राम मंदिर निर्माण की जीवन यात्रा – आईये जानें

राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन 05 अगस्त 2020 को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर मोदी जी के द्वारा हो गया। इस शुभ अलौकिक कार्य को लेकर देश भर के लोगों में उत्साह की लहर है। यह सर्वविदित है कि इसी के साथ लगभग 492 वर्ष पुराने विवाद पर विराम लगा। लेकिन एक विशेष वर्ग के द्वारा इस भूमि पूजन का विरोध भी किया जा रहा है।  कुछ लोगों ने इस संबंध में धमकी भरे बयान भी दे दिए है, कि जल्द ही मंदिर के स्थान पर वापस बाबरी मस्जिद बनाई जाएगी। खुशी और तनाव दोनों तरह का माहौल देखा जा सकता है।   

05 अगस्त 2020 के दिन भगवान राम के मंदिर का जिर्णोद्वार भूमि पूजन शास्त्रानुसार विधिवत संपन्न हुआ और इसी के साथ यह दिन भारतीय इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में सदैव के लिए अंकित हो गया। ऐसा माना जाता है कि राममंदिर 1528 में बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने मंदिर को तोड़ कर मस्जिद का निर्माण कराया था। तब से लेकर आज तक राम मंदिर और बाबरी मस्जिद अनेक विवादों से होता हुआ, यहां तक पहुंचा। 492 साल की लम्बी प्रतीक्षा के बाद 5 अगस्त 2020 को यह शुभ दिन आया।

आईये जानें कब-कब, क्या-क्या हुआ?

1528 में राम मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया गया। 

1853 को इस विषय को लेकर दंगे हुए।

1859 अंग्रेंजों के आदेश पर इस स्थल के चारों ओर बाढ़ लगाई गई।

23 दिसम्बर 1949 को बाबरी मस्जिद में भगवान राम की मूर्तियां पाई जाने के बाद स्थिति तनाव पूर्ण हो गई। गुरु मकर राशिस्थ, शनि सिंह राशिस्थ थे। 

1950 कोर्ट में इसके लिए अर्जी दाखिल की गई।

1959 निर्मोही अखाड़े ने तीसरी अर्जी दाखिल की।

1961 सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मूर्तियां हताने की अर्जी दाखिल की।

1984 विश्व हिन्दु परिषद ने मंदिर निर्माण के लिये कमेटी बनाई गई। 

01  फरवरी 1986 में हिन्दुओं को पूजा करने की इजाजत मिली।

06 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद का कुछ भाग गिरा दिया गया। 

09 नवम्बर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया। 

25 मार्च 2020 भगवान राम की मूर्तियों को मन्दिर में शिफ्ट गया।   

5 अगस्त 2020 को राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन किया गया। 

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