मप्र की पहली विधानसभा के विधायक हैं 102 साल के नन्नाजू

विवेक पाठक
1952 में मध्यप्रदेश की पहली विधानसभा देखने वाले नन्नाजू अपनी राजनैतिक यात्रा में दर्जन भर मुख्यमंत्री देख चुके हैं। तब मध्यप्रदेश की राजधानी में विधायक विश्राम ग्रह नहीं था। पहली बार विधायक बने लक्ष्मीनारायण गुप्ता बांस के तंबुओं में अपने साथी विधायकों के साथ रुके थे। अपने उन राजनैतिक साथियों के बीच अब केवल वे ही पहली विधानसभा के जीवित हस्ताक्षर हैं। सरोकारों की राजनीति करने वाले नन्नाजू 102 साल की अवस्था में जनसेवा की विरले ललक रखते हैं।

भाजपा के वयोवृद्ध नेता, सात बार विधायक रहने वाले प्रदेश के पूर्व राजस्व मंत्री लक्ष्मीनारायण गुप्ता नन्नाजू नाम से लोकप्रिय हैं वे। नन्ना उनके रिस्ते में बोला जाने वाला सहृदयी संबोधन है और जू बुंदेलखंड में आदर का प्रतीक है सो जनप्रतिनिधि लक्ष्मीनारायण गुप्ता परिवार कुटुम्ब के लिए नन्नाजू कई दशक वाले तक रहे होंगे मगर 102 बरस के होकर यशस्वी जीवन के यात्री नन्नाजू कुछ के नहीं हमारे और सबके बराबरी से नन्नाजू हैं। वे हिन्दुस्तान के हृदय प्रदेश की पहली विधानसभा के एकमात्र जीवित विधायक हैं। उनको बारंबार बधाई और शुभकामनाएं। 
सरोकार, विचार और नैतिकता की नींव पर राजनेता बने लक्ष्मीनारायण गुप्ता का जीवन एक सेवा यात्रा है। वे विधायक और मंत्री बनाकर जनता के लिए दौड़धूप करते करते बुजुर्ग हुए। अपने नन्नाजू का जीवन नेति नेति 102 बरस तक पहुंचा है। ये समूचे मध्यप्रदेश और उसकी जनता केलिए गौरव का विषय है।
सौ साल तक का जीवन उपलब्धि है मगर ये व्यक्तिगत उपलब्धि भी हो सकती है। मैं खुद का खूब ख्याल रखूंगा। व्यसनों से बचा रहूंगा। शरीर रक्षा के हर संभव उपाय करके 100 तक पहुंचूंगा और शतायु जीवन का उल्लास मनाउंगा। ये दैहिक सपना देखने के लिए हर मानव देह स्वतंत्र है मगर क्या उसका देह उल्लास समाज परिवार का उल्लास है। क्या उसके सौ साल के जीवन से पूरा मोहल्ला, कस्बा, गांव, शहर, समुदाय और समाज उल्लास मना रहा है। क्या उस विद्यालय, महाविद्यालय, संस्था, संगठन के लिए उसका शतायु जीवन गौरवकारक है। क्या इस सौ साल के जीवन को विभिन्न कालखंडों में देखने वाले नर नारी बंधु बांधव पुलकित हृदय से उल्लास मना रहे हैं।

सवा अरब की आबादी वाले देश में इन सवालों के जवाब मिलना दुर्लभ होते जा रहे हैं मगर नन्नाजू जैसे व्यक्तित्व हमारी आशा के सूरज हैं। वे सौ साल के बेदाग जीवन से गगन में विचरते चंद्रमा को चुनौती देने वाले व्यक्तित्व हैं। वे राजनीति की काजल लगी कोठरी में दिन रात बिताकर भी धवल उजले हैं। वे मध्यभारत से लेकर मौजूदा मध्यप्रदेश के गवाह हैं। भारत रत्न सचिन तेंदुलकर अगर मुंबई की खेल गरिमा हैं तो हमारे नन्नाजू मध्यप्रदेश की राजनैतिक गरिमा हैं। वे राष्ट्रवादी विचारधारा को पूंजते हैं मगर उनका व्यक्तित्व हर विचारधारा वाले अनुकरणीय मानते हैं।
मौजूदा भाजपा से लेकर कांग्रेस, बसपा, सपा, वामपंथी से लेकर तमाम विचारधाराओं वाले उनका आदर करते हैं और उनसे बराबरी से स्नेह भी पाते हैं।
नन्नाजू के व्यक्तित्व को कुछ पन्नों में रेखांकित करना खुद को धोखा देना होगा। हम उनके जिस पक्ष पर बात करेंगे उसी पक्ष की विविध शाखाएं दिख पडेंगी। जैसी सतपुड़ा के घने जंगलों में वृक्षों का विस्तार तमाम शाखाओं और जड़ों में जगह जगह फैल जाता है। उन्होंने सौ साल तक अगर अपनी प्रकट देह को सुरक्षित रखा है तो इससे उनका जीवन दर्शन बहुत हद तक समझा जा सकता है।
वे प्रकृति के अनुशासित पुत्र हैं। सूरज और चंदा देखकर सोना उठना करते हैं। नन्नाजू चाहे भोपाल में हों झांसी में हो या अपने प्रिय पिछोर में हों। उनकी भोर सूरज से काफी पहले हो जाती है। पिछोर में रहे मेरे बंधु, बांधव, मित्र बताते हैं कि कस्बे में पाठक मोहल्ला से बाचरोन चौराहा की सैर उनकी नियमित दिनचर्या का हिस्सा है। आज जब कस्बे में ही बहुसंख्यक युवा अंधेरा छटने पर अखबारों को उनींदी आंखों से पढ़ते हैं तब पिछोर में लंबी सैर से लौटकर नन्नाजू युवाओं को बिना कहे सीख दे जाते हैं। वे मित्र वत्सल हैं। अपने हमउम्र और भले लोग उनके साथ सैर में साथ होते हैं। स्वस्थ जीवन ने समाज को भी प्रेरित किया है। नन्नाजू मध्यप्रदेश में जन्म लेने वाले राष्ट्रीय स्तर के व्यक्तित्व हैं। वे पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के समकालीन रहे हैं। मध्यप्रदेश की पिछोर विधानसभा उनकी कर्मस्थली रही है। वे पिछोर से सात बार विधायक व मंत्री चुने जाने वाले राजनेता हैं। अलग अलग जातियों की बहुलता वाले पिछोर में नन्नाजू की अपनी सर्वप्रिय जननेता की पहचान रही है। मध्यप्रदेश मंत्रीमंडल में उनकी धमक रही है। वे प्रदेश के राजस्व मंत्री के रुप में जनसंघ, जनता पार्टी और आज की भारतीय जनता पार्टी में अमिट पहचान रखते हैं। नन्नाजू के नेतृत्व में मप्र के राजस्व विभाग ने भू राजस्व सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम किया। उन्होंने भूमि सुधारों पर किताब भी लिखी है।

गरीब किसानों के हित में महुआ को कराया करमुक्त
पिछोर के विधायक रहते नन्नाजू और तब के राजस्व मंत्री लक्ष्मीनारायण गुप्ता ने आम जनता के लिए गांव गांव भ्रमण कर जीवटता से कार्य किया। वे नियमित दिनचर्या के बाद पूरे समय जनमानस के लिए समर्पित रहे।ग्रामीण विधानसभा के किसान हितैषी राजनेता के रुप में पहचाने गए। किसानों की छोटी छोटी समस्याओं के लिए भोपाल और मंत्रालय तक उनके पहुंचने की खूब धमक रही है। बुंदलेखंड के किसानों की आवाज पर महुआ को एक्साइज टैक्स फ्री कराना उनके कार्यकाल का यादगार संस्मरण है। इस बारे में जनपद पंचायत खनियांधाना के पूर्व सदस्य मोतीलाल पाठक बताते हैं कि महुआ पूरे पिछोर क्षेत्र में गांव गांव बीना जाता है। इसके फूल से शराब, फल से तेल के अलावा कई उत्पाद बनते हैं मगर शराब के नाम पर महुआ पर सरकार एक्साइज ड्यूटी लेती रही। पिछोर सहित नजदीकी बुंदेलखंड के तमाम किसानों की समस्या सुनकर नन्नाजू से रहा नहीं गया। वे महुआ के फूल बटोरकर गांवां के किसानों से बटोरकर सीधे तत्कालीन मुख्यमंत्री के पास जा पहुंचे। उन्होंने किसानों की बात तब ऐसी प्रभावपूर्ण ढंग से रखी थी कि मौके से ही मप्र सरकार ने महुआ पर एक्साइज ड्यूटी खत्म कर दी। गरीब किसानों को अब कुछ पैसे कमाने का मौका देने महुआ फिर से एक्साइज फ्री हो गया। नन्नाजू का ये किसान हितैषी स्वभाव गांव गांव में उनके सम्मान का केन्द्र है। वे राष्ट्रवादी विचारधारा के जितने बड़े व्यक्तिव हैं उतना ही बड़ा उनका प्रशंसक परिवार पिछोर से लेकर समूचे मध्यप्रदेश में है।

जो जनता के बीच से आया है उसे जनता में जाने से क्या डर
नन्नाजू उदार जननेता हैं। बिना सिक्योरिटी गार्ड वाले मॉस लीडर रहे हैं। हजारों की भीड़ में सुरक्षा गार्डों से घिरे रहने वाले नेताओं का वे कतई समर्थन नहीं करते। नन्नाजू खरा खरा कहते हैं जो जनता से चुनकर आया है उसे जनता के बीच जाने में किसका डर। जनता और जनप्रतिनिधि के बीच संवाद में व्यवस्था और अनुशासन को बनाकर संवाद में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए।

चलो कहां चलना है
पिछोर क्षेत्र को अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व से गौरान्वित करने वाले नन्नाजू का इसे प्रिय वाक्य कह सकते हैं। वे विधानसभा में न रहने के बाद भी सक्रियता मे कभी पीछे नहीं रहे। दूसरों की मदद उनका प्रिय काम है। लोगों के घर पर आते ही चलो कहां चलना है का दम भरकर वे आंगुतक का हृदय जीत लेते हैं। भूख प्यास और तमाम अपने कामों को पीछे छोड़कर आम लोगों की मदद करने के उनके किस्से पूरे प्रदेश में लोकप्रिय हैं। पिछोर विधानसभा से उनका ऐसा प्रेम हैं कि वे दिन रात देखे बिना लोगों की मदद को निकल पड़ते हैं।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सहयोगी सखा हैं नन्नाजू
ऽ नन्नाजू का जन्म अशोक नगर जिले में 6 जून 1918 को हुआ। वे हिन्दू महासभा के कार्यकर्ता के रुप में सार्वजनिक जीवन में आए। हिन्दू महासभा मे ंकाम करते हुए वे हिन्दू महासभा की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य तक बने। वे महात्मा गांधी की हत्या से जुड़े मामले में जेल भेजे गए मगर निर्दोष पाए जाने पर उन्हें रिहा कर दिया गया।
ऽ प्रदेश के पूर्व राजस्व मंत्री लक्ष्मीनारायण गुप्ता नन्नाजू का 100 साल का जीवन एक अनथक यात्रा है। वे कश्मीर आंदोलन के लिए अपना बलिदान देने वाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी का साथ देने वाले राष्ट्रवादी सखा हैं।
ऽ नन्नाजू 1967 में गोविन्द नारायण सिंह के मुख्यमंत्री काल में कैबीनेट मंत्री बने। देश में जब भाजपा मंदिर आंदोलन से अखिल भारतीय ताकत के रुप में तेजी से संसद में शतक के करीब पहुंच रही थी तब भी नन्नाजू मध्यप्रदेश सरकार के कैबीनेट मिनिस्टर थे। 1990 से 1992 के उस कालखंड में भाजपा शासन में स्वर्गीय सुंदरलाल पटवा उनके मुख्यमंत्री थे।

ऽ नन्नाजू राष्ट्रवाद को जीने वाले देशभक्त जनप्रिय नेता हैं। हिन्दुत्व के नायक स्वातंत्रय वीर सावरकर, कश्मीर की स्वतंत्रता के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले राष्ट्रवादी श्यामा प्रसाद मुखर्जी, एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे राष्ट्रवादी विचारकों और उनकी प्रेरणा ने युवा लक्ष्मीनारायण गुप्ता को नन्नाजू बनने के लिए दिशा दी।
ऽ आज की सशक्त भाजपा की रचना करने वाले अग्रणी जननेताओं में कुशाभाउ ठाकरे, राजमाता विजयाराजे सिंधिया और अब के बुजुर्ग पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से नन्नाजू की अतिशय आत्मीयता और आपसी विश्वास का मधुर संबंध रहा है। मप्र के शीर्षस्थ संघ विचारक और भाजपा के नेता उनके परिवारिक सदस्य जैसे हैं।

बिना साधनों के भी जनसेवा करना सिखाते हैं नन्नाजू
वर्तमान समय में जब सरपंच और पार्षद एसी और महंगी गाड़ियों में बैठकर जनसेवा करने प्रयासरत हैं। ऐसे में नन्नाजू का जीवन हर दल हर नेता हर कार्यकर्ता के लिए नजीर है। वे बिना सरकारी बंगले वाले राष्ट्रीय पहचान वाले जननेता हैं। घर पर सरकारी फोन, सरकारी गाड़ी और तमाम सरकारी सुविधाओं के बिना लोगों की मदद करना उनकी नेकी के लिए जिद है। उम्र और स्वास्थ्य उनके अनुशासन के आगे उन पर कभी हावी नहीं हुआ। वे मन बना लें तो जनता का काम कराकर ही मानते हैं। पिछोर तहसील, शिवपुरी की कलेक्ट्रेट, ग्वालियर की कमिश्नरी और भोपाल के वल्लभ भवन तक जाने में वे कतई देर नहीं करते अगर बात जनता की हो और जायज हो। वे न्याय, हक और जरुरतमंद की लड़ाई में अपना तेरा दल नहीं देखते। जनता की लड़ाई लड़ने वाले नन्नाजू का यश इस देह अभिमानी दुनिया में आदित्य के तेज की तरह चमक रहा है। वे अच्छाई की कमी वाले वर्तमान समय में आशा का उजियारा दिखाने वाले व्यक्तित्व एवं कृतित्व हैं।

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