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संस्‍मरण / दीदी - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
- गंगानन्‍द झा डॉक्टर कल्याणी दास मिश्र मनुष्य ने भगवान से कहा—“विधाता! तुम्हारी दुनिया तो बहुत ही निर्मम और हृदयहीन है। इसको रहने लायक बनाने के लिए मैं कुछ नहीं कर पा रहा।“ भगवान ने मनुष्य से कहा--- “कुछ और करने के बजाय बस तुम अपने आपको थोड़ा बेहतर बना…