भ्रष्टाचार मिटाने को संकल्पित नरेन्द्र मोदी

सुरेश हिन्दुस्थानी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार के बारे में एक बार फिर से कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने तीखे शब्दों में कहा है कि भ्रष्टाचार करने वाले को छोड़ा नहीं जाएगा, मेरी कोई रिश्तेदार नहीं है। प्रधानमंत्री इस बात को भली भांति जानते हैं कि भ्रष्टाचार करने वाले रिश्तेदारों को राजनेताओं द्वारा हमेशा बचाने का प्रयास किया जाता रहा है। सरकारी स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण ही नीचे भ्रष्टाचार होता है। लेकिन नरेन्द्र मोदी की सरकार ने भ्रष्टाचार के विरोध में एक अभियान चलाया है। इसके अच्छे परिणाम भी दिखने लगे हैं। यह बात सही है कि जब इस प्रकार की बातें ऊपर से की जाती हैं, तब इसका अच्छा संदेश नीचे तक जाता ही है और उसका प्रभाव भी दिखाई देता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस बात को भी कई बार कह चुके हैं कि सत्ता सेवा के लिए होती है। जहां सेवा भाव के साथ सत्ता का संचालन किया जाता है, वहां पारदर्शिता परिलक्षित होती है और जहां पारदर्शिता होती है, वहां सबका साथ और सबका विकास वाली कल्पना साकार रुप में दिखाई देती है। वास्तव में नरेन्द्र मोदी देश में एक विश्वास बनकर उभर रहे हैं। एक ऐसा विश्वास जहां बुराई का कोई स्थान नहीं। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना ही प्रथम लक्ष्य हो। ऐसी सरकार ही जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का साहस कर पाती है और वही साहस नरेन्द्र मोदी की सरकार करती हुई दिखाई दे रही है। इसके विपरीत हम देखते हैं कि आज देश के कई राजनेता मात्र भ्रष्टाचार के कारण ही करोड़पति हो गए हैं। जनता को ऐसे लोगों से सवाल करना चाहिए कि क्या उन्होंने सत्ता प्राप्ति इसीलिए की थी। जनता को हमेशा गुमराह करने वाली भाषा बोलकर अपने निहित स्वार्थों के लिए राजनीति करने वालों की कलई खुलकर सामने आने लगी है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और कांगे्रस नेता पी. चिदम्बरम् के नाम इसके प्रमाण के रुप में लिए जा सकते हैं।
हम जानते हैं कि एक समय भ्रष्टाचार के कारण देश की जनता कराह रही थी। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार के कार्यकाल में रोज नए घोटालों की इबारत लिखी जा रही थी। जब सरकारी स्तर पर भ्रष्टाचार की कहानियां लिखी जा रही थी, तब प्रशासनिक स्तर पर होने वाले भ्रष्टाचार के चलते आम जनता परेशान हो रही थी। आम जनता के कोई भी काम बिना लेनदेन के नहीं हो रहे थे। कांगे्रस और कांगे्रस का साथ देने वाले राजनीतिक दलों ने इसका परिणाम भी भुगता है। जनता ने कांगे्रस सहित कई दलों को समेट कर रख दिया है, लेकिन आज यह बात दावे के साथ कही जाने लगी है कि कम से कम नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार के मामले में साफ सुथरी सरकार दी है। यही जनता की आशा थी, यही आशा वर्तमान में विश्वास के धरातल पर शत प्रतिशत खरी उतर रही है। आज आम जनता के मन में यह विश्वास होने लगा है कि नरेन्द्र मोदी की सरकार देश में कुछ नया करने का उद्देश्य लेकर काम कर रही है।
यह सत्य है कि देश में पहली बार किसी सरकार ने ऐसा निर्णय लिया है, जिसमें सरकारी अधिकारियों के काम काज की समीक्षा करने की योजना पर काम किया जा रहा है। जो अधिकारी अपने कर्तव्य का निर्वाह सही ढंग से नहीं कर रहा है, उसे घर बिठाने की कार्यवाही के संकेत भी केन्द्र सरकार ने दिए हैं। इससे सरकारी स्तर पर होने वाले भ्रष्टाचार में भी बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। अधिकारी भी जनता के काम करने की ओर प्रवृत हुए हैं। पहले की सरकारों के समय में प्राय: यह कहा जाता था कि अब भ्रष्टाचार देश में शिष्टाचार का पर्याय बनता जा रहा है, इसका मतलब यही था कि पिछली सरकारों के समय देश की जनता ने इस बात की आशा ही छोड़ दी थी कि भ्रष्टाचार कभी समाप्त भी हो सकता है, लेकिन वर्तमान में वातावरण परिवर्तित हुआ है। भ्रष्टाचार समाप्त होने के बारे में भी धारणाएं बदल रही हैं।
कहा जाता है कि जब शासक की नीयत अच्छी है तो शासन भी जन अपेक्षाओं की पूर्ति में सहायक ही रहता है, लेकिन शासक की नीयत में ही दोष हो तो फिर देश को कौन सुधारेगा, ऐसे प्रश्न वातावरण में तैरने लगते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रत्येक कदम भ्रष्टाचार मुक्त भारत को साकार रुप देने वाला ही कदम है। वह चाहे नोट बंदी का मामला हो या फिर जीएसटी। यह सभी भ्रष्टाचार को समाप्त करने का ही अभियान माना जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भले ही भ्रष्टाचार को समाप्त करने की बात भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच कही हो, लेकिन इसका संदेश धरातल तक गया है। जब इसकी आवाज प्रत्येक नागरिक तक पहुंची है, तब इसका सकारात्मक प्रभाव भी दिखाई देगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here