pravakta.com
मां तुम कितना कुछ सहती हो - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
---विनय कुमार विनायकमां तुम कितना कुछसहती हो,फिरभी तुमकुछनाकहती हो,खाना हम सबको खिलाने तक,तुम मांदिनभर भूखी रहती हो! इस जहां में कहांकोईरचना,जो तेरे जैसेभूख-प्यास, नींदऔर ढेर सारी पीड़ा सहती हो,फिर भी कुछ नहीं कहती हो! मां तुम कितनीभोलीसी हो,दुनिया मेंअमृतरस घोली हो,अपनेबच्चों की आपदाओंकोअपने हीसरपर ले लेती हो! मां नहीं तो…