२३ मार्च – बलिदान व समाजवाद की एक यादगार – प्रेरक तारीख

अरविन्द विद्रोही

२३ मार्च , बलिदान व समाजवाद की एक यादगार – प्रेरक तारीख | २३ मार्च के ही दिन समाजवाद को नयी परिभाषा , नयी सोच और विचारो से कर्म तक के संघर्ष का नूतन पथ प्रदर्शित करने वाले डॉ राम मनोहर लोहिया का जन्म हुआ था | डॉ राम मनोहर लोहिया का जन्म २३ मार्च , १९१० को हुआ | डॉ लोहिया का जन्म उस दौर में हुआ जब भारत ब्रितानिया हुकूमत की गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था | भारत की तरुणाई गुलामी की जंजीरों को तोड़ने का हर संभव प्रयास कर रही थी | डॉ लोहिया के जन्म से मात्र ५ वर्ष बाद २३ मार्च , १९१५ को भारत की आज़ादी के लिए छेड़े गये २१ फ़रवरी , १९१५ के विप्लव के अपराधी रहमत अली , दुदू खान , गनी खान , सूबेदार चिश्ती खान , हाकिम अली को उनके वतन भारत से दूर मलय स्टेट गाइड , मलय- सिंगापूर में वतन परस्ती के जुर्म में गोली से उड़ा दिया गया | पंजाब के लुधियाना जिले के हलवासिया गाँव के रहने वाले रहमत अली को जो कि फौज में हवलदार के पद पर मलय स्टेट गाइड में तैनात थे , को ग़दर पार्टी के प्रचारको ने २१ फ़रवरी , १९१५ के विप्लव से जोड़ा था | इस विप्लव के सूत्रधार कर्तार सिंह सराभा , रास बिहारी बोस , विष्णु गणेश पिंगले , शचीन्द्र नाथ सान्याल आदि थे | २३ मार्च , १९१५ के पश्चात् २३ मार्च , १९३१ को जंग ए आज़ादी की बलिवेदी पर भगत सिंह , राजगुरु व सुखदेव तीनो फांसी पर चढ़ा दिये गये | इनकी शहादत ने भारत के युवा मन को क्रांति पथ पर चलने को प्रेरित कर दिया | २३ मार्च , १९३१ के पश्चात् १९८८ में २३ मार्च के ही दिन पंजाब के क्रांति के गीत लिखने वाले अवतार सिंह पाशा को आतंक वादियो ने गोलियों से भून दिया था | साहित्य के माध्यम से जन चेतना जगाने का बीड़ा उठाने वाले पाशा की रचनाएँ राजनीतिक-सामाजिक परिवर्तन को स्वर देती है | इनकी रचनाओ ने सरकार तथा शोषक वर्ग दोनों के हितो को प्रभावित किया | २३ मार्च , १९१० को राम मनोहर लोहिया का जन्म – २३ मार्च ,१९१५ को रहमत अली , दुदू खान , गनी खान , सूबेदार चिस्ती खान , हाकिम अली का बलिदान – २३ मार्च ,१९३१ को भगत सिंह , राजगुरु , सुखदेव को फांसी तथा २३ मार्च , १९८८ को आतंवादियो द्वारा क्रांतिकारी कवि अवतार सिंह पाशा की गोलियों से भूनकर की गयी निर्मम हत्या इन सभी चार एतिहासिक घटनाओं ने २३ मार्च को प्रेरणा की श्रोत व तारीखों में महत्वपूर्ण तारीख बना दिया है | लोहिया से पाशा तक सभी दसो सपूतो ने अपना जीवन अपनी मात्र भूमि के लिए कुर्बान किया | भारत भूमि की माटी से जुड़े ये सभी बलिदानी व्यवस्था परिवर्तन के हिमायती थे | समाज के निचले पायदान पर रह गये वंचितों की गैर बराबरी के खात्मे के हिमायती तथा मानव के द्वारा मानव के शोषण की खिलाफत करने में भगत सिंह , लोहिया और पाशा ने कोई कसर नहीं रखी | साम्राज्य वाद और पूंजी वाद के स्थान पर समाजवाद की परिकल्पना संजोये ना जाने कितने प्रेरक लेख व गीत इन्होने लिख डाले | जगह जगह २३ मार्च के उपलक्ष्य में आयोजन होते है | समाजवादी चरित्र के लोगो की निगाहें इस बात उत्तर प्रदेश पर केन्द्रित है | अपने को डॉ लोहिया के विचारो की पार्टी मानने वाली समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के हालिया विधान सभा चुनावो में २२४ विधायक निर्वाचन के पश्चात् स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बना चुकी है | उत्तर प्रदेश में गठित समाजवादी पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी अखिलेश यादव – प्रदेश अध्यक्ष , सपा ने संभाली है | उम्मीदों की साइकिल पर सवार होकर अखिलेश यादव ने बसपा सरकार के तानाशाही – मनमाने शासन के खिलाफ जबरदस्त संगठन करके , जन संघर्ष खड़ा करके जो विश्वास अर्जित किया है , उसको बरक़रार रखना ही सर्वाधिक दुष्कर चुनौती है | अपने को एक समाजवादी चरित्र का , डॉ लोहिया के विचारो का सच्चा सेनानी साबित करने की चुनौती है अब – अखिलेश यादव के सम्मुख | खुद को डॉ लोहिया का , समाजवाद का अनुयायी बनाने व साबित करने के लिए किसी को भी लोहिया को , समाजवाद को मन से , कर्म से और वचन से आत्म सात करना पड़ेगा | अखिलेश यादव के अन्दर विचारो के प्रति दृढ़ता के बूते ही जनता को आकर्षित करने की छमता बढ़ी है | समाजवादी मूल्यों के प्रति दृठता में लचीलापन जनविश्वास और जन आकर्षण में कमी ही उत्पन्न करेगा ,यह तथ्य सदैव समाजवादी नेतृत्व को ध्यान में रखना चाहिए | समाजवादियो की आशाव के केंद्र बिंदु बनके उभरे अखिलेश यादव को डॉ राम मनोहर लोहिया की यह बात कि — मुझे खतरा लगता है कि कही सोशलिस्ट पार्टी कि हुकूमत में भी ऐसा ना हो जाये कि लड़ने वालो का तो एक गिरोह बने और जब हुकूमत का काम चलाने का वक़्त आये तब दूसरा गिरोह आ जाये | लोहिया स्मृति से एक प्रसंग मन को उद्वेलित करता है | कितने महान व संवेदन शील थे – डॉ लोहिया , इसकी बानगी इस प्रसंग से पता चलती है | एक बार २३ मार्च को होली का पर्व पड़ा तब डॉ लोहिया ने बदरी विशाल पित्ती से कहा था – (यह दिन अच्छा नहीं है | मेरे लिए ख़ुशी का नहीं है और टीम लोगो के लिए भी नहीं होना चाहिए | आज २३ मार्च है , आज ही मेरे नेता भगत सिंह को फांसी हुई थी | ) डॉ राम मनोहर लोहिया के अधूरे पड़े संकल्पों को पूरा करने कि दिशा में , उनके विचारो को प्रचारित-प्रसारित करने की दिशा में , अमली जमा पहनने की दिशा में सार्थक कदम उठाने की नितांत आवश्यकता है | यह आवश्यकता समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने भी महसूस की थी | मुलायम सिंह यादव के ही शब्दों में — वर्त्तमान परिवेश में लोहिया जी के आदर्श और विचार सर्वाधिक प्रासंगिक हो गये है | अतः इनका जन जन तक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए | वह लोक भोजन, लोक भाषा और लोक भूषा के प्रबल पक्षधर थे तथा उन्होंने जीवन पर्यत्न दलितों , शोषितों एवं पीडितो की लडाई लड़ी | २३ मार्च की इस प्रेरक तारीख पर लोहिया के लोगो के शासन को जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने के संकल्प के साथ बलिदानियो के सपनो का कल्याण कारी – समाजवादी राज्य स्थापित करने की दिशा में अग्रसर होना चाहिए |

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