सच की कसौटी पर खरा प्रवक्ता डॉट कॉम / अरविंद जयतिलक

0
160

pravaktaप्रवक्ता डॉट कॉम के 5 वर्ष पूरा होने पर शानदार हार्दिक बधाई। सिर्फ इसलिए नहीं कि औरों की तरह इसने भी आधा दशक का सफर तय किया है। बल्कि इसलिए कि पूरी प्रमाणिकता से सच को जिया है और असत्य का दाह संस्कार किया है। इसलिए भी कि चुनौतियों के सीने पर इंकलाबी लकीर खींचा है। इसलिए कि नंगों की नैतिकता का पर्दाफाश किया है और राजनीतिक व्यभिचारियों के मुहल्ले में नैतिकता का ढोल पीटा है। इसलिए भी कि पुराने क्षत्रपों की इजारदारी को खत्म किया है। इसलिए भी कि सत्ता के मठ-मठाधीशों के आगे घुटने नहीं टेका है और सुलगते सवालों को जनता के बीच उछाला है। इसलिए कि मसलों को सिंपल स्लोगन में बदलने के बजाए ईमानदारी से चिरफाड़ किया है। इसलिए भी कि भविष्‍य के भय से विचलित न होकर नुकसान सहने की क्षमता को विकसित किया है।

संजीव जी बेशक आप और आपकी टीम बधाई के पात्र हैं। आपको बधाई देते हुए कुछ ऐतिहासिक घटनाएं याद आ रही हैं।

सीएफ एंड्रयूज ने लाला लाजपत राय से आग्रह किया था कि वह अपना ध्यान भारत को एक ऐसा दैनिक पत्र देने के लिए केन्द्रित करें, जो भारतीय जनमत के लिए वैसा ही करे जैसा सीपी स्कॉट के ‘मांचेस्टर गार्डियन’ ने ब्रिटिश जनमत के लिए किया। केवल लाला लाजपत राय ही नहीं बल्कि बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी जैसे राष्‍ट्रवादियों ने भी इस दिशा में सक्रिय पहल की और अनेकों ऐसे समाचार पत्रों का संपादन किया जो आजादी की जंग में हथियार की तरह काम आया। समाचार पत्रों के माध्यम से वे जनता में जागृति भी पैदा की।

18 वीं शताब्दी में जब भारतीय समाज बहु-विवाह, बाल-विवाह, जाति प्रथा और पर्दा-प्रथा जैसी सामाजिक बुराईयों से अभिशप्त था उस दरम्यान पत्रकारिता के अग्रदूत राजाराम मोहन राय ने ‘संवाद कौमुदी’ और ‘मिरातुल अखबार’ जैसे पत्रों का संपादन कर भारतीय जनमानस में चेतना भरी।

समझा जा सकता है कि एक राष्‍ट्र के निर्माण में समाचार पत्रों की भूमिका कितनी प्रभावकारी होती है। समाचार पत्रों की भूमिका तब और प्रासंगिक हो जाती है जब राष्‍ट्र संक्रमण के दौर से गुजरता है या सत्ता-सल्तनत चरित्र के संकट से जुझ रहा होता है। लेकिन जब समाचार पत्र अपनी विश्‍वसनीयता पर खुद कुठाराघात करेंगे और सत्य के उद्घाटन की जगह प्रायोजित झूठ को परोसेंगे तो फिर पत्रकारिता का उद्देश्‍य और मूल्य तो नष्‍ट होगा ही। मीडिया लोकतंत्र का स्तंभ है। उसका उत्तरदायित्व व्यापक है। उससे अपेक्षा की जाती है कि वह हर घटनाओं का सही मूल्यांकन करे और देश व समाज को उससे परिचित कराए। प्रवक्ता डॉट कॉम उसी राह पर है।

एक बार फिर प्रवक्ता डॉट कॉम और संजीव बाबू को हार्दिक बधाई।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here