राजस्थान में नाबालिग यौनकर्मी

नन्‍द किशोर कुमावत

उपलब्ध आंकडों के अनुसार वर्तमान में देश के 275000 कोठों में लगभग 23 लाख यौनकर्मी 52 लाख बच्चों के साथ रहती है। कुल मिलाकर देश में 1100 रेडलाइट इलाके है। आजादी के बाद से देश में यौन सेविकाओं की सही संख्या पता लगाने के लिए कोई सर्वेक्षण नहीं करवाया गया है, जबकि सरकार ने नेत्रहीनों कुष्ठ रोगियों, कैदियों, चोरो और विकलांगों आदि के लिए सर्वेक्षण कराए है लेकिन समाज के इस वर्ग की पूरी तरह उपेक्षा कर दी गई है। इस समय दिल्ली से मुंबई वाया जयपुर और दिल्ली से कोलकाता जैसे राष्ट्रीय राजमार्गों पर अनेक चकलाघर खुल गए है। यही हाल अन्य राजमार्गों का है। इसके अलावा इस धंधे में बड़ी संख्या में कॉलगर्ल भी सक्रिय है।

बच्चों का यौन शोषण और उनका क्रय-विक्रय दुनियाभर में एक बड़ी समस्या है। करोड़ों बच्चे पहले से करीब 20 लाख लड़कियों की उम्र तो पाँच से पन्द्रह साल के बीच है। इस पेशे में हर साल करीब दस लाख लड़कियां आती है।

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर देखे तो यूनिसेफ ने पूर्व कम्युनिस्ट देशों की महिलाओं एवं लड़कियों की एक रिपोर्ट में पोलैंड़ की एक गैर सरकारी संस्था ला स्ट्राडा एवं वियना की इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन को उध्दृत करते हुए लिखा है कि पूर्वी यूरोप की करीब 5 लाख़ लड़कियां पश्चिम में वेश्यावृत्तिा कर रही है। लड़कियों का अवैध व्यापार करीब 42.5 अरब डॉलर हो चुका है। अमरीका के शिकागो स्थिति ही पॉल विश्वविद्यालय के अन्तर्राष्ट्रीय मानव अधिकार कानून संस्थान ने 2001 विश्वभर में सेक्स व्यापार एवं लड़कियों एवं महिलाओं की अवैध खरीद-बिक्री पर एक अनुसंधान रिपोर्ट पेश की थी। इसके अनुसार 6 वर्ष की उम्र तक की लड़कियां सेक्स व्यापार में लाई गई थी। इसने करीब 20 लाख नाबालिग एवं बालिग लड़कियों व महिलाओं के सेक्स व्यापार में होने की बात कही थी। इसके अनुसार भारत के रेड लाइट एरिया में प्रतिवर्ष करीब 7 हज़ार नेपाली लड़कियां बेची जाती है जिनमें 9 वर्ष की आयु की लड़की भी शामिल है।

एक अन्य गैर सरकारी संस्थान टेर्रे डेस होम्मेस की 2005 की रिपोर्ट के अनुसार 14 से 16 वर्ष के बीच की नेपाली लड़कियों को कोलकाता, मुंबई के ख़रीददारों के हाथों बेच दिया जाता है जहाँ वे वेश्या बना दी जाती है। इसके अनुसार 1 लाख से 2 लाख के बीच नेपाली बच्चियां एवं लड़कियां अभी भारत के सेक्स व्यापार में है एवं इनमें एक बड़ी संख्या नाबालिगों की है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ विकास कार्यक्रम के लिए शक्तिवाहिनी द्वारा 2006 में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक भारत में अन्तरराज्यीय मानव तस्करी के अलावा मिस्र, ब्राजील, अजरबैजान, रूस एवं अनेक अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों से तस्करी करके लड़कियों एवं महिलाओं को भारत लाया जाता है जहाँ से इन्हें दूसरे देशों में भी भेजा जाता है। इस अध्ययन के अनुसार इसमें 72 प्रतिशत तस्करी सेक्स व्यापार के लिए की जाती है। इसके अनुसार मध्यप्रदेश में लड़कियां सेक्स व्यापार में सबसे ऊपर है जहाँ पारिवारिक परंपरा के कारण लड़कियां सेक्स कारोबार में आ जाती है।

 

यौन शोषण की शिकार महिलाओं और बच्चों में से 60 से 80 प्रतिशत अनेक बीमारियों की चपेट में होते है। अनचाहा गर्भ, प्रसव के दौरान मृत्यु, यातना, शारीरिक चोट, शारीरिक विकलांगता, मानसिक यंत्रणा और यौनजनित बीमारियां आम बात है।

भारत में वेश्याओं का विवरण

देश में करीब 86 प्रतिशत यौन सेविकाएं छ: राज्यों – आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और उत्तार प्रदेश की है।

2.6 प्रतिशत यौनकर्मी नेपाल और 2.17 प्रतिशत यौनकर्मी बांग्लादेश की है।

60 प्रतिशत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों की है।

71 प्रतिशत भारतीय यौन सेविकाएं निरक्षर और 74 प्रतिशत यौन सेविकाओं के परिवार बेरोजगार अथवा अकुशल मजदूर है।

अधिकांश यौन सेविकाओं के दो बच्चे है।

भारत में बाल वेश्यावृत्तिा

देश में 15 प्रतिशत यौन सेविकाएं 15 साल से कम और करीब 25 प्रतिशत 18 साल से कम उम्र की है। वेश्यावृत्तिा में लिप्त बच्ची प्रतिदिन औसतन 3 से 5 ग्राहकों को संतुष्ट करती है। भारत में यौन सेविका की आमदनी छ: व्यक्तियों में बंटती है। इनमें कोठे की मालकिन, भडुआ, दलाल, साहूकार, राशन वाला और पुलिस शामिल है। ये वेश्याएं अत्यधिक शोचनीय हालात में अपना जीवन गुजारती है। इन्हें ताजा हवा और साफ पीने का पानी नहीं मिलता।

उच्चतम न्यायालय के आदेश – भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बच्चों और महिलाओं को यौन शोषण और यौन शोषण की शिकार महिला के बच्चों के बचाव और पुनर्वास के सवाल पर दो महत्तवपूर्ण फैसले दिए है। बाल वेश्यावृत्तिा के बारे में विशालजीत बनाम भारत संघ नाम की जनहित याचिका में न्यायालय ने 2 मई, 1990 को अपने फैसले में कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों को सलाहकार समिति गठित करनी चाहिए लेकिन अभी तक अनेक राज्य सरकारों ने सलाहकार समिति का गठन नहीं किया है।

गौरव जैन बनाम भारत संघ नाम के एक अन्य मामले में न्यायालय ने 9 जुलाई, 1997 को वेश्यावृत्तिा, बाल यौनकर्मी और यौनकर्मियों के बच्चों की समस्याओं के बारे में गइराई से अध्ययन और इनके बचाव और पुनर्वास के लिए समुचित योजनाएं तैयार करने के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश दिया था। दिल्ली जैसे कुछ राज्यों में तो इस तरह की समिति का गठन कर लिया है लेकिन नियमित बैठकों के बावजूद इस बारे में अभी तक कोई फैसला नहीं लिया जा सका है। इस तरह यौन सेविकाओं की जीवनशैली में कोई परिवर्तन नहीं हुआ।

हम जानते है कि यौनकर्मियों और उनके बच्चों में अधिकांश अशिक्षित है और उनके बच्चों में अधिकांश अशिक्षित है और उन्हें संविधान में प्रदत्ता अधिकारों औरर् कत्ताव्यों का ज्ञान तक नहीं है। पुरूष साथी के अभाव में यौन सेविकाएं अपनी आवाज़ उठाने में असमर्थ है, इसलिए वे बंधुआ मज़दूरों की तरही जिंदगी गुज़ार रही है।

 

आज भूमंडलीकरण के दौर में पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है और साथ ही यौन पर्यटन भी आधुनिक सभ्यता की देन है। ऐसे में दुनियाभर में सेक्स के लिए ज्यादातर कम उम्र की लड़कियों और कहीं-कहीं लड़कों की भी मांग है, इसलिए उनकी भी बाज़ार में ख़रीद-फरोख्त हो रही है। बाज़ार में कमोडिटी की तरह मांग और आपूर्तिके नियम यहां भी लागू हो रहे है एवं ये बच्चे भी एक वस्तु बन गए है। इंड चाइल्ड प्रोस्टिच्यूशन, चाइल्ड पोर्नोग्राफी एवं ट्रैफिकिंग फॉर चिल्ड्रेन यानि इस्पट का आंकलन है कि प्रतिवर्ष करीब 10 लाख बच्चे यौन व्यापार में धकेल दिए जाते है जिनमें से अधिकांशत: लड़कियां होती है।

सरकारी स्तर पर बाल श्रम को कम करने और उसके उन्मूलन के लिए कई कानून व नियम बनाए गए है। कई योजनाओं के तहत बाल श्रम उन्मूलन भी किया गया और बाल श्रमिकों की शिक्षा व उनके उत्थान के लिए कई संस्थाएँ सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर काम भी कर रही है परंतु इस तरफ बहुत कम लोगों का ध्यान है कि सेक्स व्यापार में सर्वाधिक बाल श्रम होता है और उन्हें कई रूप से शोषण का शिकार होना पड़ता है। इनके उन्मूलन और विकास के लिए यह जागरूक होकर इसके विरूद्ध कार्य करना अति आवश्यक है।

3 COMMENTS

  1. वाकई बहुत चिंताजनक स्तिथि है. अगर सरकार चाहे तो महीनो नहीं बल्कि हफ्तों दिनों में व्यवस्था बदली जा सकती है.
    देश में बहुत सी रोगजार की योजनये चल रही है. सरकार उनकी रोजगार की व्यवस्था कर कर सकती है. किन्तु आज की परिस्थिथि में ऐसा संभव नहीं है क्योंकि कोई भी विभाग, व्यवस्था अपनी उपर की आमदनी बंद नहीं करना चाहेगी. ऐसी इछा शक्ति तो किसी भी सरकार में नहीं है.

  2. अच्छी शोध है आपकी . आप कहीं किशोर कुमावत तो नहीं हैं जो इससे पहले टोटल टीवी में हुआ करते थे.???

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