कोरोना मुक्ति के लिये मंत्र-साधना अनुष्ठान

– आचार्य डाॅ.लोकेशमुनि-
कोरोना महामारी से मुक्ति एवं विश्व शांति के लिये मंत्र साधना एक कारगर उपक्रम है। भारतीय संस्कृति में मंत्र शक्ति का विशिष्ट स्थान है। मंत्र साधना के द्वारा न केवल आत्मिक जागरण किया जा सकता है बल्कि कोरोना प्रकोप एवं कहर पर भी नियंत्रित स्थापित किया जाना भी संभव है। यही कारण है कि आज न केवल भारत बल्कि समूची दुनिया में मंत्रों को लेकर आम जनजीवन में जिज्ञासा, सद्भाव और इनसे जुड़े तथ्यों को जानने की आतुरता है। विशेषकर मंत्र विज्ञान से उनमें रहे हुए इतने उत्तम, सुन्दर, अद्भुत और जीवन की समस्याओं को सुलझाने में महत्वपूर्ण क्षमता रखने वाले और उनसे शारीरिक, मानसिक, बाह्य-अभ्यंतर उलझनों-कष्टों एवं कोरोना महासंकट से मुक्त होकर लाभान्वित होने की कामना हर कोई कर रहा है। इसी बात को ध्यान में रखकर विश्व मे पहली बार एक साथ 99,99,99,999  नवकार मंत्र जप का अनूठा, विलक्षण एवं भव्य सामूहिक अनुष्ठान 31 मई 2020 को प्रातः 8 बजकर 41 मिनट पर प्रारम्भ होगा, जिसमें विश्व के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु एक साथ ऑनलाइन जुड़ेंगे और इस अनूठे एवं भव्य सामूहिक नवकार मंत्र जाप अनुष्ठान का हिस्सा बनेंगे।
दुनिया को बचाना है तो भारत के योग, आयुर्वेद, शाकाहार, आध्यात्मिक जीवनशैली, संयममय जीवन एवं मंत्र-साधना के विकल्प के अलावा शायद कोई दूसरा रास्ता नहीं है। मंत्र साधना का जितना महत्व आध्यात्मिक है उतना ही भौतिक एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से भी है। आज की दुनिया में मंत्रों की साधना का प्रचलन इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि हर कोई कोरोना महासंकट से मुक्ति, समृद्धि, निरोगी जीवन एवं विश्व में शांति चाहता है। मंत्र साधना के जिज्ञासुओं की मंाग आ रही है कि भारतीय सनातन एवं जैनदर्शन के मंत्र ज्ञान एवं विशेषज्ञता से जन-जन को लाभान्वित किया जाये, इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए नमोकार महामंत्र शक्ति साधना का यह विशिष्ट एवं प्रभावी अनुष्ठान आयोजित किया जा रहा है, जो एक ऐतिहासिक एवं जनोपयोगी कार्य है, जिससे संपूर्ण मानवता लाभान्वित हो सकेगी। आचार्य कुलचन्द्रसुरीश्वरजी के नेतृत्व में गुरु प्रेम परिवार की प्रेरणा से आयोजित इस सामूहिक नवकार मंत्र जाप में अहिंसा विश्व भारती के प्रयत्नों से सभी परम्पराओं के आचार्य भगवंत, गच्छाधिपति, साधु-साध्वी एवं लाखों-लाखों श्रद्धालु विश्व के कोने-कोने से जुड़ेगें। यह विलक्षण अनुष्ठान की आयोजना कोरोना मुक्ति की दिशा में एक प्रभावी एवं जन-जन को लाभान्वित करने का उपक्रम है, इस निर्मल ज्ञान एवं मंत्र-साधना की चमत्कृत कर देने वाली बहती गंगा से जैनधर्म के प्रति शीतल-निर्मल श्रद्धा-आस्था और मंत्र-ज्ञान की उर्मियांे का पान करके लाखों श्रद्धालुजन एक साथ न केवल आनंद विभोर हो सकेंगे बल्कि कोरोना मुक्ति की दिशा में अपनी चिरपरिचित मंत्रों को लेकर बनी आतुरता को साकार होते हुए देख सकंेगे।
जैन जीवनशैली एवं धार्मिक उपक्रमों में नमोकार मंत्र सर्वाधिक प्रभावी एवं सिद्ध मंत्र है। इस प्रचलित मंत्र के अलावा रक्षा मंत्र, नवग्रह शांति मंत्र, श्री ऋषि मंडल स्तोत्र, सरस्वती स्तोत्र, वसंततिलका छंद, श्री सरस्वती नामस्तोत्र, चिंतामणि पाश्र्वनाथ स्तोत्र, उपसर्गहार पाश्र्वनाथ स्तोत्र, चंद्रप्रभ स्तोत्र, घंटाकर्ण महावीर स्तोत्र, वज्रपंजर स्तोत्र, सर्वविघ्नविनाशक पाश्र्वनाथ मंत्रात्मक स्तोत्र, कलिककुण्ड श्री पाश्र्वनाथ स्तोत्र आनंद-स्तवः, श्री जैन रक्षा स्तोत्रम्, मंत्र शक्ति जागरण आदि मंत्र प्रचलित हैं, जो महाशक्तिशाली, सुरक्षा के कवच, महारोग मुक्ति कारक एवं कल्याणकारी है। ये सभी मंत्र अपनी कुटुम्ब, जाति, समाज, देश, राष्ट्र, विश्व, की रक्षा, हिंसक पशु, पक्षियों, चोरों, डाकुओं, गुण्डों, बलात्कारियों, बदमाशों आदि भूत प्रेतादि की पकड़ बाधाओं, शत्रु एवं शत्रु सेनाओं से रक्षा तथा बचाव के लिए परमावश्यक और महाप्रभावशाली प्रयोग हंै। व्यावहारिक कार्यों की गुत्थियों को सुलझाने के लिए अमोघ उपाय है। धर्म प्रभावना, धर्मस्थलों की रक्षा, वैर-विरोध शमन, शांति स्थापित करने में अचूक उपाय हैं। महा आंधी, महावृष्टि को रोककर प्रलयंकारी प्रकोप से बचाव, अनावृष्टि-अवृष्टि का निवारण कर सूखे अकालादि से राहत, हिंसक को अहिंसक, व्यभिचारियों को सदाचारों, विपत्ति पीड़ितों को विपत्ति से मुक्ति दिलाकर सुखी बनाना, निसंतानों को संतान प्राप्ति, अविवाहितों को योग्य साथी की प्राप्ति, बिछड़ों का मिलाप, परिवार, पति-पत्नी में परस्पर वैर-विरोध झगड़े को मिटाकर एकता संगठन, प्रेम, स्नेह, सौहार्द करा देना, युद्धों से निजात दिलाना, शासकों आदि को मंत्र के चमत्कारों से प्रभावित कर धर्म, समाज, विश्व कल्याणकारी कार्यों में सहयोग लिया जा सकता है। इक्कीसवीं सदी में जिस तरह के प्राकृतिक आपदा, महामारी एवं संकटों की आशंकाएं व्यक्त की जा रही है, उसे देखते हुए मंत्र साधना बहुत जरूरी एवं उपयोगी है। विश्व में जितने भी भलाई के कार्य हैं वे सब मंत्रादि के प्रयोग से प्राप्त किए जा सकते हैं और सफलता प्राप्त कर जीवन को अमृतमय बना सकते हैं।
अहिंसा विश्व भारती के विश्वव्यापी उपक्रमों एवं मेरी विदेश यात्राओं में भारतीय मंत्रों की एवं मंत्र साधना की विशेष प्रसिद्धि देखने को मिली। वे लोग और वहां के विद्वान भारतीय मंत्र शास्त्र के वैज्ञानिक तथ्यों की भावभीनी प्रशंसा करते हंै। महान विद्वान विक्टर क्यूज ने तो लिखा भी है कि भारत में उदय हुए विज्ञान सूर्य के प्रचंड तेज के सामने पश्चिमदेशीय विज्ञान शास्त्र एक मंद दीपक जैसा है उसका प्रकाश किसी भी क्षण क्षीण हो जाना संभव है।
महामारी, महासंकट से मुक्ति एवं जीवन उत्कर्ष के लिए मंत्र शक्तिशाली साधन है। जीवन की अलग-अलग भूमिकाओं पर रहने वालों को अलग-अलग प्रकार से सहायक होता है। विशेष स्पष्ट करें तो धनार्थी को धन, संतानार्थी को संतान, आरोग्य-यशार्थी को आरोग्य-यश का अधिकारी बनाता है। विविध प्रकार के भयों से रक्षण करता है। कोई व्याधि, रोग या पीड़ा से पीड़ित हो तो उसका निवारण करता है। भूत, शाकिनी आदि की पीड़ा बाधा छाया से पीड़ितों को छुटकारा दिलाता है। आध्यात्मिक विकास द्वारा परमात्म पद तक पहुंचने की अभिलाषा हो तो उसमें भी अंत तक सहायक होता है।  
इस विराट विश्व में ऐसा कोई पदार्थ नहीं है, ऐसी कोई वस्तु नहीं है जो मंत्र शक्ति के प्रभाव से प्राप्त न की जा सके। इसलिए हमारे प्राचीन महापुरुषों ने इसे कल्पवृक्ष, कामधेनु और चिंतामणि रत्न की उपमाएं दी हैं। इसलिए इसकी साधना, आराधना तथा उपासना पर विशेष बल दिया गया है। मंत्रशक्ति जागरण की साधना जन संसर्ग से अधिकतर दूर रहने वाला तथा संयम, तप और योग की आराधना करने वाला कोई भी व्यक्ति कर सकता है। यदि कोई कहना चाहे कि इसमें कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं है तो वह गंभीर भूल करता है। सत्य तो यह है कि हमारे ऋषि मुनि मात्र संयमी, मात्र तपस्वी, मात्र योग साधक ही नहीं थे परन्तु ज्ञान के प्रकांड उपासक थे और विश्व की प्रत्येक घटना पर गंभीर गहरा विश्लेषण करके उसमें से वैज्ञानिक तथ्यों के अविष्कार में भी समर्थ थे। इसीलिए उनके द्वारा रचित विविध शास्त्रों एवं मंत्रों में विज्ञान की झलक प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होती है और वह जीवन के उत्कर्ष अथवा अभ्युदय की साधना के लिए अति उपयोगी सिद्ध हुए हैं और होते हैं।
इस णमोकार मंत्र साधना अनुष्ठान की निष्काम साधना से लौकिक और पारलौकिक सभी प्रकार के कार्य सिद्ध किये जा सकते हैं। अतः इस अनुष्ठान में केवल जैन ही नहीं, सभी जाति, धर्म एवं वर्ग के लोगों को नवकार मंत्र का जाप करना चाहिए। कहा भी है कि उपसर्ग, पीड़ा, क्रूर ग्रह दर्शन, भय, शंका आदि यदि न भी हो तो भी शुभ ध्यानपूर्वक नवकार मंत्र का जाप या पाठ करने से परम शांति प्राप्त हो सकेगी। यह एक  चमत्कारिक महामंत्र हैं जिसका निष्ठा व समर्पण के साथ अनुष्ठान से अत्यंत विस्मयकारी सकारात्मक परिणाम मिलते रहे हैं। यही कोरोना महासंकट से मुक्ति का प्रभावी उपक्रम बनकर प्रस्तुत होगा, ऐसा विश्वास है।

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