चलो गांव की ओर

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चलते है शहर छोड़ अपने गांवों की हम ओर।
यहां न मिलेगा शहरों जैसा उच्चा हमको शोर।।

मिलेगी ठंडी स्वच्छ हवा गांवों में ही हमको।
कोई भी डर न होगा प्रदूषण का यहां हमको।।

मिलेगा पूरा बिग बाजार गांवों में भी हमको।
दर्जी,मोची,लुहार सब मिलेगा यहां हमको।।

खाने की कमी नही,पेट भर कर यहां खायेंगे।
आम अनार संतरा जी भरकर हम यहां खायेंगे।।

शहरों में उद्योगों के चिमनी जहर उगल रही है।
मेरे गांव की नीम की ठंडी हवा उगल रही है।।

गांवों में गपशप के लिए चौपालो की कमी नही।
शहरों में एक दूजे से बात के लिए तैयार नहीं।।

इसलिए कहता हूं भईया,गांवों की ओर प्रस्थान करो।
शहरों में कुछ नही रक्खा,क्यो जीवन को बर्बाद करो।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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