लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू

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बहुत साल पहले मोदी सूटिंग का एक विज्ञापन आता था ‘ए मैड मौड मूड मेड मोदी’। इसे बनाने वाले के दिमाग को दाद देनी होगी। मोदी ब्रांड तो अब भी है; पर उसमें वो चमक नहीं है, जो कभी ‘रायबहादुर’ गूजरमल मोदी के जमाने में थी।

लेकिन पिछले कुछ साल में एक और मोदी बहुत मजबूत हुए हैं। वह हैं नरेन्द्र मोदी। उनका नाम भी एक ब्रांड बन गया है, जिसका अर्थ है कठिन परिश्रम, कठोर निर्णय लेने की क्षमता, ईमानदारी, विनम्रता, भाषण कौशल्य, स्पष्ट नीति, विदेशी नेताओं से मधुर संबंध, साहसी नेतृत्व.. आदि। पिछले साढ़े चार साल में नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो उपलब्धियां पायी हैं, वह अभूतपूर्व हैं।

प्रधानमंत्री बनने पर मोदी ने कहा था कि वे साढ़े चार साल राष्ट्रनीति पर ध्यान देंगे और फिर राजनीति पर। अब लोकसभा के चुनाव पास आ रहे हैं। अतः मोदी चुनावी राजनीति की ओर भी बढ़ गये हैं। इसकी शुरुआत उन्होंने साल के पहले ही दिन एक साक्षात्कार से की, जिसमें उन्होंने हर प्रश्न का साफ उत्तर दिया। यद्यपि जिनकी रोटी-रोजी ही विरोध से चलती है, उन्होंने कहा कि यह साक्षात्कार प्रायोजित था। मोदी को प्रश्न पता थे, इसलिए वे तैयारी करके आये; पर इसमें कुछ गलत नहीं है। यह साक्षात्कार प्रधानमंत्री का था, झूठे आरोप लगाने वाले नेता का नहीं।

राफेल विवाद पर सरकार का मंतव्य बिल्कुल साफ है। पिछली सरकार का सौदा केवल विमान का था; पर इस बार सौदे में उनमें लगाये जाने वाले हथियार भी शामिल हैं। एक डिब्बा खाली है और दूसरा सामान सहित, तो दोनों की कीमत में अंतर तो होगा ही। राफेल में कौन से हथियार लगेंगे, इसे विशेषज्ञ ही समझ सकते हैं। सामरिक महत्व का विषय होने के कारण यह गोपनीय है। वायुसेना के अधिकारी इससे संतुष्ट हैं। फिर भी सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को सब तथ्य बताये, जिस पर उसने संतोष व्यक्त किया। लेकिन कांग्रेस की चिंता का विषय देश की रक्षा नहीं, अगला चुनाव है।

मोदी एक बात और भी कह रहे हैं कि रक्षा सौदों में पहले दलाली खायी जाती थी। बोफोर्स सौदा बहुत पुराना नहीं है। वह तोप बहुत अच्छी थी, यह सच है; पर उसकी खरीद में घपला था, यह भी उतना ही सच है। उसकी ठीक जांच कांग्रेस ने नहीं होने दी। अपराधियों को भागने का मौका दिया। विदेश में बंद उसके खातों से प्रतिबंध हटवाये। फिर भी वह अपने दामन को साफ कहे, तो ये मजाक ही है।

कहते हैं कि जिस सौदे में दलाली नहीं मिलती थी, उसे वे किसी बहाने से रद्द कर देते थे। इसीलिए मनमोहन सिंह के समय में कोई महत्वपूर्ण रक्षा सौदा नहीं हो सका; पर अब सौदे हो रहे हैं। व्यापारियों की बजाय सरकारों के बीच हो रहे हैं। किसी को दलाली नहीं मिली। इतना ही नहीं, पिछले दलाल भी पकड़ में आ गये हैं। यही कांग्रेस की बौखलाहट का कारण है।

श्रीराम मंदिर के बारे में भी मोदी ने साफ बात कही। मंदिर बने, यह उनकी भी इच्छा है। उन्हें भी पता है कि निर्णय मंदिर के पक्ष में होगा। यद्यपि कानून या अध्यादेश का रास्ता भी है; पर संवैधानिक पद पर होने के कारण वे चाहते हैं कि निर्णय न्यायालय ही दे। इसी की वे प्रतीक्षा कर रहे हैं; पर कांग्रेस बार-बार सुनवाई टलवा रही है। यदि इस पर शीघ्र निर्णय नहीं हुआ, तो लोकसभा चुनाव की घोषणा से पूर्व शायद मोदी अध्यादेश ले आएं।

मोदी को सी.बी.आई प्रमुख आलोक वर्मा से बैर नहीं है; पर वे चाहते हैं कि चूंकि दो शीर्ष लोगों पर आरोप लगे हैं, इसलिए जांच पूरी होने तक दोनों अवकाश पर रहें। आलोक वर्मा सर्वोच्च न्यायालय से बहाली ले आये; पर शासन ने उनका स्थानांतरण कर दिया। यहां सबसे हास्यास्पद स्थिति कांग्रेस की रही। उनके नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आलोक वर्मा को लाने का भी विरोध किया और हटाने का भी। क्योंकि उनका काम केवल विरोध करना है।

गरीब सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण, पड़ोसी देशों से दुखी होकर आये हिन्दुओं के लिए नागरिकता नियम में संशोधन, जी.एस.टी. में छोटे कारोबारियों को राहत.. आदि से लगता है कि नरेन्द्र मोदी चुनावी मूड में आ गये हैं। लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। मोदी ब्रांड इस बार पहले से अधिक मजबूत होकर उभरेगा, इसमें कोई संदेह नहीं है।– विजय कुमार,

1 COMMENT

  1. Prime Minister Mr Modi is a Nationalist no 1.
    He should bring laws to punish anti-nationals to save the nation , its roots and future.
    Anti national laws to be enforced to save india .
    Enemy using local fools, convert them and using them for these activities .
    Any one destroying national or public wealth should be punished , not giving them voting rights for next 10 yrs .

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