महाराष्ट्र व हरियाणा के विधानसभा चुनाव परिणाम से राजनैतिक दल व विश्लेषक भौंचक्के

दीपक कुमार त्यागी

महाराष्ट्र व हरियाणा विधानसभा चुनावों के परिणाम आ गये हैं, आमजनमानस की सर्वोच्च अदालत के द्वारा दिए गये अंतिम निर्णय को देखकर सभी राजनैतिक दल व राजनैतिक विश्लेषक एकदम भौंचक्के हैं। क्योंकि हरियाणा व महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों के परिणाम आने से पूर्व, देश के अधिकांश चुनावी रणनीतिकारों का मानना था कि मोदी-शाह की जोडी़ के मैजिक और केंद्र सरकार के हाल के दिनों में लिये गये निर्णयों के चलते महाराष्ट्र व हरियाणा में भाजपा के पक्ष में एकतरफा भारी बहुमत से विजय वाले चुनाव परिणाम नजर आयेंगे। लेकिन बृहस्पतिवार को जब मतदाताओं के द्वारा दी गयी वोटों का पिटारा खुलकर सबके सामने आया तो हर कोई आश्चर्यचकित रह गया, जनता ने महाराष्ट्र में स्पष्ट बहुमत के साथ भाजपा गठबंधन की सरकार और हरियाणा में भाजपा को सरकार बनाने के बहुत करीब लाकर छोड़ दिया है। दोनों राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम सत्ता पक्ष, विपक्ष और अधिकांश राजनैतिक विशेषज्ञों की उम्मीद के विपरीत नजर आये। महाराष्ट्र में जहां भाजपा शिवसेना गठबंधन 288 विधानसभा सीटों में से 161 विधानसभा सीटों पर जीतकर सरकार बना रहा है, लेकिन फिर भी भाजपा शिवसेना गठबंधन के शीर्ष नेतृत्व की उम्मीद व आकलन के अनुसार उनको सीट नहीं मिल पायी है जिससे नेतृत्व आश्चर्यचकित है। वहीं कांग्रेस एनसीपी गठबंधन ने भी महाराष्ट्र में 98 सीटों पर विजय पताका फहरायी, परिणामों में उम्मीद से अधिक सीट जीतने पर कांग्रेस एनसीपी गठबंधन भी आश्चर्यचकित नजर आ रहा है।
वहीं हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों में से 40 विधानसभा सीटों पर चुनाव जीतकर दोबारा सरकार बनाने से महज चंद कदम दूर खड़ी भाजपा, उम्मीद के विपरीत जनता के प्रहार से बेहाल नजर आयी और वहीं आपसी खेमेबंदी और तल्ख गुटबाजी से बेहद कमजोर हो चुकी कांग्रेस को जनता ने 31 सीटों पर विजयी बनाकर आक्सीजन प्रदान करके सभी राजनैतिक दलों व पंडितों को भौंचक्का कर दिया है। उधर अभी चंद माह पूर्व जन्म लेने वाली दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी को जनता ने 10 सीटों पर जीताकर अपने भरपूर प्यार से नवाजा कर  राज्य की राजनीति में एक नया विकल्प तैयार कर दिया है।
दोनों राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणामों को ध्यान से देखें तो महाराष्ट्र में भाजपा शिवसेना गठबंधन की स्पष्ट बहुमत वाली सरकार बनना तय है और हरियाणा में भी देश के गृहमंत्री व चाणक्य की उपाधि से नवाजे जाने वाले अमित शाह के राजनैतिक कौशल से निर्दलीय के सहयोग से भाजपा की पुनः सरकार बनना तय है।
लेकिन विचारयोग्य बात यह है कि दोनों राज्यों में भी भाजपा की सरकार बनने के बाद भी, क्या इन चुनाव परिणामों में कहीं ना कहीं देश में कमजोर होती आर्थिक हालत ने भाजपा की हालात को जनता के बीच कमजोर करने की शुरुआत तो नहीं कर दी है। वहीं अन्य राजनैतिक दलों को भी स्पष्ट संदेश दे दिया हैं कि जनता सत्ता पक्ष से पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं है, आप जनहित के मुद्दों को लेकर सड़कों पर उतरो तो सही, लेकिन विपक्षी दलों की आरामतलबी व गलत रवैये और जनता को नेतृत्व प्रदान करने वाले चहरे के अभाव के चलते जनता पूर्ण रूप से उनके साथ भी खड़ी नहीं हो पा रही है। कोई माने या ना माने लेकिन इन चुनाव परिणामों से लगता है कि अब लोगों को अपनी रोजीरोटी रोजगार की चिंता सताने लगी है। ये चुनाव परिणाम इस बात को दर्शातें हैं कि अब कुछ मतदाताओं के लिए सरकार के निर्णयों को छोडकर देश की कमजोर होती अर्थव्यवस्था मायने रखती है। जबकि इन चुनावों के प्रचार के दौरान सत्ता पक्ष ने विपक्षी दलों को जनहित के मुद्दों को छोड़कर केवल अनुच्छेद-370, वीर सावरकर और पाकिस्तान के मसले पर ही उलझाए रखा था। इन विधानसभा चुनावों में सत्ता पक्ष ने सम्पूर्ण चुनाव प्रचार के दौरान विपक्ष को अपने जाल में उलझाये रखा और सत्ता पक्ष ने अपनी चाणक्य नीति से आमजनमानस के हित के किसी भी मुद्दे पर विपक्ष को सरकार से सवाल जवाब करने का मौका ही नहीं आने दिया। लेकिन फिर एक वर्ग के मतदाताओं के मन में कहीं ना कहीं कमजोर होती भारतीय अर्थव्यवस्था इन चुनावों में अंदर ही अंदर बड़ा मुद्दा थी। जिसके चलते ही आज सभी दलों के लिए इस तरह के आश्चर्यजनक चुनाव परिणाम आये है, ये चुनाव परिणाम उस वर्ग की जनता के आक्रोश व प्रेम की ही देन हैं।
वैसे हम आकलन करें तो 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद संपन्न हुए ये दो राज्यों के विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह की जोडी़ के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनावों में जनता के द्वारा दिये गये भारी बहुमत से चुनाव जीतने के बाद देश में ये पहले विधानसभा चुनाव हैं। ये चुनाव मोदी सरकार के बेहद आक्रामक महत्वपूर्ण फैसलों जैसे कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाना, कश्मीर मसले पर पाकिस्तान को विश्व समुदाय के बीच अलगथलग करना, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का मसला तथा ट्रिपल तलाक पर मोदी सरकार के द्वारा लगायी गयी रोक जैसे अभूतपूर्व निर्णयों के बाद केंद्र सरकार के द्वारा आम जनमानस के विश्वास पर खरा उतरने की परीक्षा हैं। हालांकि इन चुनावों में भी दोनों राज्यों में भाजपा का राज्य स्तरीय नेतृत्व पूर्व की भांति ही पूर्ण रूप से केवल मोदी-शाह की जोडी़ के मैजिक पर ही निर्भर रहा है। 
दोनों राज्यों में सरकार का गठन होने तक शुक्रवार धनतेरस के पावन पर्व के दिन भी सभी दलों की नजरें चुनाव परिणामों पर एकटक टिकी हुई हैं। भाजपा गठबंधन, कांग्रेस गठबंधन व अन्य राजनैतिक दलों के वरिष्ठ नेता, महाराष्ट्र और हरियाणा राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे के साथ-साथ देश के 17 राज्यों में 52 सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणामों के बाद एक-एक सीट का ध्यान से मंथन कर रहे हैं। इस बार महाराष्ट्र व हरियाणा के साथ 17 राज्यों में 50 विधानसभा और 2 लोकसभा सीटों पर भी उपचुनाव हुए थे। जिनका चुनाव परिणाम देश में भविष्य की राजनीति की दशा व दिशा तय करने वाला है। 
हरियाणा व महाराष्ट्र राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने जीत हासिल की है लेकिन चुनाव परिणाम पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की उम्मीद के विपरीत आये है। इन राज्यों के चुनाव परिणामों अब स्पष्ट हो गया हैं कि जनता ने भाजपा का 75 सीट पार के मिशन हरियाणा व 220 सीट पार के मिशन महाराष्ट्र के सपने को जबरदस्त झटका दे दिया है। इसका भाजपा पार्टी और उसके नीतिनिर्माताओं को बैठकर आत्मंथन अवश्य करना चाहिए। महाराष्ट्र में भाजपा शिवसेना गठबंधन के चुनाव जीतने के बाद भी और हरियाणा में भाजपा के बहुमत से चंद सीट दूर रहने के बाद भाजपा, विपक्षी पार्टियों व राजनैतिक विश्लेषकों के बीच मौजूदा राजनैतिक हालात को लेकर आत्मंथन का एक नया दौर शुरू हो गया है। देश में राजनैतिक समझ रखने वाले विद्वान इन चुनाव परिणामों का विश्लेषण करने में जुट गये हैं कि ऐसा क्या कारण है जो हरियाणा व महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में हरियाणा की खट्टर सरकार और महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार के दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा है। 
आपको बता दे कि महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रही पंकजा मुंडे अपने गढ़ परली से चुनाव हार गई हैं। पंकजा को उनके चचेरे भाई धनंजय मुंडे ने हराया है।
वहीं दूसरी तरफ हरियाणा में तो भाजपा के बड़े-बड़े दिग्गजों को जनता ने राजनैतिक पिच पर आऊट कर दिया है। हरियाणा में तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और टोहाना से उम्मीदवार सुभाष बराला को जननायक जनता पार्टी के देवेंद्र सिंह बबली ने बुरी तरह हराया है। 
हरियाणा के ही नरनौंद से भाजपा के उम्मीदवार और हरियाणा सरकार में वित्तमंत्री रहे कैप्टन अभिमन्यू को जननायक जनता पार्टी के राम कुमार गौतम ने करारी शिकस्त दी है।
हरियाणा में ही भाजपा सरकार में मंत्री रही कविता जैन सोनीपत सीट से कांग्रेस के उरेंद्र पंवार से हार गई हैं।
हरियाणा की उचान कलां विधानसभा से पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद चौधरी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को कुछ दिन पहले जन्मीं जननायक जनता पार्टी के दुष्यंत चौटाला ने बुरी तरह हरा दिया है।
हरियाणा में ही आदमपुर विधानसभा सीट से दिग्गज टिकटॉक स्टार और भाजपा उम्मीदवार सोनाली फोगाट कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुलदीप बिश्नोई से चुनाव हार गयी हैं।
हरियाणा में खेल के मैदान से राजनीति के मैदान में कदम रखने वाले पिहोवा से मैदान में उतरे भाजपा उम्मीदवार योगेश्वर दत्त को कांग्रेस के उम्मीदवार श्रीकृष्ण हुड्डा ने हरा दिया। 
देश की दिग्गज खिलाड़ी बबीता फोगाट कॉमनवेल्थ गेम्स में दो बार की गोल्ड मेडलिस्ट रह चुकी हैं। उन्होंने इस बार विधानसभा चुनाव को लड़ने के लिए हरियाणा पुलिस की नौकरी भी छोड़ी थी और चरखी दादरी विधानसभा से भाजपा उम्मीदवार बनी थी लेकिन बबीता फोगाट को भी निर्दलीय उम्मीदवार सोमवीर ने हरा दिया है। 
वहीं 2019 के लोकसभा चुनावों के परिणाम के बाद अपने अंदुरुनी कलह के मसलों को सुलझाने में बुरी तरह उलझी कांग्रेस पार्टी को जनता ने कुछ संजीवनी जरूर प्रदान कर दी है। हालांकि कांग्रेस अपनी गलत नीतियों व आरामतलबी के आदत के चलते शुरुआत से ही चुनाव प्रचार में पिछड़ती दिख रही थी, लेकिन फिर भी जनता ने नेताओं व राजनैतिक विशेषज्ञों की उम्मीद के विपरीत कांग्रेस व अन्य राजनैतिक दलों की जो स्थिति रखी है, उसने सभी राजनैतिक विश्लेषकों के आकलनों को धवस्त कर दिया है। साथ ही जनता ने कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देखने वाले राजनेताओं को भी जबरदस्त झटका दे दिया है। इन चुनाव परिणामों ने देश में मृतप्रायः हो चुकी कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अगर महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावों में वह समय रहते अपने महलों से निकल कर धरातल पर आकर सामुहिक रूप से मेहनत करते तो आज जो चुनाव परिणाम आये हैं वो बदल सकते थे इन राज्यों में कांग्रेस सत्ता में लौटती दिख सकती थी और भाजपा के साथ चल रही कांटे की टक्कर में भी कांग्रेस बाज़ी मारती हुई नज़र आ सकती थी। 
इन राज्यों की जनता ने विधानसभा चुनाव परिणाम से सत्ता में बैठे लोगों को भी इस बात का संदेश दे दिया हैं कि देश के मौजूदा आर्थिक व बेरोजगारी के हालातों पर सरकार ने जल्द ही कुछ ठोस कारगर कदम धरातल पर नहीं उठाया तो देश को कांग्रेस मुक्त करने का सपना देखने वाले राजनेताओं व दलों को भविष्य में होने वाले चुनावों में जबरदस्त झटका लग सकता और आने वाले समय में कांग्रेस के बेहद कमजोर हो चुके पंजे में जनता के प्रेम से दोबारा जान आ सकती हैं। लेकिन स्थिति जो भी है सबके सामने अब स्पष्ट हो चुकी है और सबसे बड़ा कमाल जनता ने यह करा है कि इसबार उसने किसी भी राजनैतिक दल को निराश नहीं किया हैं। जनता ने सबकी झोली वोटों से भरकर अमनचैन, प्यार-मोहब्बत, प्रकाश व खुशियों के पावन पर्व दीपावली को भारतीय परम्पराओं के अनुसार शानदार ढंग से मनाने का अवसर प्रदान किया है।
हस्तक्षेप / दीपक कुमार त्यागी

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