कदम-कदम पर जंतर-मंतर और टोटके

commn manसुरेश नीरव

अंधविश्वास में अपना बड़ा ही हाईक्वालिटी का विश्वास है। क्योंकि अपनी नज़र में अंधविश्वास ही ऑरीजनल विश्वास है। बाकी सब बकवास है। मैं गर्व से कहता हूं कि मैं अंधविश्वास का अंध-समर्थक हूं। क्योंकि समर्थक ही अंधा हो सकता है। आपने क्या कभी कहीं कोई अंध-विरोधी देखा है। होता ही नहीं तो देखेंगे कैसे? जो सिरफिरे अंधविश्वास की ताकत नहीं जानते वही इसका विरोध करते हैं। अरे यह अंधविश्वास ही तो है जो पत्थर में भगवान फूंक देता है। और जो पूरे आन-बान-शान से झट से उछलकर नई नवेली आलीशान अट्टालिकाओं पर काली हंडिया के रूप में बाइज्जत नागरिकता पाता है,सैंकड़ों बंदनवारों की जमानत जब्त कराके खुद दरवाजे पर हरीमिर्च और नीबू की माला बनकर लहराता है। इस लोकतांत्रिक तांत्रिक की अंधविश्वास की झोली में अपने भक्तों को देने के लिए तरह-तरह की डिजायन के सेंकड़ों टोटके हैं। शाइनिंग टोटके, वाइब्रेंट टोटके, सांप्रदायिक टोटके,सेक्युलर टोटके, वास्तु टोटके, फेंगशुई टोटके, पुरस्कार हथियानेवाले अकादमिक टोटके, खोई हुई जवानी दुबारा हासिल करनेवाले दिलचस्प टोटके,चैनलों की टीआरपी बढ़ानेवाले टोटके, क्रिकेट में जीत हासिल करनेवाले धोनी ब्रांड मुर्ग- टोटके, मंहगाई से तिलमिलाते कर्मचारियों के लिए मंहगाई भत्ते-जैसे शर्तिया फायदेमंद टोटके। और इन टोटकों को फुस्स करनेवाले महामारक-टोटके। तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं से जो मुराद पूरी न हो तो कतई न घबड़ाएं फटाफट आप किसी टोटके की फौरी मदद लेकर ज़िंदगी में सफलता पाएं। बस एक बार पूरे अंधविश्वास के साथ इन अचूक टोटकों को आजमाएं। मैं भाग्यशाली हूं कि मेरा तो घर ही टोटका-प्रोन एरिया में आता है। दुर्दांत टोटकेबाजों का अंडरवर्ड है मेरा शहर। छत्तीसगढ़ के जंगलों में जैसे जगह-जगह बारूदी सुरंगे बिछी रहती हैं वैसे ही मेरे शहर में कदम-कदम पर जंतर-मंतर और टोटके बिछे रहते हैं। पता नहीं कब आप किस टोटके की चपेट में आ जाएं। सावधानी हटी की दुर्घना घटी। हमारे शहर में किसी को मारने के लिए किसी को सुपारी नहीं दी जाती। मारन, संहारन, कीलन, उच्चाटन, वशीकऱण-जैसे टोटकों से लैस इच्छाधारी, किलर तांत्रिक जो मांगोगे, वही मिलेगा की कल्याणकारी भावनाओं से ओतप्रोत हर जगह, हर समय आपकी सेवा में सदैव तत्पर रहते हैं। ये टोटका-डॉन ऐसी बारीकी से आदमी को मारते हैं कि मरनेवाले आदमी को भी नहीं पता चलता की वह मर चुका है। एक बार ऐसा ही भेजाभंजक हादसा हुआ- एक आदमी ने राहगीर को पकड़कर पूछा- देखना भैया कहीं मैं मर तो नहीं गया? तो रहगीर ने तिलस्मी आवाज़ में कहा-मुझे क्या मालुम मैं तो खुद आज से 66 साल पहले मर चुका हूं। मेरा नाम आम आदमी है। मैं मर चुका हूं पर टोटकेबाज कहते हैं कि यह तुम्हारा अंधविश्वास है। तुम बाकायदा जिंदा हो। वे मुगले आजम की तर्ज पर कहते हैं- ऐ आम आदमी…। दौरे सियासत तुम्हें जीने नहीं देगा और हम तुम्हें मरने नहीं देंगे। क्योंकि बाकी तो निबटा चुके मगर अभी हमें भी देश का कर्ज़ चुकाना है। तुम हमारी कामयाबी के टोटके हो। और सुनो आम आदमी कि हमेशा आदमी मरता है टोटके कभी नहीं मरते। वे तो शाश्वत हैं-सनातन हैं। नित नूतन हैं चिर पुरातन हैं।

 

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