मेरी सत्ता लगे कभी पत्ता ! - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
मेरी सत्ता लगे कभी पत्ता, जाती उड़ कभी वही अलबत्ता;लखे खद्योत कभी द्योति तके,ज्योति संश्लेत कभी स्रोत लखे ! भूल मैं जाता कभी जो तरता,भटक में पाता कभी जो खोता;अटक मैं जाता कभी आहिस्ता,पार कर जाता कभी जग सरिता ! त्याग की सीमा कभी मैं वरता,सोच की हद से दूर मैं…