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मां का आंचल - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-रवि विनोद श्रीवास्तव- मेरी ये कविता मदर्स डे पर संसार की सभी माओं को समर्पित। बचपन में तेरे आंचल में सोया, लोरी सुनाई जब भी रोया। चलता था घुटनो पर जब, बजती थी तेरी ताली तब। हल्की सी आवाज पर मेरी, न्योछावर कर देती थी खुशी। चलने की कोशिश में…