आर के रस्तोगी
जो कभी दुश्मन थे,आज सत्ता के लिए मिलन हो रहा
आज अखिलेश माया का चुनाव के लिए मिलन हो रहा
क्या ये दोनों का मिलन भविष्य में,क्या कोई गुल खिलायेगा ?
सन २०१९ का आने वाला चुनाव क्या इनको सत्ता दिलायेगा ?
जो कभी परछाई के दुश्मन थे,आज एक दूजे के गले मिल रहे
दुश्मनी को छोड़ कर सत्ता के लिए एक दूजे के मित्र बन रहे
कहते हैं हम सदियों से दलित हैं और पिछड़ी जाति के इंसान हैं
वैसे इनके पास अरबो की संपत्ति ओर करोड़ो रुपयों के मकान हैं
जिनमे कोई दूर-दूर सम्बन्ध नहीं था आज बुआ भतीजे बने हुए
सत्ता के ये लालची जनता को,बेबकूफ बनाने में अब ये लगे हुए
आन्दोलन के बहाने, ये सत्ता और वोट बैंक जुटाने में लगे हुए
एक मात्र उद्देश्य है,मोदी को सत्ता से बेदखल करने में लगे हुए
तोड़ फोड़ कर रहे और देश की करोड़ो की संपत्ति नष्ट कर रहे
वाहन जलाकर,जनता को परेशान करके,भारत को ये बंद कर रहे
भारत को बंद करके,ये क्या दूसरे देशो में वहाँ बसने जायेगे ?
अपने देश का नुक्सान करके, क्या देश की सेवा कर पायेगे ?
करगे क्या ये देश के सेवा,जब अपने देश को ही खुद जला रहे
उद्देश्य केवल एक ही है इनका,सत्ता के लिए ये आतुर हो रहे
कहा है सुप्रीम कोर्ट ने केवल,बेकसूरों को देश में न्याय मिले
कसूरवार साबित होने से पहले,उन बेगुनाहों क्यों जेल मिले ?
सत्ता के लिए सोनिया का ममता से भी मिलन हो रहा
चाहे इनके पीछे सारा बंगाल आग की लपटों में जल रहा
आगे क्या होगा भविष्य देश का,आने वाला समय बतायेगा
इन सत्ता के लालचियो क्या होगा अब ये समय ही बतायेगा
आर के रस्तोगी
मान्यवर,
सत्ता की भूख के कारण ही आखिलेश ओर मायवती का मिलन हुआ है ,अगर ऐसा नहीं है पहले क्यों नहीं मिलन हुआ पहले तो दोनों एक दुसरे की परछाई भी देखना नहीं चाहते थे | शायद मायवती जी अपने पुराने दिन भूल गयी जब श्री मुलायम जी व उनके कार्यकताओ ने उनकी लखनऊ में बेइज्जती की थी
BJP अपने तमाम विरोधी विचारधाराओं की राजनैतिक पार्टियों जैसे पीडीपी आदि से अपनी सत्ता की भूख मिटाने के लिए गठबंधन कर रही है तो संविधान व दलितों और पिछड़ों के राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए व साम्प्रदायिकता की आग से देश को बचाने के लिए
मायावती और अखिलेश का एक होना आज के समय का राजधर्म है । ब स पा और सपा की राजनीतिक सोंच व उद्देश्य मूलतः एक ही है जिसको पूरा करने के लिए दोनों दलों का आपस में एकजुट होना आवश्यक है।
BJP का 36 पार्टियों से गठबंधन सत्ता के लिए नहीं तो क्या संत समागम है? दलितों और पिछड़ों को क्या सिर्फ वोट ही देना चाहिए? शासन-सत्ता हासिल नहीं करना चाहिए ?अगर अगड़ी जाति के लोग बेईमान नहीं होते तो मायावती और अखिलेश के गठबंधन की जरूरत ही नहीं पड़ती। दलितों और पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक की रक्षा के लिए तथा संविधान की रक्षा के लिए मायावती और अखिलेश का गठबंधन वर्तमान की मांग है और आवश्यकता भी है।