एक पाती दिग्गी चाचा के नाम

-विपिन किशोर सिन्हा-

(अ) आदरणीय दिग्गी चाचा,
जय कामदेव की।

आगे समाचार है कि जबसे तुम्हरी और ३१ वर्षीया अमृता चाची की शादी की खबर काशी वालों को मीडिया के माध्यम से मिली है, दुनिया भर में चर्चित काशी की चुनाव-चर्चा पर विराम लग गया है। अब तो पप्पू चाय वाले की दूकान पर भी तुम्हारी ही चर्चा चल रही है। केजरीवाल के प्रचार में लगे दिल्ली से आये नौजवान अपना भविष्य खतरे में देख रहे हैं और बुजुर्ग कांग्रेसियों में गज़ब का उत्साह आ गया है। मोदी के समर्थक हमेशा की तरह अपनी भावनाओं पर नियन्त्रण तो रखे हुए हैं लेकिन चाय के साथ कचौड़ी और जिलेबी की जगह चच्ची की शहद और तुम्हारे नवरतन नमकीन पर खूब चटकारे ले रहे हैं। काशी के ६७ साल के उपर के कांग्रेसी बुढ़वों पर तो जैसे जवानी का नशा छा गया है। सभी जेन्ट्स ब्युटी पार्लर फ़ुल चल रहे हैं। कोई फ़ेसियल करा रहा है, तो कोई ब्लिचिंग। कोई थ्रेडिंग करा रहा है, तो कोई वैक्सिंग। मूंछ, दाढ़ी और बाल तो सब रंग रहे हैं। बाज़ार से गोदरेज, गार्नियर, लोरियल, काली मेंहदी – सब तरह के डाई गायब हो गये हैं। अबतक जो लाल मेंहदी से काम चलाते थे, वे भी अब ब्लैक डाई कर रहे हैं। बूढे कांग्रेसी तो बाल काला करके दिन-रात बीएचयू के सिंहद्वार से लेकर रविदास गेट तक लंकेटिंग कर रहे हैं। अमृता चच्ची बीएचयू से ही पढ़ी-लिखी हैं, इसलिये इन बुढ़वों को लंका में अपार संभावना दिखाई पड़ रही है। बीएचयू की लड़कियों की आजकल शामत आई हुई है। बेचारियां हास्टल से निकलने में भी डर रही हैं। बुढ़वे उम्र का लिहाज़ छोड़कर अब धड़ल्ले से किशोरियों को भी घूर रहे हैं।

चाचा, ई भाजपाइयन के पास कवनों काम नहीं रहता है का क्या? जब देखो, तुम्हारी ही चर्चा करते रहते हैं। आजकल चुनाव प्रचार के दौरान मोदी के लिये तो वोट मांगते ही हैं, तुम्हारी और चच्ची की आलिंगनबद्ध तस्वीर भी जनता को दिखाते चल रहे हैं। ई कवनो नींक बात नहीं है। पर्सनल लाइफ़ में इन्टरफ़ेरेन्स की तो कानून भी इज़ाज़त नहीं देता है। चुनाव आयोग से शिकायत करके इस पार्टी पर ही बैन क्यों नहीं लगवा देते? जब फूल दिखाने पर मोदी के खिलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ करवा सकते हो, तो इतने बड़े ज़ुर्म के लिये बैन से कम कोई सज़ा हो ही नहीं सकती। और सुनो चाचा, शदिया में इतना डिले काहे कर रहे हो? आनन्द प्रधनवा तुम्हारा क्या बिगाड़ लेगा? उसको पटाओ। कहीं से राज्य सभा का सदस्य बनवा दो। आपसी सहमति से तलाक की अर्ज़ी दिलवाकर जज को बालकृष्णन से फोन करा दो। दो दिन में फ़ैसला आ जायेगा। जितना डिले करोगे, भाजपइया चुनाव में उतना ही लाभ लेंगे। तुम्हारा बेटवा बहुत समझदार हो गया है। नय़ी मम्मी के स्वागत में बढ़िया स्टेटमेन्ट दिया है। इसी तरह का फ़ेवरेबुल स्टेटमेन्ट अपनी चारों बेटियों से भी दिलवा लो और ब्याह तुरत रचा लो। और कहीं से गड़बड़ी की आशंका नहीं है सिवाय भाजपाइयन के। यही तुम्हारा प्रोजेक्ट गुड़-गोबर कर सकते हैं। एक सलाह दे रहा हूं चच्चा, बहुत बेशकीमती है। ध्यान से सुनना। आरे, मैडम से कहकर इमर्जेन्सी काहे नहीं लगवा देते? जून १९७५ में ही तो तुम्हारी मदर इन्डिया ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जजमेन्ट के बाद इमर्जेन्सी लगाकर अपनी कुर्सी बचाई थी। तुम क्या समझते हो, इस मोदी की सुनामी के बाद तुम्हारी, मैडम और शहज़ादा की कुर्सी सलामत रहेगी? बिल्कुल नहीं। इमर्जेन्सी लगाना कांग्रेसियों का खानदानी पेशा है। इसमें हिचक कैसी? Everything is fair in love and war. इस समय वार भी है और लव भी। जब इमर्जेन्सी लगाकर इन्दिरा जी ने जय प्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, मोररजी देसाई, चन्द्रशेखर, चरण सिंह, राजनारायण, लाल कृष्ण आडवानी जैसे दिग्गजों को जेल में ठूंसकर बोलती बन्द कर दी, तब ये नरेन्दर मोदी, राजनाथ, अरुण जेटली, अमित शाह कवना खेत की मुरई हैं। कितना अच्छा लगेगा जब दिल्ली की खाली सड़कों पर तुम्हारी बारात निकलेगी। चच्चा, देरी मत करो। मुहुरत निकलवाओ, इमर्जेन्सी और शादी, दोनों का।

आज लंका में केशव की पान की दूकान पर बतकही हो रही थी कि तोहरी शादी में कन्यादान देने के लिये नारायण दत्त तिवारी ने शर्त रखी थी कि चच्ची, शादी के पहले उनके घर में रहेगी। होता तो ऐसा ही है। शादी के पहले सभी लड़कियां पितृगृह में ही रहती हैं। लेकिन यह बुढ़वा पुराना कांग्रेसी है। बहुते खतरनाक है। डीएनए पत्नी डॉ. उज्ज्वला शर्मा को फिर से कुछ दिनों के लिये घर से भगा देगा। अच्छा किया जो तुमने मैडम और अहमद पटेल का चुनाव कन्यादान के लिये किया है। तिलक तो भाई चढ़ाता है लेकिन पप्पू की शर्त भी मन्जूर करने लायक नहीं थी। बताओ, यह भी कोई बात है? वह कह रहा था कि शादी के पहले एक महीने तक अमृता चच्ची के साथ बुन्देलखंड की दलित बस्ती में रहकर उसके हाथ की रोटी खायेगा। तिलक चढ़ाने के लिए शशि थरुर ठीक रहेगा। लेकिन उसको साफ-साफ बता देना कि चच्ची को लेकर किसी होटल में नहीं जायेगा। उसकी दूसरी पत्नी सुनन्दा का इन्तकाल होटले में हुआ था। शादी में एक नेग लावा मिलाने का भी होता है। यह रस्म भी भाई ही करता है। अभिषेक मनु सिंघवी यह काम कर सकता है। लेकिन उसपर पैनी दृष्टि रखनी होगी। कहीं चच्ची को लेकर किसी दिन सुप्रीम कोर्ट के अपने चैंबर में न चला जाय। लेकिन चिन्ता की कोई बात नहीं। सीबीआई किस दिन काम आयेगी। दुल्हे के जूते चुराने के लिये कम से कम एक साली की भी व्यवस्था करनी पड़ेगी। अरे, वो कौन है जो एक, दो, तीन पर पर्फ़ेक्ट डान्स करती थी और जूते भी बड़ी सफ़ाई से पार करती थी? नाच-नाच के गाती भी थी – जूते ले लो, पैसे दे दो। उसका नमवा भी इसी समय भूलना था! का करें, तुम्हारी तरह हमारी भी अकल सठिया गई है। हां, याद आ गया। माधुरी दीक्षित। जूता चुराने के लिए उसी को बुला लो। “हम आपके होते हैं कौन” की तरह तुम्हारी शादी की सीडी भी हिट हो जायेगी। अगर वह किसी कारण से तैयार नहीं होती है तो डमी कैन्डिडेट के रूप में ‘आप’ की युवा नेता शाज़िया इल्मी के नाम पर भी विचार किया जा सकता है। दिल्ली के चुनाव के बाद वह खालिए बैठी है। जयमाल के समय चच्ची को बुरके में ले आना। कांग्रेसियों का क्या भरोसा? आंख से भी एके-४७ की तरह फ़ायर करते है। चच्ची को बुरके में लाने के दो फायदे होंगे – नंबर एक कि उन्हें कोई बुरी नज़र नहीं लगेगी। नंबर दो कि सेकुलरिज्म तुम्हारा पेटेन्ट हो जायेगा। लालू का एम-वाई समीकरण भी तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा। कुछ काम मौनी बाबा को भी दे देना। उनसे किसी तरह का कोई भी खतरा कभी भी नहीं रहता। पूरब में शादी के बाद मण्डप में एक विशेष बन्धन को खोलकर लड़के का पिता यानि समधी लड़की के पिता को बन्धनमुक्त करता है। इसे बन्धन-खोलाई कहते हैं। मौनी बाबा से यह काम जरुर कराना। २-जी, ३-जी, कामनवेल्थ, कोलगेट, बोफ़ोर्स, भ्रष्टाचार, महंगाई, वन्शवाद, राजतन्त्र और इटली-अमेरिका के बन्धनों से देश को भी तो मुक्त होना है। अरविन्द केजरीवलवा को भी कवनो काम दे देना, नहीं तो बिना खदी-बदी धरने के लिये जन्तर-मन्तर बुक करा लेगा। वैसे भी आजकल वह तुम्हीं लोगों का तो प्रौक्सी वार लड़ रहा है। एके-४९, मनीष शिसोदिया और आशुतोष राणा को प्रचार-प्रसार, मीडिया मैनेजमेन्ट और कार्ड बांटने का काम दे देना। यह मत भूलना की तुम्हारा सवता (अवधी में सौतेले पति के लिये यह शब्द प्रयुक्त होता है) आनन्द प्रधान भी आम आदमी पार्टी का ही नेता है।

मैं सोचता हूं – कैसी होगी वह शाम जब दिल्ली की सड़कों पर तुम्हारी बारात निकलेगी। मेरा बदन रोमान्च से भर जाता है, पांव थिरकने लगते हैं और होठों पर अनायास किसी पुरानी फ़िल्म के बोल दुबारा स्वर बन जाते हैं – दिग्गी की आयेगी बारात, रंगीली होगी रात, मगन मैं नाचूंगा …। क्या नज़ारा होगा जब मल्लिका-ए-हिन्दुस्तान शहज़ादा और शहज़ादी के साथ नृत्य करते हुए बारात के आगे-आगे चलेंगी। नारायण दत्त तिवारी पुष्प-वर्षा करेंगे, अभिषेक मनु सिंघवी और शशि थरुर बैड-बाज़ा पर विशेष धुन बजायेंगे – मेरी प्यारी बहनिया, बनी है दुल्हनिया, सजके आये हैं दिग्गी राजा, भैया राजा बजाये हैं बाज़ा…। देश भर के कांग्रेसी नेता काली जिन्स और नेहरू-एडविना माउन्ट्बेटन युगल की रंगीन तस्वीर वाली सफ़ेद टी शर्ट पहनकर बारात में डिस्को करते हुए चलेंगे। दूरदर्शन संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त सारी भाषाओं में इसका लाइव टेलिकास्ट करेगा और सारे हिन्दुस्तानी नरेगा के मज़दूरों की तरह टीवी पर आंख लगाकर जिया जुड़ायेंगे।

चच्चा। जल्दी करो। चच्ची को देखने का बहुत मनकर रहा है। तैयारी बहुत करनी है। बोलो, कब आ जाऊं? इहां हम राजी-खुशी हैं। तुम्हारा क्या पूछना – दसों ऊंगली घी में, सिर कड़ाही में।

इति शुभ।
तुम्हारा अपना ही — भतीजा बनारसी।

5 COMMENTS

  1. सिन्हा साहब ये प्रवक्ता वाले मेरी टिप्पणी डिलीट कर रहे हैं।

  2. एक बड़ा ही मौजूं sms आया है इस लेख से सम्बंधित, प्रस्तुत है:

    इधर चुनावी सरगर्मियां चरम पर हैं, उधर दिग्गी राजा रिसेप्शन के लिए “ओढ़ ली चुनरिया तेरे नाम की” पर डाँस प्रैक्टिस कर रहे हैं। और लिव इन रिलेशनशिप रह रहे बुजुर्ग योद्धा तिवारी जी “मेरा यार बना है दूल्हा और फूल खिलें है दिल के” पर पर ठुमकने की तैयारी कर रहे हैं।

    ​इससे और ज्यादा अच्छा कॉमेंट नहीं है सिन्हा साहब आपके इस के लिए मेरे पास।
    ​​

    सादर,

  3. बहुत सुन्दरवा लिखा है खत दिग्गी चचा को आप को भी बधाई अपने चचा की शादी की वाह भई वाह बनारसी बाबू

  4. sinha ji , aap badhai ke patr haen .

    bahut sundar dhang se mara hae ,

    hansi ke sath gussa bhi aaye.

    ek bar fir sadhuvad

    pradeep srivastava
    editor’ DIVYATA’
    HINDI MONTHLY
    LUCKNOW
    8604408528

    • टिपण्णी के लिए धन्यवाद. आपने पत्र में भी छापिये.

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