दूध पीकर, नाग देव प्रसन्न

-पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’-

nagpanchami__
1.दूध पीकर,
नाग देव प्रसन्न,
नाग पंचमी।

2.आओ झूलेँगे,
द्वारे नीम सखियां,
झूला पड़ा है।

3.बहनें सजीँ,
गुड़िया जैसी लगें,
गुड़िया पर्व।

4.दंगल लगें,
मल्लयुद्ध के लिए,
योद्धा तैयार।

5.सजी दुकानें,
घूम रहे हैं बच्चे,
लगा है मेला।

6.घुघुरी पकी,
भर-भरके दोना,
सभी चबाएँ।

7.रंग-बिरंगी,
धरा पोशाक धारे,
गुड़िया पर्व।

8.ऊँची हैं पेगेँ,
आसमान छूने की,
प्यारी सी आशा।

9.हाथ में डंडे,
गुड़ियों को पीटेँगे,
भाई हैं खुश।

10.भारत प्यारा,
नाग पंचमी जैसे,
पर्वोँ का देश।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here