मोदी को बचाए बस मोदी ही

मोदी को बचाए बस मोदी ही
डॉ. वेदप्रताप वैदिक
कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी की यह पहली बड़ी सभा थी। लंबे समय से रामलीला मैदान में इतनी भीड़ जमा नहीं हुई थी। भीड़ जमा करने में कांग्रेस पार्टी की महारत को कौन नहीं जानता ? लेकिन राहुल-जैसे अपरिपक्व नेता के नाम पर दिल्ली की गर्मी में इतनी भीड़ का जमा होना क्या बताता है ? क्या यह नहीं कि कांग्रेस की हालत कितनी ही पतली हो, उसके कार्यकर्त्ताओं में अब आशा के अंकुर फूटने लगे हैं। उन्हें पता है कि मोदी के खिलाफ अभी तक देश में आक्रोश की लहर नहीं उठी है लेकिन कांग्रेस आक्रोश-रैली के नाम से उस लहर को उठाने की कोशिश कर रही है। वैसे देश को देने के लिए कांग्रेस के पास अपना कोई संदेश नहीं है। कोई आश्चर्य नहीं कि आजकल चल रही मोदी से मोहभंग की लहर अगले छह माह में इतना तूल पकड़ ले कि वह आक्रोश की लहर में बदल जाए। लेकिन असली सवाल यह है कि उस आक्रोश की लहर पर सवार होने लायक कोई नेता क्या अभी भारत में है ? मोदी से कहीं अधिक अनुभवी, बुद्धिमान और शिष्ट नेता भाजपा में भी हैं  और प्रतिपक्ष में भी हैं लेकिन उनमें से आज कोई भी मोदी को चुनौती देने लायक नहीं है। बिल्कुल यही प्रश्न जरा याद करें कि 2014 में सोनिया-मनमोहन के सामने था या नहीं ? बिल्कुल था लेकिन फिर भी वे हार गए। नरेंद्र मोदी का नाम अचानक उभरा और लोगों ने उस नाम के सिर पर ताज रख दिया। यह नाम जितना सदनाम था, उससे ज्यादा बदनाम था। 2004 में अटलजी की हार का भी वह एक कारण था लेकिन लोगों ने उसे क्यों चुन लिया ? इसीलिए चुन लिया कि लोग कांग्रेस से बेहद चिढ़ गए थे। लोगों की चिढ़न इतनी हद पार कर चुकी थी कि मोदी तो क्या, जो भी सामने आ जाता, उसके गले में वह माला डाल देती। कहीं 2019 में फिर यही किस्सा दोहराया तो नहीं जाएगा ? डर यही है। यह देश का दुर्भाग्य होगा। लेकिन मोदी यदि चाहें तो भाजपा की नाव को डूबने से अब भी बचाया जा सकता है। पिछले चार साल में इस सरकार ने जितने भी लोक-कल्याणकारी फैसले किए हैं, उनके ठोस परिणाम जनता को दिखाएं जैसे कि छह लाख गांवों में बिजली पहुंचाने का काम कल पूरा हुआ है। इसके अलावा अपना समय नौटंकियों, भाषणों और विदेश-यात्राओं में बर्बाद न करें। शी चिनफिंग या ट्रंप या पुतिन आपकी डूबती नाव को कोई टेका नहीं लगा सकते। भाषण खूब झाड़ लिये। अब जनता की भी सुनें। जनता दरबार लगाएं। पत्रकार-परिषद करें। पार्टी-कार्यकर्ताओं से मिलें। भाजपा को मां-बेटा (कांग्रेस) की तरह भाई-भाई पार्टी न बनाएं।

2 COMMENTS

  1. “मोदी को बचाए बस मोदी ही” का भय फैलाते लेखक आने वाली चुनाव ऋतु में कांग्रेस की सफलता हेतु कांग्रेस की जन आक्रोश रैली रूपी अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा दौड़ा रहा है| श्री राम का घोड़ा होता तो कोई उसे दाना पानी खिलाते प्रभु का मंगल-गान करता लेकिन पिछले सत्तर वर्षों में कांग्रेसी घोड़े ने तो केवल लीद के अतिरिक्त देश को और कुछ दिया ही नहीं! प्रश्न मोदी जी को बचाने का नहीं बल्कि उस उदंड घोड़े को रोक भारत देश को बचाने का है जिसका लेख में संकेत तक नहीं दिया गया है|

    सुना था लोग-बाग़ पखाने में अखबार टट्टी उतारने हेतु ले जाते थे| पखाने में पत्रकार भी जाते हैं परन्तु मालूम न था कुछ एक वहां बैठ लिखते भी हैं| आने वाले दिनों में ऐसे कथित पत्रकारों का जमावड़ा फिर से कहर मचाएगा लेकिन होगा वही जो भारतीयों के भाग्य में लिखा है|

  2. OUR POLITICAL ANALYST ALSO CONFUSED MAKING READERS CONFUSED.
    CONGRESS LEADERSHIP SO POOR AND SO MUCH DYNASTY RULE. THIS SIMPLE FACT AND ITS PRO AND CONS ARE SO CLEAR BUT WRITERS LIKE MR VEDIC STILL NOT ABLE TO EDUCATE THE MASSES HOW BAD CAN BE DYNASTY RULE IN THIS ERA.
    SHAME ON WRITER.

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