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कूपमंडूक विचारक हतप्रभ हैं वैश्वीकरण से - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
जगदीश्‍वर चतुर्वेदी कूपमंडूक विचारकों को वैश्वीकरण अभी तक समझ में नहीं आया है। वे यह देखने में असफल हैं कि भारत का बुनियादी आर्थिक नक्शा बदल चुका है। कूपमंडूक विचारकों में कठमुल्लापन इस कदर हावी है कि उनकी कूपमंडूकता के समाने विनलादेन भी शर्मिंदा महसूस करता है। भूमंडलीकरण और आर्थिक…