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भगवान बुद्ध और आर्य परम्परा -एक सत्यान्वेषण - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
“सचं नेरसी अन्तान्म कन्सो उपहतो यथा एस पत्तो सि निब्बानं सारम्भो न विज्ज्ती “(धम्मपद गा.१३४) टूटे हुए कांसे के थाल को पीटने पर भी आवाज नहीं करता ,वैसे ही यदि तुमने स्वयम को निशब्द कर लिया तो ऐसा समझो कि तुम निर्वाण पा गये ,क्योंकि प्रतिक्रिया तुम्हारे लिए जाती रही…