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मैंने तुम्हें अभी पढ़ा ही कहाँ है - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मैंने तुम्हें अभी पढ़ा ही कहाँ है सिर्फ जिल्द देखकर सारांश तो नहीं लिखा जा सकता अध्याय दर अध्याय,पन्ने दर पन्ने किरदारों की कितनी ही गिरहें खुलनी अभी बाकी हैं उपसंहार से पहले प्रस्तावना और प्रस्तावना से पहले अनुक्रमिका सब कुछ जानना है मेरी नियति की रचना सिर्फ इस बात…