गांधारी का शाप फला है सुन लो हे अफगान

—विनय कुमार विनायक
गांधारी का शाप फला है
सुन लो हे गांधार देश के अफगान!
तुम मानो या ना मान,
ये बहन वंश के नाश का परिणाम!

गांधारी तेरी पूर्वजा थी
गांधार राज सुबल की कन्या थी
कपटी धूर्त शकुनि की बहना थी
तुम सबकी थी बुआ समान!

सौ भाई दुर्योधन की माता
हस्तिनापुर की राजवधू गांधारी
राजा धृतराष्ट्र की दिलोजान
एक सती नारी थी बड़ी महान!

अंधे कुरु राजकुमार धृतराष्ट्र से
बहन का विवाह हो जाने से रुष्ट
शकुनि के छल से मिट गया था
सौ भाई कौरवों का नामोनिशान!

कुपित होके दुखी बहन गांधारी ने
शाप दिया अपने भ्राता शकुनि को
सदा अशांत रहेगा तुम्हारा वंशधर
लड़कर आपस में देता रहेगा जान!

आज भी गांधार शाप झेल रहा,
कभी किसी से उसे ना मेल रहा,
वैदिक आर्य से हिन्दू बौद्ध बने,
फिर बन गए मुस्लिम अफगान!

सदा-सदा से तुम हो युद्धरत इंसान,
पूर्वजों से विरत हो चुके तुम पठान,
कभी तुमने आराध्य शिव को छोड़ा,
कभी ध्वस्त किया बुद्ध प्रतिमा को
बनकर कट्टर आतंकवादी तालिबान!

बामियान में विदेशी पर्यटक आते थे,
तुम पर्यटन उद्योग से धन कमाते थे
तुम्हारी विरासती संस्कृति थी महान,
अब हो गई ठूंठ रीते वीरान बियाबान!

आज तुम खुद ही खुद के दुश्मन हो
काल्पनिक खुदा के नाम खुद छलते,
गांधारी के शाप से तुम हुए हलकान,
स्वभांजों के बधिक शकुनि के संतान
अपने पराए की तुम्हें नहीं पहचान!

भारत तुम्हारे बहन बहनोई का घर
तुम हस्तिनापुर दिल्ली के मेहमान
अपने पूर्वज भारत से मिलके रहनेपर
बहन शाप से मिलेगा मुक्ति निदान!

भारत गांधार का सदा मित्र राष्ट्र है,
तुम्हें अकूत सम्पदा धन वैभव देकर
संसद भवन का करा दिया है निर्माण,
अरबों डॉलर देकर किया तेरा उत्थान,
मानो या न मान भारत का एहसान!

तुम त्याग करो असलाह हथियार
बंद करो मारधाड़, निज घर का उजाड़
खाली खजाने के मालिक हो तुम
तुम्हें कौन देगा धन मान-सम्मान?
—विनय कुमार विनायक

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here