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राष्ट्रवाद : विविधता ही भारत की मूल पहचान - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
बरुण कुमार सिंह किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए सम्प्रादायिक सद्भाव बहुत जरूरी है। विभिन्न सम्प्रदायों के आपस में लड़ने से राष्ट्र कमजोर होता है। साम्प्रदायिक विद्वेष से सामाजिक शांति भंग होती है, और राष्ट्र की आर्थिक प्रगति बाधक होती है। विभिन्न सम्प्रदाय और राष्ट्रवाद से हमारा यहां अभिप्रायः…