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ग्रामीणों की जीवन रेखा : लघु एवं कुटीर उद्योग - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-आलोक कुमार यादव भारत में प्राचीन समय से ही लघु एवं कुटीर उद्योगों की प्रधानता रही है। आज से दो हजार वर्ष पूर्व भी भारत का सूती वस्त्र एवं इस्पात उद्योग विश्व में प्रसिद्ध था। आज विकसित या विकासशील देशों में छोटे उद्योगों की उपयोगिता और भी अधिक है। विशेषकर…