध एवं प्रभावित होगा। अतः वास्तु में इस दिशा को काफी महत्व प्रदान किया गया है तथा इसे दोषमुक्त रखने की वकालत की गई है। इस कारण से इस दिशा में सेप्टिक टैंक होना बहुत बड़ा दोष दक्षिण-पश्चिम दक्षिण-पश्चिम घर का सर्वाधिक शान्त क्षेत्र होता है। 
गृहस्वामी के शयन कक्ष के लिए यह क्षेत्र सर्वथा उपयुक्त है क्योंकि दिनभर के कार्य से थकान के उपरान्त यहां आराम एवं मानसिक शान्ति की अनुभूति होती है। इस दिशा में सेप्टिक टैंक का निर्माण होने से अत्यधिक नकारात्मक ऊर्जा का सृजन होता है जिसके कारण गृहस्वामी एवं उनकी पत्नी को घबराहट, बेचैनी, सिरदर्द एवं माइग्रेन के साथ-साथ अन्य कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 
इस दिशा में सेप्टिक टैंक होने से निम्नलिखित परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं: 1. सिरदर्द, घबराहट, बेचैनी आदि की समस्या। 2. घर के सदस्यों का स्वास्थ्य अक्सर खराब। 3. दुर्घटना का भय। 4. घर के सदस्यों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति विकसित होना। 5. पति-पत्नी के बीच लड़ाई-झगड़े, मार-पीट, मुकदमेबाजी। 6. व्यापार में नुकसान। ब्रह्मस्थान जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है ब्रह्मस्थान देवताओं का स्थान है जहां हर प्रकार के देवी-देवताओं का वास माना जाता है। यहां पर वास्तुपुरुष की नाभि मानी जाती है जो कि शरीर का सर्वाधिक मर्म स्थान है। अतः यहां पर पूजा-पाठ के अतिरिक्त किसी भी प्रकार की गतिविधि वर्जित है। वास्तु शास्त्र के अनुसार 81 ग्रिड में से एकदम मध्य के 9 ग्रिड में किसी भी प्रकार का निर्माण सर्वथा वर्जित है। अतः यहां पर सेप्टिक टैंक का निर्माण निवासियों की पूर्ण बर्बादी का द्योतक है। 

ब्रह्मस्थान में सेप्टिक टैंक होने से घर के लोगों को निम्नलिखित परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है: –1. घर में सुख, शान्ति एवं समृद्धि का पूर्ण अभाव। 2. अकारण लड़ाई-झगडे़। 3. पड़ोसियों से मुकदमेबाजी। 4. घर के किसी सदस्य की हत्या अथवा अपहरण होने की संभावना। 5. घर के लोगों के स्वास्थ्य में असामान्य उतार-चढ़ाव। 6. अकारण अपमान तथा मान-प्रतिष्ठा में कमी। 7. संतानहीनता। 8. लम्बे समय तक (वर्षों से) वास्तुदोष स्थल में निवास करने से शरीर की आण्विक (सूक्ष्म) संरचना में बदलाव आ जाता है। आधुनिक एक्यूप्रेशर के यंत्रों और आभामंडल के चित्रों की सहायता से वास्तुदोषयुक्त घर के निवासियों की जाँच करके भी उनके घर के वास्तुदोषों का पता लग सकता है। दोषयुक्त वास्तु के सुधार के साथ-साथ योगासन, प्राणायाम आदि योगाभ्यास एवं एक्यूप्रेशर के सम्मिलित प्रयास से अस्वस्थ शरीर की आण्विक संरचना को सुधारा जा सकता है।यदि किसी घर में वास्तुदोष पता नहीं हो अथवा ऐसा वास्तुदोष हो जो ठीक करना संभव न हो तो उस मकान के चारों कोनों में एक-एक कटोरी मोटा (ढेलावाला) नमक रखा जाय। प्रतिदिन कमरों में नमक के पानी का अथवा गौमूत्र (अथवा गौमूत्र से निर्मित फिनाइल) का पौंछा लगाया जाय। इससे ऋणात्मक ऊर्जाओं का प्रभाव कम हो जायेगा। जब नमक गीला हो जाये तो वह बदलते रहना आवश्यक है। वास्तु दोष प्रभावित स्थल पर देशी गाय रखने से भी वास्तुदोष का प्रभाव क्षीण होता है।
गलत स्थान पर सेप्टिक टैंक के दोष के उपाय:- 
अगर सेप्टिक टैंक गलत दिशा में बन गया है तो उसे हटाना ही सबसे सही उपाय है लेकिन आप निचे दिए गए उपायों को अपनाकर कुछ दोषों को दूर कर सकते है। जैसे–1. घर के उत्तर-पूर्व में फाउण्टेन अथवा फिश एक्वेरियम लगाएं। 2. घर के द्वार के बाहर बड़ा स्वास्तिक चिह्न बनाएं अथवा स्वास्तिक पिरामिड लगाएं। 3. द्वार पर ओम त्रिशूल लगाएं। 4. द्वार के बाहर एवं अन्दर गणेश जी के दो फोटो इस प्रकार लगाएं कि दोनों के पृष्ठ भाग एक-दूसरे से जुड़े हों। 5. घर के हर कमरे में पिरामिड रखें। 6. घर के उत्तर-पश्चिम भाग में बांस का पौधा लगाएं। 7. बीच-बीच में घर में पूजा-पाठ तथा हवन कराएं। 8. घर के उत्तरी क्षेत्र में मनी प्लान्ट लगाएं। 9. घर के उत्तरी एवं उत्तर-पश्चिमी दिशा में विन्ड चाइम लगाएं। 10. गलत स्थान में सेप्टिक टैंक हो तो उसके चारों तरफ तांबे का तार परगोला बनाकर दबा दें। तीन भागों में विभाजित किया जाता है। आदर्श रूप में जल पूर्व भाग में तथा मल एवं अवशिष्ट पश्चिमी भाग में जमा होना चाहिए। 
 यदि जगह की कमी है तथा आदर्श स्थान पर सेप्टिक टैंक का निर्माण संभव नहीं है तो सेप्टिक टैंक पश्चिमी भाग के उत्तरी कोने पर बनवाया जाना वास्तु सम्मत है। किन्तु सेप्टिक टैंक की घर के मुख्य दीवार (कम्पाउण्ड वाॅल) से दूरी कम से कम 2 फीट अवश्य होनी चाहिए। 
 सेप्टिक टैंक का निर्माण भवन में प्लिंथ लेवल से ऊपर नहीं होना चाहिए। इसका निर्माण ग्राउण्ड लेवल में करना सर्वोत्तम है। 
 भवन का गटर उत्तर, पूर्व अथवा पश्चिम में होना वास्तु सम्मत है। दक्षिण दिशा में इसकी स्थिति कदापि स्वीकार्य नहीं है। 
वैसे लोग जो भवन के ऊपरी तलों पर रहते हैं, वे इस बात का ख्याल अवश्य रखें कि जल निकास पाइप दक्षिण-पश्चिम के कोने पर कदापि न हो। यदि अपरिहार्य कारणों से हो भी तो उससे जल का रिसाव तो बिल्कुल न हो। 
 ऊपर के तलों से आने वाले पाइप दक्षिण-पश्चिम कोने पर नहीं होना चाहिए।
घर के उत्तर-पूर्व में फाउन्टेन या फिश एकेरियम लगायें।घर के बाहर बड़ा स्वस्तिक बनाये।समय-समय पर घर में पूजा-पाठ और हवन कराएँ।दरवाजे पर ॐ अथवा त्रिशूल लगाये।घर के अंदर और बाहर गणेश जी की तस्वीर लगाये।घर के हर कमरे में पिरामिड रखें।घर के उत्तरी क्षेत्र में मनी प्लांट लगायें।

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