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मेरा एकालाप - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
बोल उठी तब त्रिपुरसुंदरी तू डूबे क्यों,क्यों पार तरे? तेरे समस्त गान, रुदन औ' हास ऊँ नमो मणिपद्मे हुं का पाठ तेरा प्रचलन मेरी प्रदक्षिणा तेरा कुछ भी मेरा सबकुछ ओ मेरे प्यारे अबोध शिशु गोद भरे,तू मुझमें नित-नूतन मोद भरे।