-आवेश तिवारी
कहते हैं बनारस कभी सोता नहीं, बनारस आज भी नहीं सोयेगा। शीतला घाट पर जिस जगह अब से कुछ घटने पहलों माँ गंगा की आरती उतारी जा रही थी वहां अब रक्त के लाल अंग के अलावा जूते चप्पल और टूटे हुयी कुर्सियां और पंडाल नजर आ रहे हैं, सीढियों पर राखी एक चौकी पर हारमोनियम और तबले सही सलामत रखे हैं घाटों के किनारे लगी नावों पर मल्लाह नदारद हैं, पुलिस का सायरन के अलावा अगर कुछ सुनाई दे रहा है तो सिर्फ गंगा के निरंतर बहते जाने की आवाज, मानो कह रही हो हे बनारस तू चलता चल ,तुझे चलना होगा, चलना तुम्हारा चरित्र है। शीतला घाट से महज कुछ सौ मीटर की दूरी पर मणिकर्णिका में जलती चिताओं के पास बैठा एक विदेशी अपने होठों से कुछ बुदबुदा रहा है , घाट से करीब ५० मीटर की दूरी पर राजू चाय की दूकान अभी खुली हुई है, हालाँकि ग्राहकों के नाम पर सिर्फ कुछ पुलिस वाले हैं जो आपस में बतिया रहे हैं कि अच्छा नाही भयल,देखा माहौल खराब नाही होए जाए।
कबीरचौरा अस्पताल में जब हम पहुंचते हैं तो वहां घायलों से ज्यादा भीड़ उन बनारसियों की नजर आ रही है जो अपने खून की बूँद बूँद घायलों को देने को बेताब है ,घायलों में शामिल तीन विदेशियों ने जिनमे से दो महिलायें हैं चुनरी पहन रखी है। भीड़ में शामिल असलम जिसके साथ में ठंडई पीने भर का नाता है न जाने किस अनजान बूढ़े के पास खड़ा डाक्टर को पानी चढाने में मदद कर रहा है। घर से फोन है चचा पूछते हैं कहाँ हो बताता हूँ अस्पताल तो कहते हैं आइबा ता पान लेले आइहा शायद हर एक बनारसी जानता है कि ऐसे हमले इस शहर की किस्मत में हैं, लेकिन इस शहर ने अब इन हमलों के मंसूबों के पीछे छुपे सच को जान लिया है सो एक वक्त दंगों का शहर कहे जाने वाले ऐसे हमलों के बाद माहौल कभी खराब नहीं होता और मजबूत होकर उठ खड़ा होता है। हाँ बनारसी अपनी भड़ास जरुर सरकार पर निकालते हैं, एसएसपी बनारस प्रेम प्रकाश जब मारवाणी अस्पताल में पहुँचते हैं एक बनारसी भद्दी से गाली मगर धीमे स्वर में देते हुए कहता हां “हाँ, छिनरों वाले, तू लोग सुतल रहा।” इसी अस्पताल में एक बच्ची की मौत हुई है, पूरा अस्पाताल घर वालों के रुदन से गूंज रहा है, लेकिन इस बार आंसुओं को पोछने के लिए हथेलियाँ बहुत ज्यादा नजर आती हैं, मारवाणी असपताल के के नजदीक स्थित मदनपुरा इलाके में जो एक वक्त बनारस का सर्वाधिक संवेदनशील इलाका माना जाता था के मुसलमान निकल कर चौराहों पर आ गए हैं, अपने प्रियजनों को खोजने वालों को रास्ता दिखाते हुए, लुंगी पहने १२ साल का एक लड़का पुलिस की गाड़ी की आवाज सुनकर पने पीटा के पीछे दुबक सा गया है, एक नवविवाहित जोड़ा अपनी मोटरसाइकिल पान की दूकान पर खड़ा करके ,ढेर सारे गहने पहने अपनी दुल्हन को सड़क की दूसरी पटरी पर छोड़कर पान बंधवा रहा है।
आज मंगलवार है हम संकटमोचन मंदिर पहुँचते हैं वहां पर पहले की अपेक्षा सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी नजर आ रही है, मगर भीड़ कम नहीं हुई है ,हनुमान जी की आरती के बीच मेरी नजर कोने में बैठी एक खुबसूरत महिला पर पड़ती है जो न जाने क्यूँ रो रही है, मंदिर के आँगन में आज कम से कम पांच शादियाँ हो रही है, दूल्हा, दुल्हन और उनके रिश्तेदारों के चेहरों पर कोई शिकन नजर नहीं आ रही। रास्ते में मैं अपनी मोटरसाइकिल अपने भाई को सौंप रिक्शे पर निकल लेता हूँ, मध्य प्रदेश के सीधी जिले के रिक्शेवाले से जब मै पूछता हूँ तुम्हे पता है आज बम ब्लास्ट हो गया तो वो कहता है “हाँ सुनले रहली, हमार सवारी छूट गईल पुलिस गौदालिया ओरी रिक्सा नाही जाए देत हौ।” फोन की घंटी बजती है उधर से अभिषेक का फोन है ,कैंट स्टेशन पर आपने को कह रहा है, साथियों साथ चाय पीने का समय हो गया है,एक घंटे बाद फिर अपने शहर को जागते देखूंगा।
यह वाकई दुखद है…दुनिया मैं हर चीज़ क्रिया की प्रतिक्रिया के सिद्धांत पर चलती है! ये धमाके हमारे मस्तिस्क पर हो रहे हैं ताकि हम इसके आदि हो जाएँ…विरोध न कर सकें…कुछ भी सेहन कर जाएँ…मौत भी…
very auspicious to prosody of varansi..keep up continue.