लव सेक्स धोखा और “आप”

3
300

AAP3

70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में 67 विधायक अरविन्द केजरीवाल के हैं ! ये सबको मालूम हैं ! कमाल का बन्दा है ये केजरीवाल ! क्या सहयोगी, क्या विरोधी ! सबको ठिकाने लगा देता है ! क्या अपने- क्या पराये ! “जो हमसे टकराएगा-चूर चूर हो जाएगा ” के मंत्र का निरंतर जाप करता हुआ ये शख़्स ज़ुबाँ से भाईचारे का पैगाम देता है , मगर, वैचारिक विरोधियों को चारे की तरह हलाल करने से बाज नहीं आता !
राजनीतिक हमाम में जब इस बन्दे ने घुसपैठ की तो इस शख़्स के बेहद क़रीबी लोगों में बेहद छिछोर किस्म के लोग थे , जो अपनी निजी ज़िंदगी, आम आदमी से बे-ख़बर,  पूरे ऐशो-आराम के साथ जीते हैं लेकिन सार्वजनिक जीवन में इस क़दर लफ़्फ़ाज़ी करते हैं कि पूछो मत ! आशुतोष जैसे कइयों  की “आप” में हैसियत वाली उपस्थिति इस बात की गवाही देने के लिए काफ़ी है ! पूर्व राजस्व आयुक्त से लफ़्फ़ाज़ी किंग बन चुके , “आप” के  एकमात्र नेता अरविन्द केजरीवाल से कोई ये पूछे कि योगेन्द्र यादव और कुमार विश्वास-आशुतोष-दिलीप पाण्डेय जैसे लोगों में से ज़्यादा विश्वसनीय कौन है , तो, केजरीवाल कुमार विश्वास-आशुतोष-पाण्डेय के पक्ष में नज़र आएंगे ! जबकि आम आदमी , जो इन सबको क़रीब से जानता होगा, वो केजरीवाल की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर्स, विश्वास-आशुतोष-दिलीप पाण्डेय, जैसे जोकरों से ज़्यादा योगेन्द्र यादव को योग्य क़रार देगा ! पर योग्यता लेकर केरीवाल करेंगें क्या ? जितने ज़्यादा जोकर या मूर्ख होंगे , उनके बीच खुद को सबसे ज़्यादा गंभीर व् बुद्धिमान साबित करना उतना ही आसान होगा ! सबसे ज़्यादा योग्य होने का तमगा तो वो खुद को बहुल पहले ही दे चुके हैं ! जोकर होना या मूर्ख होना भी खतरनाक नहीं है ! खतरनाक है खुद को गन्दगी के दलदल में खड़ा रख , सफाई-अभियान की अगुवाई का दम्भ भरना ! खतरनाक है , आम आदमी के विश्वास की ह्त्या करना ! केजरीवाल और उनके स्वयंभू कलाकारों के अंदर की “गन्दगी” सड़ी हुई लाश  की तरह “आप” के पानी में सतह पर आ चुकी है ! केजरीवाल के साथ जो लोग हैं , वो चना खाकर आंदोलन करने वाले लोग नहीं बल्कि संपन्न तबके के वो लोग हैं , जो ठीक-ठाक पैसा हासिल करने के बाद अब, पावर की जुगाड़ में हैं !
अन्ना की गँवारूपन वाली ईमानदारी को, आई.आई.टी. से निकला केजरीवाल नाम का “बुद्धिमान” पढ़ा-लिखा आदमी तुरंत पकड़ लिया ! हमारे ज़्यादातर प्रोफेशनल टॉप इंस्टीच्यूट, देश सेवा की बजाय, अवसरवादी  सोच की पाठशाला साबित हुए हैं ! केजरीवाल भी अपवाद साबित नहीं हुए ! थोड़ा सा दिमाग चलाया , और, अब “आप” के  बेताज बादशाह है ! दिल्ली के मुख्यमंत्री है ! एक ऐसा इंसान जो बात लोकतंत्र की करता है मगर लोकतंत्र से इस इंसान को ज़बरदस्त नफ़रत है ! 2014 की “भाईचारा” फिल्म के बाद, मार्च 2015 में “नफ़रत” फ़िल्म भी ज़ोरदार तरीक़े से रिलीज़ हुई ! भाईचारा नाम की फिल्म का  “नायक” , राजनीति के परदे पर, इस बार, खलनायक की तरह नज़र आया ! हिन्दी फिल्मों के खलनायक की तरह इस शख़्स ने भी गली-छाप टपोरियों के भरोसे, विरोध की हर आवाज़ को ठिकाने लगाने का रास्ता अख़्तियार कर लिया है ! “आप” की ज़मीन तैयार करने वाले कई लोगों को ज़मींदोज़ कर दिया गया ! “आप” अब एक राजनीतिक दल नहीं , बल्कि, एक गैंग है ! ये गैंग सपने दिखा कर सपनों का क़त्ल करने में उस्ताद है ! ये गैंग बद से बदनामी की ओर बड़ी तेज़ी से बढ़ रहा है ! अपनों से लव की स्टोरी के बाद धोखा और सहयोगी के साथ सेक्स वाला सोना के साथ लगातार साज़िशों का दौर ! ये हैं आज “आप” की तस्वीर !
बावजूद इस गैंग को इस बात का भरोसा है, कि, केजरीवाल नाम का ये नायक और इसकी “आप”, राजनीतिक हमाम में कपड़ों में दिखाई देंगें ! अपने चेलों के साथ, गुरू बनने का ढोंग रच कर, गुरू जी ने, खुद को गुरू-घंटाल साबित करने की कोशिश की है !  गुरू घंटाल , केजरीवाल जी को यकीं है कि दिल्ली के 67 विधायक उनके साथ हैं ! मगर इस गैंग लीडर को ये भी यकीं होगा कि राजनीति बड़ी बेरहम होती है ! विधायकों का ईमान-धर्म, सत्ता के साथ ही हिलता-डुलता है ! आज केजरीवाल के साथ, तो हो सकता है, कल योगेन्द्र यादव के साथ ! इस गैंग लीडर को भी इस बात का अंदाज़ होगा कि पब्लिक, नेताओं से भी ज़्यादा बेरहम होती है ! सर पर बैठा कर तो रखती है, मगर, सपनों के क़त्ल की साज़िश रचने वालों को सरेआम “फांसी” पर चढ़ाने से गुरेज़ नहीं करती ! फिल्म में एक्टिंग करना एक कला है ! तीन घंटे की फिल्म के दौरान कई बार नायक के लिए तालियां बजती हैं , मगर क्लाइमेक्स में जब ये पता चलता है कि फिल्म का नायक ही असली खलनायक है और नायक के पीछे चलने वाले हफ्ता वसूली करने वाले टपोरी, तो, दर्शकों का गुस्सा सातवें आसमान पर होता है और 3 घंटे की फिल्म के बाद भी कई दिनों तक नायक बने खलनायक को गालियां मिलती हैं ! “आप” गैंग के लीडर और इसके सदस्यों ने ऐसी फ़िल्में कई बार देखी होगी !  ख़ुदा ख़ैर  करे !

–नीरज वर्मा

3 COMMENTS

  1. पहले मैं अपने तर्कों द्वारा भक्तो की बातों की धज्जियाँ उडाता था.वह काम मैं आज भी कर सकता हूँ.कारण यह है कि नमो सरकार के अब करीब एक साल होने जा रहे हैंऔर इस एक वर्षमें उन्होंने जब भाषण देने और विदेशों में भ्रमण के सिवा जो भी किया है,उससे आम आदमी की परेशानियां बढ़ी ही है,घंटी नहीं है,उसकी तुलना में आआप की सरकार को सामने ला कर इस बहस को बहुत आगे बढ़ाया जा सकता है,पर मैं वह भी नहीं करूंगा,क्योंकि मैं आपका समर्थक तभी तक हूँ,जब तक वह जनता के लिए काम करे.अब जब कि दिल्लीमें सरकार चलाने में उसे कोई बाधा नहीं ,ख़ास कर उन क्षेत्रों में जो उसके हाथ में है,वहां उसे अपनी कथनीको करनी में बदलना है.अगर आआप कि सरकार यह सुचारू रूप से कर पाती है,तो उसके सभी आलोचकों के मुंह अपने आप बंद हो जाएंगे. पार्टी और सरकार को मेरे जैसों की वकालत की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी.अन्यथा हमारे जैसे वकालत करके भी क्या कर लेंगे?वकालत करेंगे भी क्यों?हमलोग अरविन्द केजरीवाल के भक्त तो हैं नहीं कि वे या उनकी सरकार कुछ भी न करे,फिर भी हम उनका गुणगान करते रहें.

  2. अभी अभी एक जानकारी आयी थी कि आईआई टी से निकले इन प्रतिभावान युवकों में से कितने सशस्त्र सेनाओं में भर्ती हुए?पता चला की लगभग शून्य. तात्पर्य यह निकला की इन संस्थानों से निकले छात्रों के दिमाग में केवल और केवल पैसा,पद ,प्रतिष्ठा और कॅरियर है. इनमेसे भी और प्रतिभाशाली अरविंदजी है. सतीश उपाध्याय जो दिल्ली से स्थापित नेता हैं उन पर बिजली कम्पनियों से संत गांठ का आरोप लगाकर भाजपा को फिरकनी में उलझा दिया. ओर अमितशाह जैसे खांटू चुनाव प्रबन्धक ने किरण बेदी को थोप दिया. और जिस दिन से किरण बेदी को प्रत्याशी बनाया गया मीडिया ने भाजपा का ग्राफ गिरता हुआ बताना शुरू किया. और परिमाण सामने है. अब तो जिस प्रकार गडकरीजी अवमान ना के प्रकरण में कार्यवाही कर रहे हैं ,वैसी ही यदि सतीशजी सच्चे हैं ,तो कार्यवाही होनी चाहिए. न्यायलयीन कारवाही के अलावा यह शख्स माननेवाला नही.

    • सुरेश जी, आपकी बातों में सचाई आंशिक ही है. मैं सिर्फ दो उदहारण आपको दे रहा हूँ. दोनों ही IIT से निकले हुए हैं. मेरे पास और भी अनेक उदाहरण हैं. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक वरिष्ठ प्रचारक हैं श्री रवि कुमार अय्यर जी. IITian हैं. शिक्षा समाप्ति के बाद सारा जीवन संघ-कार्य के लिए समर्पित कर संघ के प्रचारक बन गए. विदेशों में संघ-कार्य का विस्तार किया. दूसरे दिल्ली में संघ के विश्व विभाग में आप कभी होकर आइये. वहां अनिल वर्तक जी मिलेंगे. वे भी IITian हैं. पूर्णकालिक प्रचारक. अगर आपको संघ के प्रचारक की अवधारणा मालूम हो तो समझ जायेंगे प्रचारक-जीवन क्या और कैसा होता है. आप श्री अशोक जी सिंघल, श्री इन्द्रेश कुमार जी के प्रोफाइल को भी चेक कर ले.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here