डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’
हर तरफ़ प्यार को फैलाना होगा
कुछ रिश्तों को मिल-जुल के बचाना होगा
ये दुनिया आबाद है प्यार से
नफ़रत को हर हाल में भुलाना होगा
चाँदनी तो होती ही है महज़ चार पल की
चाहत के शजर ता-उम्र उगाना होगा
मेरी आँखों में भी वही सपने हैं
हमें मिल के इन्हें अपनाना होगा