महाशिवरात्रि 2018 पर बन रहा हैं बेहद शुभ योग … 

इस महाशिवरात्रि पर कालसर्प दोष की पूजा से कई जन्‍मों तक मिलेगा फल

प्रिय पाठकों/मित्रों, हिंदु धर्म मॆ समस्त पर्व ग्रहों, तिथि, ऋतु तथा शुभ योगों के अनुसार मनाये जाते है जिससे मानव कॊ आधिदैविक, आधिभौतिक तथा आध्यात्मिक स्तर पर विशेष लाभ होता है। जैसे रामनवमी तथा दशहरा दोनो ऋतु के संधिकाल मॆ मनाये जाते है रक्षाबंधन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। उसी तरह शिवरात्रि त्रयोदशी तिथि कॊ मनाई जाती है। इस तरह त्योहारों और ग्रह योगों का गहरा सम्बन्ध होता है। प्राचीन समय से ही भारतीय परंपरा में फाल्गुन मास की त्रयोदशी के दिन आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के रूप में देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के व्रत को अमोघ फल देने वाला बताया गया है।

हिंदू धर्म का बेहद खास त्‍योहार है महाशिवरात्रि। इस अवसर पर देशभर में व्‍यापक रूप से भगवान‍ शिव की विशेष आराधना की जाती है। वैसे तो हर महीने में मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है लेकिन साल में आने वाली दो शिवरात्रियां सबसे ज्‍यादा महत्‍व रखती हैं। इसमे श्रावण मास की शिवरात्रि और फाल्‍गुन मास की शिवरात्रि सबसे ज्‍यादा महत्‍व रखती है।

फाल्‍गुन महीने की कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी को महाहशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इस बार यह शिवरात्रि बेहद शुभ योग पर आ रही है। इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 13 फरवरी 2018 यानि मंगलवार के दिन है। मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है और हनुमान जी स्‍वयं भगवान शिव के रुद्र अवतार हैं। इस तरह इस बार की महाशिवरात्रि बेहद खास बन रही है।
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महाशिवरात्रि का महत्‍व—
महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालु कांवड में गंगा जल भरकर भगवान शिव का अ‍भिषेक किया था। इस प्रथा की शुरुआत स्‍वयं महादेव के सबसे बड़े भक्‍त रावण ने की थी। रावण ने ही कांवड़ में गंगाजल भरकर महादेव का अभिषेक किया था जिससे महादेव बहुत प्रसन्‍न हुए थे। यहीं से इस प्रथा की शुरुआत हुई और आज भी शिवभक्‍त कठिन यात्रा कर कांवड में जल भरकर महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव का अभिषेक करते हैं।

महाशिवरात्रि का व्रत कर रात्रि में ओम नम: शिवाय का जाप करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होगी। पौराणिक मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति वर्ष भर कोई व्रत उपवास नहीं रखता है और वह मात्र महाशिवरात्रि का व्रत रखता है तो उसे पूरे वर्ष के व्रतों का पुण्य प्राप्त हो जाता है। महाशिवरात्रि को अर्द्ध रात्रि के समय ब्रह्माजी के अंश से शिवलिंग का प्राकट्य हुआ था। इसलिए रात्रि व्यापिनी चतुर्दशी का अधिक महत्व होता है। शिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा अत्यंत फलदायी होती है। शिव रात्रि पर चार प्रहर की पूजा से सभी प्रकार की कामनाएं पूर्ण होती है।
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महाशिवरात्रि ज्योतिष महत्व–

भगवान भोलेनाथ परम दयालु तथा संहारक देव है।ब्रम्हाजी सृष्टि उत्पन्न करते है विष्णु पालना तथा शिवजी संहारक है। एक तरह से प्राणी सृष्टि कॊ अंत करने का कार्यभार भगवान भोलेनाथ के पास है। इस कार्य कॊ शिवजी अपने गण यम तथा शनिदेव के द्वारा करते है। पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की भगवान भोलेनाथ महाकाल है उनकी आज्ञा से ही काल गतिमान होता है। शनिदेव तथा यमराज प्राणों का हरण करते है जो शिवभक्त होते है काल भी उनपर कृपा करते है। अंत सभी का होता है परन्तु शिवभक्त लोग अकालम्रत्यु नही मरते। जिनकी पत्रिका मॆ ग्रहण योग, कालसर्प योग, बिष योग, चांडाल योग तथा पितृदोष होता है इन सब दुर्योग का निवारण शिवपूजन से ही होता है।

जिन्हे बार-2 कोर्ट-कचहरी ,अस्पताल, कलेश शासकीय प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है वे भी विधिवत शिवपूजन करें तो भगवान शिव की उनपर कृपा होती है। तथा कष्टों से छुटकारा मिलता है।
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जानिए जलाभिषेक के लाभ—

महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक से ज्योर्तिलिंगों की पूजा का पूर्ण लाभ मिलता है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार चार पहर की पूजा मनुष्य को परमतत्व प्रदान करती है। महाशिवरात्रि की महारात्रि को अहोरात्र भी कहा गया है। जो भक्तजन चार पहर की पूजा कर भगवान शिव की आराधना करते हैं उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

अनुसार वास्तव में जलाभिषेक के साथ ही पूजा का क्रम प्रारम्भ हो जाता है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान आशुतोष का जलाभिषेक कर दिया जाए तो निश्चय ही द्वादश ज्योर्तिलिंगों की पूजा और दर्शन का लाभ मिल जाता है। देश के अनेक नगरों, कस्बों और देहातों में हरकी पैड़ी का गंगा जल वर्ष में दो बार कांवड़ यात्री चढ़ाते हैं। श्रावणी में शिव चौदस तथा फाल्गुन में शिवरात्रि के दिन गंगा जल चढ़ाने का महत्व विभिन्न धर्मशास्त्रों में दर्शाया गया है। शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि ही भगवान आशुतोष का असली पर्व है। इस दिन शिव और सती एकाकार हुए थे। शिवरात्रि ही एक मात्र ऐसा दिन है जिस दिन शिव पर चढ़ाया गया जल सती को भी प्राप्त होता है।हिन्दू शैव ग्रंथों के मुताबिक शिव लीला ही सृष्टि, रक्षा और विनाश करने वाली है। वह अनादि, अनन्त हैं यानी उनका न जन्म होता है न अंत। वह साकार भी है और निराकार भी। इसलिए भगवान शिव कल्याणकारी हैं।

शिव को ऐसी शक्तियों और स्वरूप के कारण अनेक नामों से पुकारा और स्मरण किया जाता है। इन नामों में पशुपति भी प्रमुख है। शिव के इस नाम के पीछे का रहस्य शिव पुराण में बताया गया है।

धर्मग्रंथों के मुताबिक अनादि, अनंत, सर्वव्यापी भगवान शिव की भक्ति दिन और रात के मिलन की घड़ी यानी प्रदोष काल और अर्द्धरात्रि में सिद्धि और साधना के लिए बहुत ही शुभ व मंगलकारी बताई गई है। इसलिए महाशिवरात्रि हो या प्रदोष तिथि शिव भक्ति से सभी सांसारिक इच्छाओं को पूरा करने का अचूक काल मानी जाती है।
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ऐसे करें शिवरात्रि पर भगवान का महाभिषेक—

पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया भगवान को गाय के दूध से अभिषेक करने पर पुत्र प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है। जबकि गन्ने के रस से लक्ष्मी प्राप्ति, दही से पशु आदि की प्राप्ति, घी से असाध्य रोगों से मुक्ति, शर्करा मिश्रित जल से विद्या बुद्धि, कुश मिश्रित जल से रोगों की शांति, शहद से धन प्राप्ति, सरसों के तेल से महाभिषेक करने से शत्रु का शमन होता है। इस दिन व्रतादि रखकर शिवलिंग पर बेलपत्री, काला धतूरा चढ़ाने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही भगवान शिव के सम्मुख कुबेर मंत्र के जाप से भी धन एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
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कालसर्प दोष की पूजा के बन रहे हैं योग—-

अगर आपकी कुंडली में राहु और केतु की विशेष स्थिति के कारण कालसर्प दोष बन रहा है तो इस महा‍शिवरात्रि पर आपके जीवन की नैय्या पार लग सकती है। जी हां, इस बार महाशिवरात्रि पर कालसर्प दोष की पूजा के लिए महायोग बन रहा है। कालसर्प दोष सर्पों के कारण लगता है और महादेव सर्पों के राजा नागराज को स्‍वयं अपने गले में धारण करते हैं। कहा जाता है कि नागराज भगवान शिव के परम भक्‍त हैं।

इस महाशिवरात्रि के योग में अगर को जातक कालसर्प की पूजा करवाता है तो केवल इस जन्‍म से ही नहीं बल्कि उसके आने वाले जन्‍मों से भी कालसर्प दोष का योग दूर हो जाएगा।

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कालसर्प दोष का प्रभाव—

कालसर्प दोष के कारण आपको हमेशा ही सेहत से संबंधित परेशानियां रहती हैं। आपको कोई असाध्‍य रोग भी हो सकता है और आयु भी कम रहती है। आर्थिक, करियर और व्‍यवसाय में मेहनत के बाद भी नुकसान हो जाता है और मनचाहा फल नहीं मिल पाता है।
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महाशिवरात्रि पर कहां और कैसे करवाएं कालसर्प दोष की पूजा—–

किसी अनुभवी और विद्वान आचार्य के सुझाव/मार्गदर्शन से कालसर्प दोष की पूजा करवानी चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन इस पूजा को करवाने से आपको दोगुना फल प्राप्‍त होगा इसलिए भूलकर भी इस मौके को अपने हाथ से ना जाने दें। आप महाशिवरात्रि या अन्‍य किसी शुभ योग में कालसर्प दोष की पूजा पंडित दयानन्द शास्त्री (उज्जैन-मध्यप्रदेश) से सिद्धवट घाट पर भी करवा सकते हैं।
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जानिए महाशिवरात्रि पर पूजन का शुभ समय–
दिनांक : 13 फरवरी, 2018

निशिथ काल पूजा : 24:09 से 25:01

पारण का समय : 07:04 से 15:20 तक (14 फरवरी)

चतुर्दशी तिथि आरंभ : 22:34 (13 फरवरी)

चतुर्दशी तिथि समाप्‍त : 00:46 (15 फरवरी)

किसी भी जानकारी के लिए Call करें :
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री–9039390067
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ऐसे करें शिव रात्रि पर पूजा—

शिव पूजन के दौरान चांदी, दूध, शक्कर, बिल्व पत्र, बेल फल, घी, चंदन, भस्म, आंकडे का फूल, धतूरा, भांग कपूर व श्वेत वस्त्र का उपयोग कर शिव आराधना करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। स्कंद पुराण के अनुसार इस कालखंड में साधना करना अनेक प्रकार के भयो से मुक्त कराता है। प्रदोषकाल में पुन: स्नान करके रुद्राक्ष की माला धारण करे पूर्व या उत्तर मुख करके शिव भगवान की आराधना करें। तीनों पहर में जल, गंध, पुष्प, बेलपत्र, धतूरे के फूल, गुलाबजल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से पूजन करें। ऐसा करने से शासन सत्ता, राजनीति मुकदमे आदि में सफलता मिलती है। मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
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अपनी राशिनुसार करें इस महाशिवरात्रि पर पूजन—

मेष -वृश्चिक
पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की मेष राशि वालों कॊ भगवान भगवान अंगारेश्वर /मंगलनाथ का पूजन रक्त पुष्प तथा रक्त चंदन से करना चाहिये।अंगारेश्वर/मंगलनाथ महादेव का मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थान मॆ है साथ  ही महाकाल भगवान का भी पूजन करें।गन्ने के रस से शिवअभिषेक इन राशि वालों कॊ लाभ देता है।

वृषभ-तुला
इन राशि वालों कॊ स्फटिक लिंग का पूजन व अभिषेक दूध व दही से करना चाहिए। भगवान केदारनाथ का भी विधि विधान से पूजन करना चाहिये।

मिथुन-कन्या
इस राशि वालों कॊ भाँग -धतूरा इत्यादि से भगवान नागनाथ का पूजन करना चाहिये।भगवान नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात मॆ द्वारका के पास है।

कर्क
इन राशि वालों के लिये शिव पूजन अति आवश्यक है क्योंकि इनकी राशि का स्वामी चंद्रमा होता है।इसके अलावा इन्हे ओम्कारेस्वर ज्योतिर्लिंग का पूजन करना चाहिये।

सिंह
इस राशि का स्वामी सूर्य होता है ऐसे जातक कॊ रस ,शहद आदि से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिये।भगवान रामेश्वरम का पूजन करना चाहिये।

मकर-कुम्भ
इन राशि वालो कॊ भगवान काशी विश्वनाथ का पूजन करने के साथ भगवान कालभैरव का पूजन करना चाहिये।शनिदेव का भी अभिषेक पूजन करना चाहिये।
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