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मनुष्य का आत्मा ही ईश्वर प्राप्ति व प्रार्थनाओं की पूर्ति का धाम है - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-मनमोहन कुमार आर्यमनुष्य की अपनी अपनी आवश्यकतायें एवं इच्छायें हुआ करती हैं। वह उनकी पूर्ति के लिये प्रयत्न भी करते हैं। मनुष्य जिस सामाजिक वातावरण में रहता है वहां उसे अपने बड़ों से जो शिक्षा मिलती है उसमें उसकी स्वाभाविक प्रवृत्ति हो जाती है। वह बिना छानबीन व विवेक से…