मोदी के धमाकेदार पाक प्रवेश से बनी आशा

Lahore: Prime Minister Narendra Modi is greeted by his Pakistani counterpart Nawaz Sharif on his arrival in Lahore on Friday. PTI Photo/ Twitter MEA(PTI12_25_2015_000195B)

सुरेश हिंदुस्थानी

भारत और पाकिस्तान के मध्य दोस्ती को लेकर जिस प्रकार के वातावरण का निर्माण हुआ है, उससे तो यही लगता है कि लम्बे समय से भारत और पाकिस्तान की दोस्ती के लिए गंभीरता से प्रयास ही नहीं किए गए। हर बार पाकिस्तान की कथनी और करनी में बहुत बड़ा अंतर ही दिखाई दिया। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस प्रकार से पाकिस्तान की अघोषित यात्रा पर अपने आपको प्रदर्शित किया, उससे आतंकवादियों के मंसूबे जरूर प्रभावित हुए होंगे। इस यात्रा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने जिस प्रकार का व्यवहार किया है, उससे यह संकेत अवश्य ही मिलता है कि पाकिस्तान की सरकार दोस्ती का परिणाम निकालना चाहती है। अब सवाल यह आता है कि जब पाकिस्तान की सरकार दोस्ती का स्वागत कर रही है जब इस मामले में रुकावट कौन बन रहा है। इसका जवाब संभवत: यही हो सकता है कि पाकिस्तान में पनप रहे आतंकी आकाओं को भारत के साथ दोस्ती बिलकुल भी नहीं सुहाती। आतंकवादियों के जितने भी कारनामे हैं, उससे आज तक न तो हिन्दुस्तान का भला हुआ है और नहीं पाकिस्तान का। फिर यह उम्मीद करना भी बेमानी ही होगी कि आतंकी दोस्ती के किसी भी कदम का स्वागत करेंगे।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान जाकर जिस सदाशयता का परिचय दिया है। उससे भले ही विरोधियों के कान खड़े हो गए होंगे, लेकिन एक बात तो साफ  तौर पर कही जा सकती है कि जिस प्रकार से पाकिस्तान के कट्टरपंथी मोदी को पाकिस्तान या मुस्लिम विरोधी बताने का प्रचार कर रहे हैं, मोदी की छवि उस प्रकार की बिल्कुल भी नहीं हैं। भारत में भी कभी असहिष्णुता के नाम पर तो कभी हिन्दू समर्थक के नाम पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरोध में वातावरण बनाने का काम किया गया। जो मात्र राजनीति के कुछ नहीं है। मोदी की पाकिस्तान यात्रा ने दोनों देशों के बीच चल रहे दोस्ती के प्रयासों में एक नई आशा का संचार हुआ है। क्या कभी किसी ने इस बात का अध्ययन करने का प्रयास किया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सारे देश की जनता के उत्थान की बात करते हैं। उनकी नजर में कभी भी किसी प्रकार का भेद नहीं दिखाई दिया, लेकिन हमारे देश की राजनीति का कमाल देखिए, नरेन्द्र मोदी के हर प्रयास में भेद दिखाई दे रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान की धरती पर जाकर जो ऐतिहासिक काम किया है। वह पाकिस्तान को सही रास्ते पर लाने का एक भारतीय प्रयास है। वर्तमान में पाकिस्तान की जो हालत है, उसकी वास्तविकता जानने के बाद हर कोई व्यक्ति यही प्रयास करेगा कि पाकिस्तान को इस भंवरजाल से निकाला जाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अचानक पाकिस्तान यात्रा से जो भी मतलब निकल रहा हो, लेकिन यह प्रयास पाकिस्तान के लिए अवश्य ही प्रगतिकारी होगा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ  ने दरियादिली दिखाकर नरेंद्र मोदी का दिल खोलकर स्वागत किया, वह वास्तव में पाकिस्तान जैसे देश में साहसी कदम ही कहा जाएगा। काबुल से लाहौर पहुंचे भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस यात्रा से विरोधी राजनीतिक दलों से जिस प्रकार के राजनीतिक बयानों की उम्मीद की जा रही थी। ठीक वैसा ही दिखाई दिया। भारतीय राजनीति में लगभग हासिये पर जा चुकी कांग्रेस पार्टी प्रधानमंत्री के हर कदम का विरोध करती दिखाई देती है। कांग्रेस नेताओं के बयानों से जिस प्रकार के दम्भ का प्रदर्शन होता है, उससे तो ऐसा ही लगता है कि वे आज भी अपने आपको शासक की तरह ही प्रस्तुत कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस यात्रा का पाकिस्तान के कई स्थानों पर समर्थन किया जा रहा है, इसके अलावा जम्मू कश्मीर के पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र में भी इस यात्रा का स्वागत किया गया है। जिससे एक बात को बल मिला है कि पाक अधिकृत कश्मीर की जनता यह चाहती है कि भारत और पाकिस्तान दोनों भाई बनकर रहें। हम भली भांति जानते हैं कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर या कहें गुलाम कश्मीर में पाकिस्तान के विरोध में जो आवाज उठाई जा रही है, उसके कारण यह इस बात को बल मिला है कि गुलाम कश्मीर के लोग अब भारत के साथ ही रहना चाहते हैं। इसकी सुगबुगाहट कश्मीर क्षेत्र में आई भीषण बाढ़ के समय से ही दिखाई देने लगी थी। इससे पाकिस्तान का दोहरा चरित्र एक बार फिर उजागर हो गया है। पाकिस्तान कहता था कि कश्मीर के लोग भारत से अलग होना चाहते हैं ? लेकिन पाकिस्तान के हुक्मरानों ने कश्मीर के साथ हमेशा अन्याय ही किया है। यह दर्द वहां के नागरिकों की जुबान से छलकने लगा है। अब तो गुलाम कश्मीर की सरकार भी इस सत्य को खुले तौर पर स्वीकार करने लगी है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की जनता पाकिस्तान की सच्चाई को जान चुकी है। इस गुलाम कश्मीर की जनता इस सच को अच्छी प्रकार जान चुकी है, कि कश्मीर का पूरा भाग स्वाभाविक रूप से भारत का हिस्सा है, और वे भारत के साथ रहने में अपनी भलाई समझते हैं।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आज वैसे ही हालात हैं जैसे 1971 में बंगलादेश में पैदा हुए थे। आज यह बात कई लोगों को पता है कि बंगलादेश, पाकिस्तान से बुरी तरह से परेशान हो गया था। भारत की सक्रिय भूमिका के चलते बंगलादेश, पाकिस्तान से अलग होकर स्वतंत्र देश का अस्तित्व प्राप्त कर सका। पाकिस्तान के अधिकार वाले कश्मीर में देखा जाए तो वहां विकास की संभावनाएं शून्य हैं। पाकिस्तान की सरकारों द्वारा इस कश्मीर की सरकार को कतई सहयोग नहीं मिलता, इस कारण यहां की सरकार का तो भारत के प्रति विश्वास बढ़ा ही है, साथ ही पाक अधिकृत कश्मीर की जनता के मन में भारत की वर्तमान सरकार के प्रति अच्छा भाव पैदा हो रहा है।
भारत के बारे में हमेशा यही कहा जाता है कि भारत ज्ञान और विज्ञान के मामले में विश्व के किसी भी देश से पीछे नहीं है। इसको इस बात से भी समझा जा सकता है कि आज विश्व के कई देशों में भारतीय मूल के नागरिक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल कर उस देश को महाशक्ति बनाने में योगदान दे रहे हैं। भारत के पास वह सब कुछ मौजूद है, जो महाशक्ति बनने की कतार में शामिल होने की योग्यता रखता है, जरूरत है उसको उभारने की। भारतीय जनता पार्टी के नेता राम माधव ने कहा है कि एक दिन ऐसा आएगा, जब भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश स्वाभाविक रूप से एक हो जाएंगे। इस घारणा को हालांकि कुछ लोग कपोल कल्पित मान रहे होंगे। लेकिन यह सत्य है कि जब तीनों देश एक हो जाएंगे, तब इनसे मिलकर जो देश बनेगा, वह विश्व का सबसे शक्तिशाली देश होगा।
वर्तमान में पाकिस्तान की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि उसके कब्जे वाले कश्मीर में पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन होने लगे हैं। गुलाम कश्मीर के मुजफ्फराबाद, गिलगित में जिस प्रकार के प्रदर्शन हो रहे हैं, उससे आतंक फैलाने वाले नेता सकते में आ गए हैं। उनको इस कश्मीर में मिलने वाले समर्थन में कमी आई है। पाकिस्तान के इशारे पर काम करने वाले अलगाववादी नेताओं ने कश्मीर में जिस प्रकार से वहा की जनता में भ्रम की स्थिति पैदा की, उसकी असलियत सामने आने के बाद पाकिस्तान नए बहाने तलाश रहा है। यह सच्चाई किसी से छुपी नहीं हैं कि पाकिस्तान ने हमेशा लोगों को भड़काया है। और लोग उसके झांसे में आते चले गए, लेकिन बनाबटी उसूल कभी सत्य को प्रमाणित नहीं करते। अंतिम विजय सत्य की होती है। कहते हैं कि लोगों के मन में नफरत का बीज बोकर प्रेम की उम्मीद नहीं की जा सकती। फिर पाकिस्तान की यह सबसे बड़ी भूल ही कही जाएगी कि वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की जनता  के मन में नफरत का पाठ पढ़ाकर फिजूल में ही प्रेम चाहती है। पाकिस्तान ने जो बोया है उसको तो भुगतना ही होगा। आज पाकिस्तान की समझ में भी यह बात आ रही होगी कि दोस्ती करने में ही पाकिस्तान की भलाई है। क्योंकि आतंक फैलाने की परिणति कभी भी सुखद परिणाम नहीं दे सकती।

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  1. हम लोग पाकिस्तान को देखते है, पाकिस्तान के पीछे निर्देशक साम्रज्यवादी शक्तिया कौन है उसे हम नही देख पाते है हम। कभी अमेरिका तो कभी चीन ने पाकिस्तान को सामरिक और आर्थिक मदद दे कर उसे भारत के विरुद्ध उकसाया। पाकिस्तान और भारत को यह समझ लेना चाहिए की उनकी दुश्मनी के कारण दक्षिण एशिया गरीबी और अभाव से नही उबर पाया है। बाहिरी ताकते जानती है की भारत और पाकिस्तान बड़ी सम्भावनाओ वाले राष्ट्र है, भारत और पाकिस्तान को पिछड़ा और समस्याग्रस्त बना कर वे अपनी आर्थिक और सामरिक भलाई कर रहे है। नवाज और मोदी को युगांतकारी जिम्मेवारी मिली है, वे दोनों देश के दिलो को मिलाए।

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