पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है, पिछड़े वर्गों को आरक्षण देते समय इस बात का ध्यान रखा गया कि समाज में पिछड़े वर्गों के साथ सामाजिक असमानता नही है। उनमें सिर्फ शिक्षा के स्तर की कमी है, अतः उन्हें मंडल आयोग की सिफारिशों के आधार पर 27 प्रतिशत आरक्षण केन्द्र सरकार ने दिया है। पिछड़े वर्गों में क्रिमीलेयर वर्ग (मलाईदार वर्ग) को आरक्षण नही दिया जाता है। क्रिमीलेयर वर्ग में उन व्यक्तियों को माना गया है, जो आर्थिक रुप से सम्पन्न है तथा वो व्यक्ति बिना किसी की सहायता के अपने बच्चों को पढ़ा सकते है, क्रिमीलेयर की आय सीमा निर्धारण के लिए भारत सरकार ने समय-समय पर आदेश जारी किये हैं, जो निम्मानुसार है:- 8 सितम्बर 1993 को आदेश जारी किया था कि पिछड़ी जातियों में जिनकी आय 1 लाख रुपया या उससे अधिक है उसे क्रिमीलेयर माना गया, समय-समय पर महंगाई बढ़ने के साथ-साथ सरकार ने क्रिमीलेयर वर्ग की आय सीमा में भी संशोधन किया, दिनांक 9-3-2004 से क्रिमीलेयर की आय सीमा 2.50 लाख की गई, दिनांक 14-10-2008 के आदेशानुसार आय सीमा साढ़े चार लाख रुपए कर दी गई। प्रत्येक राज्य सरकारें भी उपर्युक्त क्रमानुसार आय सीमा में संशोधन करती रही है। केन्द्र सरकार ने 27 मई 2013 को क्रिमीलेयर की आय सीमा 6 लाख रुपए की। मप्र में यह आय सीमा बढ़ाई है या नही इसकी जानकारी में प्राप्त करने का प्रयास कर रहा हूं, केन्द्र सरकार ने जो आय सीमा बढ़ाई है वो नेट पर उपलब्ध है। यह लेख लिखने का मेरा उद्देश्य है क्रिमीलेयर वर्ग के बारे में समाज के व्यक्तियों को जानकारी हो, सरकार का यह कदम सही है, क्योंकि आरक्षण का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, अगर क्रिमीलेयर का बंधन नही होता तो पिछड़े वर्गों के आरक्षण का लाभ सम्पन्न वर्ग तक सीमित रहता, परंतु क्रिमीलेयर सीमा के कारण आरक्षण अंतिम व्यक्ति तक पहुंच जाएगा।
अब सीमा इतनी बढ़ा दी गयी है कि संपन्न लोग ही उसका लाभ उठा रहे हैं , व कमजोर वैसे ही वंचित है। होना तो यह चाहिए कि एक बार जो आरक्षण का लाभ एक बार ले चुका उसके आगे दूसरी पीढ़ी को यह न मिले तब तो सब लोग लाभान्वित होंगे अन्यथा अंतिम सिरे पर खड़े लोग तो लाभ ले ही नहीं पाते स, सरकार पर भी बोझ काम होगा पर यह अब इन लोगों की नज़रों में`यह अधिकार बन गया है जिसे बंद करते ही बवाल मचेगा इसलिए कोई सरकार ऐसा नहीं चाहती और अब इसे भोजन बना लिया गया है
आरक्षण एक दवाई है न कि भोजन