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वैदिक ग्रंथों में प्रातःभ्रमण - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
अशोक “प्रवृद्ध” यह एक सर्वसिद्ध बात है कि आदि काल से ही प्रकृति और मानव में जन्मजातसाहचर्य रहा है और मानव प्रकृति की शस्य-श्यामल-गोद में जन्म लेता,पलता और उसी के विस्तृत प्रांगण में क्रीड़ा कर अंतर्लीन हो जाता है। मानव शरीर का निर्माण भी पाँच प्राकृतिक तत्त्वों - पृथ्वी (मिट्टी),जल,अग्नि,आकाश…