लोकलुभावन बजट से लोकसभा की तैयारी: सिद्धार्थ मिश्र‘स्वतंत्र’

akhilesh Yadavउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बीते दिन अपने कार्यकाल का दूसरा बजट किया । उनके इस बजट से जैसी की सभी को आशा थी कोई भी सकारात्मक परिवर्तन होने की आशा नहीं दिखती । माननीय मुख्यमंत्री जो खुद को युवाओं का नेता होने का दावा करते हैं ने इस बजट से सभी को निराश किया है । हांलाकि इस बजट से कई शिकार करके उन्होने वास्तव में अपने सियासी मंसूबे स्पष्ट कर दिये हैं । सियासी मंसूबे अर्थात युवाओं को खैरात,अल्पसंख्यक कार्ड,किसानों की ऋण माफी के साथ ही आधी आबादी को रिझाने का प्रयास । उनका ये प्रयास वास्तव में कितना रंग लाएगा ये तो भविष्य के गर्त में है लेकिन एक बात स्पष्ट है कि इस बजट के माध्यम से उन्होने अपने पिताजी के सपनों में सत्ता का रंग भरने की भरपूर कोशिश की है । ऐसा हो भी क्यों ना केंद्र की सत्ता की चाबी उत्तर प्रदेश से होकर ही जाती है । ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 81 सीटों के महत्व से कोई भी इनकार नहीं कर सकता । इन परिस्थितियों में अखिलेश यादव की ये चुनावी फुलझड़ी वास्तव में उनकी सियासी महत्वाकांक्षा के अलावा कुछ और नहीं दर्शाती ।

हैरत की बात खुद को प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त करने वाले अखिलेश के इस बजट से विकास का दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं है । बहरहाल आइए एक नजर डालते हैं उनके पिटारे से निकली सौगातों पर । प्रदेश के अब तक के सबसे बड़े बजट में बुंदेलखंड विकास पैकेज के लिए 109 करोड़,सौर उर्जा मोटर चालित रिक्शा के लिए 400 करोड़,हमारी बेटी उसका कल योजना के लिए 350 करोड़,किसान ऋणमाफी के लिए 750 करोड़, निराश्रित विधवाओं के लिए 608 करोड़,वृद्धावस्था पेंशन के लिए 1683 करोड़,बेरोजगारी भत्ते के लिए 1200 करोड़,सिंचाई के लिए 761 करोड़,गरीब की आवासीय योजना के लिए 400 करोड़,कब्रिस्तानों की बाउंडी के लिए 400 करोड़,अल्पसंख्यक बाहुल्य इलाकों के लिए 375 तथा मदरसों के लिए 200 करोड़ की व्यवस्था की गई है । अब बजट के दूसरे पक्ष पर भी एक नजर डालते हैं यथा पूर्वांचल के विकास के लिए 100 करोड़, गन्ना किसानों को भुगतान के लिए 21 करोड़ मात्र तथा 4500 करोड़ की लागत से प्रदेश में 259 पुलों का निर्माण । ध्यातव्य हो कि जो सरकार प्रदेश की आम आवाम को छत मयस्सर नहीं करा सकती वही सरकार मुर्दों पर कितनी मेहरबान है,े अर्थात कब्रिस्तान की चारदिवारी के लिए दरियादिली से 400 करोड़ विचार करीये उनकी इस प्रत्युत्पन्नमति से जीवित जनों का क्या लाभ है ? और भी देखीये हमारी दयालु सरकार नौजवानों के हाथ में कटोरा थमाए रखने के लिए 1200 करोड़ रूपये तो फूंक सकती है लेकिन उन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए एक भी कदम उठाने को तैयार नहीं है । जहां तक प्रश्न है सपा के पारंपरिक वोटबैंक अल्पसंख्यकों का तो इस बजट से उन्हे भी सिवा छलावे के कुछ नहीं मिला है । ज्ञात हो कि मुस्लिम समाज में ही आते हैं बुनकर जी हां वही बुनकर जिनके हाथ की बनी साडि़यां बनारसी साड़ी के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर हैं । भूखमरी के कगार पर पहुंच चुके इन लोगों के लिए सरकार असंवेदनशील क्यों हो जाती है? अंततः जहां तक प्रश्न है किसानों की ऋण माफी का तो आपकों ज्ञात होगा 2009 में अलोकप्रिय होकर सत्ता खोने के कगार पर पहुंच चुके संप्रग गठबंधन की इसी घोषणा ने उन्हे दोबारा सत्ता वापस दी थी । इस मामले में एक प्रश्न और भी है मात्र 50 हजार रूपये के ऋणी किसानों पर लागू होने वाले इस नियम से क्या वाकई अधिकांश किसानों का भला होगा? जिस प्रदेश में किसानों को समय पर बुआई के लिए खाद बीज तक उपलब्ध न हों सिंचाई के लिए बिजली न हो ऐसी क्षणिक योजनाएं किसानों का कितना भला कर पाएंगी ?

इन बातों को दूसरे नजरीये से भी देखते हैं मान लिया जाए कि माननीय अखिलेश जी अपने सारे वादे पूरे कर भी पाएं तो क्या उनके कदमों से उत्तम प्रदेश का सपना साकार हो जाएगा ? जहां तक प्रश्न है आम आदमी का तो उसे बिजली,सड़क और चिकित्सा जैसी बुनियादी चीजों की आवश्यकता है । क्या प्रदेश सरकार अपनी बुनियादी व्यवस्थाओं से संतुष्ट है ? वास्तव में अगर सरकार बिजली,सड़क जैसी मूलभूत जरूरतों पर ईमानदारी से काम करे तो निश्चित तौर पर प्रदेश में उद्योग धंधों का विस्तार हो जाएगा । वस्तुतः यही उद्योग धंधे ही प्रदेश की आवाम को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराते हैं प्रदेश की आय में वृद्धि लाते हैं । हांलाकि इस बजट में सड़कों एवं पुलों के निर्माण की घोषणा भी की गई परंतु पूर्व सपा सरकार के कार्यकाल मंे शुरू हुए पुल निर्माण का हश्र तो सभी को पता है । इसके अतिरिक्त इस बजट में तमाम ऐसी बातें हैं जिनको देखते हुए ये बजट विकास परक तो कत्तई नहीं कहा जा सकता । जहां तक अखिलेश सरकार के बजट से निहीतार्थ तलाशने का प्रश्न है तो वाकई ये घाटे बजट युवा मुख्यमंत्री की राजनीतिक परिपक्वता को प्रदर्शित करता है । जिन विषम परिस्थितियों प्रदेश के प्रत्येक नागरिक पर 11993 रूपये का कर्ज लदा है सरकार का ये चुनावी लालीपाप क्या गुल खिलाएगा ये तो देखने की बात है । हांलाकि बजट के आधार पर सरकार का आकलन किया तो निश्चित तौर पर ये बजट लोकसभा चुनाव 2014 की तैयारियों की तैयारियों के तौर पर देखा जा सकता है ।

 

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