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ढहता आंदोलन, बदलते चरित्र - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-आशीष कुमार 'अंशु' कल्पना कीजिए आप एक खास वैचारिक आंदोलन से प्रेरित संगोष्ठी में हिस्सा लेने जाते हैं। जहां यह गोष्ठी तय है, वह मई की चिलचिलाती गर्मी में दिसम्बर बना हुआ है। बाहर और अंदर के तापमान में जमीन आसमान का अंतर है। इसी कार्यक्रम में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी…