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मनुष्य कर्म-बन्धन में फंसा एक चेतन, अनादि व अविनाशी जीवात्मा है - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-मनमोहन कुमार आर्य हम परस्पर जब किसी से मिलते हैं तो परिचय रूप में अपना नाम व अपनी शैक्षिक योग्यता सहित अपने कार्य व व्यवसाय आदि के बारे में अपरिचित व्यक्ति को बताते हैं। हमारा यह परिचय होता तो ठीक है परन्तु इसके अलावा भी हम जो हैं वह…