जीवन में मुस्कुराहट के फूल खिलाते रहिए

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– ललित गर्ग –
जिन्दगी में अचानक आने वाले बदलाव या समस्या से विचलित न होने वाले ही सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हैं। महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि समस्या अथवा बाधा उत्पन्न होने पर उससे निपटा कैसे जाए? कई लोग कुछ भी संकट आने पर हाथ-पैर छोड़ देते हैं, निराश हो जाते हैं। किंकर्तव्यविमूढ़ होकर यह सोच ही नहीं पाते कि क्या करें। ऐसी परिस्थितियों में वे स्वयं के भाग्य को कोसते हैं अथवा भगवान को दोष देते है। ऐसे लोग अपने जीवन की समस्या या संकट के लिए अन्य व्यक्तियों को उत्तरदायी ठहराते हैं। समस्याओं से घबराकर एवं भयभीत होकर भागने वालों के लिये समस्याएं बढ़ती ही जाती है और जो उनसे मुकाबला करते हैं उनके लिये उजाला होता ही है। जान सलडेस ने जीवन का सत्य उजागर करते हुए कहा है कि निराशावादी हरदम बुराई ही देखता है। आशावादी की नजर अच्छी चीजों पर रहती है। निराशावादी तो अपनी फिक्र में ही कमजोर पड़ जाता है। आशावादी अपनी खुशी में परेशानी दूर कर लेता है।
सोचिए, निराशावादी सोच एवं नकारात्मकता रखने वाले के समक्ष क्या स्थिति और भी भयावह नहीं हो जायेंगी? सर्वप्रथम तो यह स्मरण रखना चाहिए कि आपकी समस्याओं के लिए कोई अन्य व्यक्ति उत्तरदायी नहीं है। शायद उस स्थिति में आप भी वही करते, जो उसने किया, इसलिए मन से समस्त दूषित व कलुषित भावनाएं हटाकर सकारात्मक ढंग से सोचना प्रारंभ कीजिए। आप ही इस संसार के ऐसे व्यक्ति नहीं है जो समस्याओं से घिरे हुए हैं। जीवन में घटने वाली घटनाओं पर हमारा वश नहीं चलता और न ही जीवन हमारी सोच के अनुरूप चलता है। यदि ऐसा हो सकता है तो शायद आज संसार में कोई भी दुखी नहीं होता। अतः संकटों को देखकर निराश नहीं होना चाहिए। इन्हीं संघर्षों तथा संकटों की आग में तपकर आपका व्यक्तित्व कुंदन बनकर निखर उठेगा और सफलता के लिये नई ऊर्जा प्राप्त होती है।
इससे आपके मन में उठने वाले नकारात्मक विचार एवं निराशा समाप्त हो जायेंगी। वैसे भी नकारात्मक एवं निराशा विचार को कभी फलने-फूलने का मौका न दें। नकारात्मक विचार आपके जीवन की खुशियां छीनने में कभी देर नहीं करता। अच्छे-अच्छे व्यक्ति भी नकारात्मक विचार पालने के कारण अपना सब कुछ खो बैठते हैं। आप जब भी कुछ सोचें, सकारात्मक ही सोचें। और, सकारात्मक तभी सोच सकते हैं जब आप प्रसन्न हों। आपके आसपास का वातावरण खुशनुमा हो और वातावरण तभी खुशनुमा हो सकता है जब आपसे दूसरे व्यक्ति प्रसन्न हो। हम कह सकते हैं कि प्रसन्नता और खुशनुमा वातावरण एक-दूसरे के पूरक हैं।
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि व्यक्ति लक्ष्यविहीन हो जाता है। उसे कुछ सुझायी ही नहीं पड़ता है कि क्या करे और क्या नहीं। वह ऊहापोह की स्थिति में रहता है। ऐसी स्थिति जीवन की प्रसन्नता को निगल जाती है। व्यक्ति चाहे युवा हो या वृद्ध- उसे अपने जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और उसके प्रति पूरी तरह समर्पित हो जाना चाहिए। इससे बौद्धिक एवं शारीरिक शक्तियों का विकास होता है। जीवन में एकाग्रता आती है। और, कुछ करने के लिए हिम्मत बनती है। जीवन में शक्ति और हिम्मत वह चीज है जो सदैव आपके दामन में खुशियों के फूल बरसाती है तथा जीवन से कटुता को निकाल कर उसमें सुगंध भर देती है।
कोई भी समस्या उत्पन्न होने पर अपना मनोबल बनाये रखें तथा मन में यह विश्वास उत्पन्न करें कि इस समस्या का भी कोई-न-कोई हल अवश्य होगा। बस, इतना विचार दृढ़ करते ही आप आशावाद से भर जायेंगे और आपको स्वयं कोई-न-कोई मार्ग नजर अवश्य आएगा। विषम परिस्थितियों में अपने घनिष्ठतम तथा विश्वसनीय मित्र, जीवनसाथी और पारिवारिक सदस्यों से दुख बांटें। इससे आपका मन हल्का होगा तथा आपको नैतिक बल भी प्राप्त होगा। स्वेट मार्डेन का मार्मिक कळान है कि मनुष्य उसी काम को ठीक तरह से कर सकता है, उसी में सफलता प्राप्त कर सकता है जिसकी सिद्धि में उसका सच्चा विश्वास है।
प्रायः देखने में आता है कि हर इंसान परिवर्तन से भयभीत होता है। कुछ लोगों को जिंदगी में अचानक आने वाले बदलाव डरा देते हैं। ऐसे लोगों के मन में द्वंद्व चलता रहता है, कुछ इस तरह के सवाल चलते रहते हैं- क्या होगा? कैसे होगा?
कई बार जीवन-संग्राम में संघर्ष करते-करते बहुत-से व्यक्ति थक-हारकर बैठ जाते हैं। उन्हें स्वयं तथा ईश्वर पर भरोसा नहीं रहता, सारा संसार सारहीन नजर आता है। ऐसी अवस्था में कई व्यक्ति तो आत्महत्या तक का रास्ता चुन लेते हैं जो कदापि उचित नहीं। सर्वप्रथम तो कोई भी समस्या उत्पन्न होने पर अपने आप तथा ईश्वर पर विश्वास रखें। सकारात्मक रूप से समस्या के विषय में विचार करें कि इसका क्या हल हो सकता है। बड़ी प्रसिद्ध कहावत है कि ‘ईश्वर उनकी सहायता करता है जो स्वयं अपनी सहायता करते हैं,’ अतः लक्ष्य-प्राप्ति के मार्ग में आयी असफलताओं से भयभीत होकर प्रयास करना न छोड़ें। ध्यान रखिए कि छोटे-छोटे कदम रखकर ही एक लंबी यात्रा की जा सकती है। धीरे-धीरे प्रयास करते हुए साधारण मानव भी विशाल पर्वतों के शिखर पर पहुंच जाते हैं।
हर रात के बाद सबेरा आता ही है और यह भी सत्य है कि रात जितनी काली और भयावह होगी, सुबह उतनी ही प्रकाशमान तथा सुहानी होगी। गर्म हवाओं के चलने से ही जल वाष्प बनकर मेघ बनता है और फिर जीवनदायिनी वर्षा के रूप में बरसता है। जीवन में आये दुख, चिंता, तनाव तथा समस्या ही मनुष्य को निरंतर कर्मशील रखती है। अतः अपना दृष्टिकोण तथा चिंतन बदलकर समस्याओं को देखा जाए तो हर संकट सफलता की ओर ले जाने वाला बन जायेगा। वस्तुतः ‘विपत्ति एक कसौटी है जिस पर कसकर मनुष्य का व्यक्तित्व और चरित्र जांचा-परखा जाता है।’ डिजराइली ने कहा है व्यवहारों की शुद्धता और दूसरों के प्रति आदर, यही सज्जन मनुष्य के दो लक्ष्ण हैं।
इंसान की विडम्बना है कि वह खुद से ही ठगा जाता है। प्रमाद और अज्ञानता की वजह से मन की मूढ़ता हर चैराहे पर इसलिए ठगी जाती है कि वह सत्य को पहचान नहीं सकी। रॉबर्ट जे. कॉलियर कहते हैं, ‘सफलता छोटे-छोटे कई प्रयासों का नतीजा होती है, जिन्हें कई दिनों तक बार-बार दोहराया जाता है।’ अगर आप एक के बाद एक कदम उठाते रहें, जरूरत के हिसाब से बदलते रहें, तो मंजिल तक जरूर पहुंचेंगे।
जीवन में चाहे कितनी उदासियां क्यों न आयें, मुस्कुराहट के फूल खिलाते रहिए। अपने धैर्य को, अपनी शक्ति को आपने विश्वास को मत टूटने दीजिए। किसी भी प्रकार की परिस्थिति क्यों न आये, आप अपने-आप में संतुलन बनाये रखिए। यह दुनिया का सबसे बड़ा सत्य है कि आपसे ज्यादा आपको कोई नहीं समझ एवं जान सकता है। आप जानते हैं कि किस कारण आपके समक्ष विपरीत परिस्थितियां पैदा हुई हैं और यह भी जानते हैं कि इन परिस्थितियों से कैसे छुटकारा मिल सकता है।
यह भी सत्य है कि आज की जीवनशैली में जीवन का मूल्य कहीं बहुत पीछे छूट गया है। आज तो स्थिति यह है कि हर व्यक्ति समय से आगे की सोच रखता है और उससे आगे निकल जाना चाहता है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि दूसरे के लिए कौन कहे व्यक्ति को अपने लिए भी समय नहीं मिल रहा है और अनचाहे ही वह तनाव का शिकार हो रहा है। और, जहां तनाव होगा वहां प्रसन्नता नाम की चीज कहां? हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप समय के साथ नहीं चलिए, चलिए, जरूर चलिए, लेकिन जीवन के मूल्य को त्याग कर नहीं। पैसा बहुत बड़ी चीज है, लेकिन सब कुछ नहीं। जीवन-मूल्य के साथ कोई समझौता नहीं करें। छोटी-छोटी बातों को निबाह कर भी जीवन-मूल्य की रक्षा की जा सकती है। इसकी रक्षा से आपके पास तनाव फटकने भी नहीं पायेगा। और, जहां तनाव नहीं होगा वहां प्रसन्नता का निवास होगा। यही कहा जा सकता हैं कि प्रसन्नता ही वह पतवार है जिसके सहारे आप अपने जीवन की नैया पार लगा सकते हैं।

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