अब चुहे बने शराबी : वाह रे बिहार पुलिस

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वास्तव में बिहार की धरती अजब है क्योंकि अब उस धरती पर चूहे भी शराबी हो गए हैं, यह चूहे साधारण रूपी शराबी नहीं हैं ऐसा भ्रम भी अपने मष्तिक के अंदर मत पालियेगा क्योंकि यह चूहे बड़े शराबियों की श्रेणी में आते ही नहीं, अपितु शराबियों की दुनिया के शिखर पर विराजमान हैं।

क्योंकि यह चूहे एक दो लीटर शराब नहीं पीते, इतने में इनका भला ही नहीं होता, यह कोई साधारण आम चूहों में से नहीं हैं कि एक दो लीटर शराब पीकर अपना गुजारा कर लें, यह तो बड़े नशेड़ियों में से हैं, इनकी प्रजाति अलग है इनका पीने का तरीका भी अलग है, इनकी मधुशाला भी बिल्कुल अलग है, यह चूहे साधारण घरों में नहीं रहते क्योंकि इनकी प्रजाति अत्यधिक विशाल है, इनका निवास स्थान साधारण चूहों से बिल्कुल ही अलग है, यह वहां रहते हैं जहां पर साधारण चूहे क्या सज्जन मानव भी जाने के लिए अपना साहस भी नहीं जुटा पाता, परंतु यह चूहे बड़ी ही शान के साथ वहां पर रहते हैं तथा अपना विशाल साम्राज्य स्थापित कर चुके हैं, इनको किसी भी प्रकार का भय नहीं है, यह बिल्कुल निडर एवं  निर्भीक हैं।

क्योंकि पुलिस प्रशासन के द्वारा जो रिपोर्ट आई है उससे तो यही साबित होता है कि इतनी बड़ी मात्रा में शराब की क्षमता और साधारण आम चूहों का छोटा शरीर, पूरी शराब के भण्डार को गटक गया| यह सोचने पर मजबूर कर देता है|

परन्तु हो सकता है कि चूहों ने सीधे-सीधे शराब से भरे हुए ड्रामों में अपना मूंह ही लगा दिया हो, और जादूई रूप में शराब पीना शुरू कर दिया हो। परन्तु शराब भी थोड़ी नहीं पूरी नौ लाख लीटर थी|

तो निश्चित यह चूहे किसी बड़ी प्रजाति के हो सकते हैं, जो पूरी शराब को आसानी से गटक गए, और किसी को जरा भी भनक तक नहीं लगी की शराब को चूहे पी रहे हैं, क्योंकि चूहों के पीने के बाद ही इसकी जानकारी पूलिस को हो पाई की चूहों के द्वारा शराब गटक ली गई।

अब तो निश्चित इन चूहों की प्रतिभा को समझना होगा, क्योंकि इन चूहों की सूझ-बूझ एवं चतुराई पर तो पुन: परिक्षण करना पड़ेगा कि यह चूहे इतनी चतुराई से पूरी शराब को कैसे गटक गये| थानों की पुलिस जो अपने आप को बड़ी तेज तर्रार बताती है और सभी अपराधियों को अपनी पैनी नजरों से तुरंत पहचान लेने का दम भरती है, परंतु वही पुलिस चूहों के सामने हाथ कैसे खड़ा कर देती है। क्या यह चूहे इतने शातिर है कि पुलिस को भी चकमा देने में पूरी तरह से कामयाब हो गए, और पुलिस को कानों कान इस बात की भनक तक नहीं लगी, चूहे अपने मकसद में सम्पूर्ण रूप से कामयाब हो गए|

अपराधियों को बड़ा सबक सिखाने वाली बिहार पुलिस चूहों के सामने बौना रूपी साबित होती हुई दिखाई दे रही है। चूहों ने ऐसा चकमा दिया कि बिहार पुलिस चूहों को सामने चकरगिन्नी हो गई, सबसे बड़ी बात यह है कि चूहों ने बड़ी बुद्धि जीविता का प्रयोग किया किसी किसान के घर पर चूहे नहीं गये, चूहों ने सीधे पुलिस विभाग के थानों में प्रवेश किया क्योंकि यह नई प्रजाति के विशाल शरीर वाले चूहे गांव में प्रवेश करते तो निश्चित हो हल्ला हो जाता और चूहों के शराब पीने की योजना फेल हो जाती क्योंकि नई प्रजाति के चूहों के विशाल शरीर को देखकर पहले तो गांव के कुत्ते ही भौंकने लगते तथा कुत्तों के भौंकने के कारण पूरे गांव को सूचना मिल जाती कि नई प्रजाति के चुहे ग्रांम के अंदर प्रवेश कर रहे हैं, जिनके विशाल शरीर हाथियों के समान हैं, अत: सभी ग्रामीण इन नई प्रजाति के चूहों के खिलाफ लामबन्द हो जाते, और इक्कठे होकर इन चूहों पर बड़ी तीव्रता से घातक हथियारों के साथ पूरी तीव्रता से टूट पड़ते| तब निश्चित इन शराबी चूहों का पुरा खेल खराब हो जाता। इन चूहों की पूरी योजना धरी की धरी रह जाती, पूरे बिहार में हो हल्ला हो जाता। इस लिए शराबी चूहों ने बड़ी बुद्धिजीविता का प्रयोग किया|

इन चूहों ने रात के घोर अंधेरे का फायदा उठाया, योजना बनाई तथा बड़ी चतुराई पूर्वक सभी बिन्दुओं पर गंभीरता पूर्वक विचार किया तथा योजना बद्ध तरीके से इस बड़े कार्य को सफलता पूर्वक अंजाम दिया। क्योंकि यह मामला पुलिस विभाग से संबंधित था, अत: इस संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए बड़ी चतुराई के साथ रात के घोर अंधेरे का फायदा उठाते हुए थानों के पिछले द्वार से प्रवेश किया क्योंकि थाने के मुख्य द्वार पर एक पुलिस वाला पहरा दे रहा था, जो संगीन के साथ पूरी मजबूती से खड़ा हुआ था, इसी कारण चूहों ने पिछले द्वार से प्रवेश की योजना बनाई, जिसके सहारे शराब के भंडार गृह तक योजना बद्ध तरीके से पहुंच गए।

साथ ही इन चूहों ने अलीगढ़ कि किसी ताला फैक्ट्री के बड़े मिस्त्री को अपने साथ ले आये क्योंकि थाने के द्वार पर ताला लगा था, तथा शराब के भण्डर गृह पर भी ताला लगा था, यदि चूहे ताला तोड़ने का प्रयास करते तो निश्चित पुलिस प्रशासन को इसकी भनक लग जाती और शराबी चूहों का नशा पूरा नहीं हो पाता, इसलिए इन चूहों ने अलीगढ़ की किसी ताला फैक्ट्री से अपनी ही बिरादरी का एक विशाल चूहा ताला मास्टर “मिस्त्री” को खोज निकाला, और बिहार प्रदेश कि ओर शराब पीने के उद्देश्य से सभी चूहे एक साथ चल पड़े।

चूहों ने सभी थानों का रोड मैप एवं गोदाम में शराब के भण्डर की पूरी जानकारी का लेखा-जोखा अपने पास पहले से ही जुटा रखा था, उसी आधार पर पूरी योजना बनायी गई थी, इसी लिए यह विशाल प्रजाति के चूहे बड़ी ही सावधानी के साथ रात के घोर अंधेरे में अलीगढ़ के अपने साथी चूहा महाशय जो कि एक सफल ताला मिस्त्री थे उनके साथ प्रत्येक थानों में ताला खोल-खोल कर प्रवेश करना आरंभ कर दिया और शराब को गटकना शुरू कर दिया बाहर बिहार पुलिस शराब की सुरक्षा हेतु संगीनों को लहराकर शराब की रक्षा के पहरा दे रही थी, तथा अन्दर चूहा महाशय शराब का जाम छल्का रहे थे, पुलिस को भनक भी नहीं थी कि अंदर क्या हो रहा है, क्योंकि चूहों ने क्रम बद्ध: तरीके से पूरे बिहार प्रदेश में रात के घोर अंधेरे में खूब घूम-घूम कर देशी एवं विदेशी मूल की शराब का आनंद लिया, एवं अपना नशा बड़े ही इत्मिनान के साथ तसल्ली पूर्वक पूरा किया।

पुलिस के होश तब उड़ गए, जब उन सभी शराबों का पुन: से ब्यौरा मांगा गया। जोकि नितीश सरकार के आदेशों के बाद छापेमारी के दौरान पकड़ी गई थी, तब बिहार कि ईमानदार पुलिस ने शराब के भण्डार गृह में सरकार के आदेशानुसार पूरी ईमानदारी के साथ प्रवेश किया| परन्तु भण्डार गृह कि स्थिति देखकर सभी पुलिस वाले अचंभित रहगए| कि सभी शराब के ड्राम भंडार गृह से गायब हैं, जो ड्राम रखे हुए भी हैं वह पूरी तरीके से खाली हैं, उनमें एक बूंद भी शराब की मात्रा नहीं हैं, तो यह प्रश्न उठा कि शराब कहां गई और क्या हुई तथा इसे किसने गटक लिया, क्योंकि हम सभी पुलिस वाले तो सम्पूर्ण रूप से ईमानदार हैं, हम में से तो कोई भी पुलिस वाला ऐसा कदापि नहीं कर सकता कि इस शराब को हाथ भी लगाए।

अत: पूरा बिहार का पुलिस प्रशासन इस शराब को खोजने की मुहिम में सम्पूर्ण रूप से पूरी तीव्रता की साथ जुट गया, कि शराब का विशाल भंडार, गोदाम में तो रखा गया था| परंतु आज के समय में सभी ड्राम सम्पूर्ण रूप से कैसे खाली हो गए,  इसीलिए पुलिस प्रशासन पूरी ईमानदारी एवं निष्ठा के साथ खोज-बीन में लग गया।

परंतु बिहार पुलिस की प्रशंसा करनी होगी,  कि वह अपराधियों को सीधे तौर पर रात के घोर अँधेरे में भी पहचान लेती है, तथा उनके निश्चित एवं सटीक ठीकानों पर पुलिस कि नजर तुरंत पहुंच जाती है, कि यह करतूत किसकी है, इस कुकृत्य को किसने अंजाम दिया|  क्योंकि बिहार पुलिस अपराधियों की पहचान लगाने में तनिक भी इधर उधर भटकती नहीं है, यह शराब खोज इस बात को स्पष्ट करते हुए साक्ष्य प्रस्तुत करती है|

क्योकि इस शराब के अपराधिकरण में किसी भी बिल्ली का नाम तक नहीं आया, कि हो सकता है बिल्ली ने ही शराब पी हो, नहीं! सीधे-सीधे चूहा नामक अपराधियों का नाम आया जिन्होंने इस शराब पर अपने हाथ साफ किये थे और पूरी शराब को योजना बद्ध तरीके से गटक गए थे।

इसलिए बिहार पुलिस की प्रशांसा करनी पड़ेगी की वह अपराधियों तक सीधे-सीधे अपने विवेक के साथ तीव्रता से पहुंच जाती है, और उनके अपराधों को सम्पूर्ण रूप से उजागर करने में सक्षम है अत: बिहार पुलिस का यह एक बड़ा खुलासा है इसके लिए निश्चित सराहना करनी चाहिए, एवं इस खुलासे के लिए सम्पूर्ण बिहार पुलिस को सरकार के द्वारा सम्मान प्रदान करना चाहिए।

 

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