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मुझे भी गालियाँ पड़ती हैं, पर मै आपकी तरह सार्वजनिक रुदन नहीं करता, रवीश कुमार! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मेरी ही तरह और भी तमाम लेखक मित्रों को ये सब सुनना पड़ता होगा, लेकिन उन्हें भी कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन ऐसी ही प्रतिक्रियाओं से रवीश का जीना मुश्किल हो गया है, तो इसका क्या मतलब समझा जाय ? या तो ये कि उनकी निर्भीकता की सब बातें हवाई…