pravakta.com
मो कूँ रहत माधव तकत ! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मो कूँ रहत माधव तकत, हर लता पातन ते चकित; देखन न हों पावति तुरत, लुकि जात वे लखि मोर गति ! मैं सुरति जब आवति रहति, सुधि पाइ तिन खोजत फिरति; परि मुरारी धावत रहत, चितवत सतत चित मम चलत ! जानत रहत मैं का चहत, प्रायोजना ता की…