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स्मृति शेष: मन्नू भंडारी की 'एक इंच मुस्कान' - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
प्रभुनाथ शुक्ल मन्नू भंडारी का खालीपन हिंदी साहित्य कभी भर नहीं पाएगा। मन्नू को हम जाने से रोक नहीं सकते थे, क्योंकि यहीं जीवन का सत्य है और नाश्वरता ही जीवन का प्रकृति का सत्य है। लेकिन उस खालीपन को भरना भी हमारे लिए सहज नहीं है। यह भी एक…