मोदी टीम में मजबूत हुए मुरार के “मुन्ना भैया”

विवेक कुमार पाठक
मुरार ग्वालियर महानगर का तीसरा उपनगर है। ग्रामीण जनजीवन से प्रभावित मुरार सिंधिया स्टेट के पैलेस वाले उपनगर लश्कर जैसा दशकों रौबदार नहीं रहा मगर मुरार में अब सब कुछ पहले जैसा नहीं है। मुरार विकसित हो रहा है तो यहां की प्रतिभाएं भी बड़े बड़े मेट्रो शहरों में नाम कर रही हैं। मुरार की सामान्य बस्ती से निकले मुन्ना भैया ने देश में उपनगर मुरार का नाम रोशन किया है। नरेन्द्र सिंह तोमर की राजनैतिक प्रोफाइल में मुरार का जिक्र अवश्य आता है। ग्वालियर से बीती लोकसभा से सांसद रहे नरेन्द्र सिंह तोमर भले ही इस लोकसभा में मुरैना से सांसद निर्वाचित हुए हों मगर ग्वालियर उनकी शुरुआती राजनैतिक जमीन रही है यहां छात्र राजनीति से अपना राजनैतिक सफर शुरु कर वे पार्षद विधायक से लेकर लोकसभा तक पहुंच चुके हैं। 2019 चुनाव में प्रचंड जनादेश के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने उन पर फिर भरोसा जताया है और उनके कद में इजाफा करते हुए उन्हें केन्द्रीय कैबीनेट मंत्री बनाकर कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास मंत्रालय एवं स्वच्छता के महत्वपूर्ण तीन विभाग सौंपे हैं। तोमर की यह उपलब्धि मुरार ग्वालियर, मुरैना से लेकर समूचे मध्यप्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है।
दो बार के केन्दीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को यह उपनाम मप्र के बुलडोजर मंत्री रहे बाबूलाल गौर से मिला था मगर लंबी राजनैतिक यात्रा के बाद मुन्ना भैया अब केवल मुरार वाले मुन्ना भैया नहीं रहे। वे केन्द्रीय कैबीनेट में सांतवे नंबर पर दर्ज होकर प्रदेश ही नहीं देश भर में चर्चा में आए हैं। वे अपने 62 साल के राजनैतिक जीवन में देश के मुन्ना भैया मतलब नरेन्द्र सिंह तोमर बन चुके हैं।

मुरार के मुन्ना भैया से आज के दूरदर्शी राजनीतिज्ञ नरेन्द्र सिंह तोमर का राजनीति में सफर कोई भाग्य भरोसे नहीं हुआ है। 
ग्वालियर के सांसद नरेन्द्र सिंह तोमर ने अगर मोदी कैबीनेट में अपनी धाक जमाई है तो ये उनकी राजनैतिक काबीलियत और हुनर है।

मोदी कैबीनेट में अपनी प्रतिभा से जगह पाने के लिए विश्व की सबसे बड़ी पार्टी में करोड़ों कार्यकर्ता सपने देखते होंगे। उन सपनों में से लाखों कार्यकर्ता उस राह पर दशकों से चल भी रहे होंगे।
लाखों में हजारों पर वो बुद्धि कौशल, राजनैतिक समझ, दूरदर्शिता होगी जो बड़ी जिम्मेदारियों के लिए आवश्यक है मगर हजारों भाजपा नेताओं में से केन्द्रीय सरकार में करीब 50 लोग ही क्यों सत्ता शिरोमणि हैं। जवाब सीधा है। वहां 50 अव्वल प्रतिभाओं को अपने हजारों प्रतिभावानों में से प्रधानमंत्री राजकाज चलाने के लिए चुनता है। प्रधानमंत्री का ये निर्णय पार्टी की जरुरत से लेकर सत्ता के विभिन्न कोणों और समीकरणों को साधते हुए आकार लेता है।

तंवरघार के औरेठी गांव में जन्मे नरेन्द्र सिंह तोमर आज अगर केन्द्रीय कैबीनेट में बड़े ओहदे पर हैं तो ये उनकी वही काबिलित है। वे प्रधानमंत्री, दल सदर से लेकर भाजपा के समस्त सत्ता शिरोमणियों की स्वीकार्यता के बाद ही मोदी के सिपहसलार हैं।
मेरे शहर के निवासी एवं यहां के सांसद रहे तोमर अगर देश के चुने हुए 545 सांसदों में से लगभग 40 कबीना मंत्रियों में शामिल हैं तो मैं इस पर फर्क महसूस करता हूं। अब उनके वर्तमान संसदीय क्षेत्र मुरैना, 2014 के संसदीय क्षेत्र ग्वालियर से लेकर समूचे ग्वालियर चंबल व मध्यप्रदेश के लिए नरेन्द्र सिंह तोमर का केन्द्रीय मंत्रीमंडल में अहम जिम्मेदारी में होना गौरव की बात है।
ग्रामीण क्षेत्र से निकलकर पहले प्रदेश और फिर देश की राजनीति में अहम जगह पाना आसान नहीं होता है। राजनीति में तरक्की की दिशा बांध से निकली नहर जैसी सीधी सीधी नहीं होती वह तो उल्टे किसी नदी के मार्ग की तरह ही तमाम घुमाव, उतार चड़ाव से लेकर तरह तरह की प्राकृतिक चुनौतियों से भरपूर होती है।
एक ही दिशा में बिना भटकाव के निरंतर काम करते रहने की काबिलियत भगवान ने सबको नहीं दी है।
नरेन्द्र सिंह तोमर अगर आज अपने समकालीन भाजपा नेताओं को काफी पीछे छोड़ चुके हैं तो ये कोई भाग्य और राजनैतिक विरासत से मिला तोहफा नहीं है।
तोमर ने अपने राजनैतिक कौशल का कार्यकर्ता से लेकर प्रदेशाध्यक्ष और राष्ट्रीय महासचिव तक, छात्र राजनीति से लेकर प्रदेश राजनीति तक, पार्षद से सांसद तक हर बार उम्दा प्रदर्शन किया है।
मुरार की सामान्य बस्ती का निकला एक युवा नेता अगर तीस सालों के बाद केन्द्र में कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री है तो ये उसकी निरंतरता और पार्टी में परिश्रम का भी पर्याय है।

तोमर ग्वालियर विधानसभा से दो बार विधानसभा पहुंचे चुके हैं। वे दिग्विजय सिंह के समक्ष विपक्ष और उमा भारती, बाबूलाल गौर, शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में सत्ता पक्ष के सदस्य रहे हैं।
उमा भारती सरकार में जनसंपर्क मंत्री से लेकर ग्रामीण विकास मंत्री रहे नरेन्द्र सिंह तोमर पार्टी के विश्वासपात्र रहे ये उनका सकारात्मक पक्ष रहा है।
उमा भारती के मुख्यमंत्री कार्यकाल में भी तोमर मुख्यमंत्री के नजदीकी रहे मगर तब भी पार्टी की रणनीति और कदमों की आहट को वे पहले पहचानते रहे।
उनके समकालीन अनूप मिश्रा भी उमा भारती के मुख्यमंत्री काल में किचिन कैबीनेट में रहे मगर राजनैतिक दूरदर्शिता में वे तोमर से पीछे होते चले गए।
नरेन्द्र सिंह तोमर सधे हुए कदम रखने वाले कुशल नेता हैं। वे कम बोलते हैं जो राजनीति में उनकी अपनी शैली है। आए दिन जल्दबाज बयान देकर मीडिया में सफाई देने की राजनैतिक समस्याओं से वे निरंतर दूरी बनाए हुए हैं।
अपने राजनैतिक जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से लेकर संगठन में सालों तक निरंतर परिश्रम ने उन्हें तपाया है।
उनके अनुभव पर भाजपा को भी कम विश्वास नहीं है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी विद्यार्थी परिषद के जमाने वाले मुन्ना भैया की काबीलियत पर खुद जितना ही पक्का भरोसा है।
सूबे में अगर भाजपा की सरकार पंद्रह साल तक सत्ता में रह सकी तो इसमें भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के रुप में तोमर के कार्यकाल को भुलाया नहीं जा सकता।
मुख्यमंत्री के उन पर अटूट विश्वास को भी नहीं भुलाया जा सकता। शिवराज अपने कार्यकाल में भाजपा को दो बड़ी जीतें तब दिला सकें जब उन्होंने पार्टी की तैयारी का जिम्मा तोमर को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर सौंप दिया था। ये संयोग की बात रही कि 2018 विधानसभा चुनाव में जब भाजपा सत्ता से सिर्फ 7 कदम दूर रही तब नरेन्द्र सिंह तोमर मध्यप्रदेश भाजपा के मुखिया नहीं थे। निश्चित ही शिवराज सिंह चौहान और मध्यप्रदेश प्रदेश भाजपा विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व की कमी आज विपक्ष में आने के बाद समय समय पर महसूस करती होगी।
विद्यार्थी परिषद के समय की यह राजनैतिक जोड़ी मप्र भाजपा की मौजूदा सफल और सशक्त जोड़ी है। तोमर अपनी राजनैतिक सफलताओं के कारण ही 2014 में केन्द्र की मोदी सरकार की पसंद बने। शपथ लेते ही पहले खान, इस्पात, ग्रामीण विकास व स्वच्छता एवं अंत में संसदीय मामलों के मंत्री के रुप में नरेन्द्र सिंह तोमर का कामकाज पीएम नरेन्द्र मोदी ने बेहतर पाया है तभी उन पर अपना दुगुना भरोसा जताते हुए उन्हें 2019 में कृषि एवं किसान कल्याण जैसा विभाग अतिक्ति रुप से दिया है। वे अब कृषि के अलावा केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं स्वच्छता मंत्री की दोहरी जिम्मेदारी नयी सरकार में निभाने जा रहे हैं।
निसंदेह नई जिम्मेदारियों को आगे बढ़कर स्वीकारने ने उनकी राजनैतिक उपलब्धियों में विस्तार किया है। हाल ही में भाजपा की ऐतिहासिक जीत पर संसद में पीएम मोदी की उपस्थिति में भाजपा एवं एनडीएम संसदीय दल की बैठक का संचालन नरेन्द्र सिंह तोमर ने ही किया।
पार्षद से शुरुआत कर विधायक, प्रदेशाध्यक्ष, राष्ट्रीय महासचिव के बाद तोमर ने सांसद का चुनाव स्वीकार किया।
वे पहले मुरैना फिर ग्वालियर और अब दुबारा फिर मुरैना से सांसद बने हैं। अनुभव और परिश्रम सबको निखारता है।
मुरार के मुन्ना भैया ने भाजपा कार्यकर्ता से लेकर भाजपा सरकार के केन्द्रीय मंत्री तक निरंतर परिश्रम किया है।
उन्हें पार्टी और निर्वाचित पदों ने लगातार चुनौतियां और मुश्किलें दी होंगी मगर इन्हीं की बदौलत उनके अनुभव व राजनैतिक कौशल का विस्तार हुआ है। वे मोदी सरकार में प्रभावशाली कैबीनेट मंत्री होकर नई दिल्ली में मुरैना ग्वालियर ही नहीं मप्र की सशक्त आवाज हैं।
ग्वालियर चंबल अंचल का जरुरतमंद हक के साथ इलाज कराने दिल्ली निकल पड़ता है। उसे कहीं न कहीं दिल्ली में बैठे अपने सांसद के कैबीनेट मंत्री होने पर फक्र है।
तोमर ने अपने कृष्णमेनन मार्ग वाले आवास पर स्थानीय लोगों को इलाज आदि के लिए रहने का इंतजाम करके रखा है तो इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं।
गरीब और बीमार दिल्ली की महंगाई में अगर उनके सरकारी आवास पर मुश्किल में शरण पाते हैं तो बहुत अच्छी बात है। हर विधायक और सांसद को भोपाल और दिल्ली में अपने क्षेत्रीय जरुरतमंद के लिए रात गुजारने का इंतजाम करना ही चाहिए।
कबीना मंत्री पद पर अपने चार साल के कार्यकाल में तोमर ने ग्वालियर को मोदी सरकार के खाते से काफी कुछ दिलाया था। शहर में पड़ाव, विवेकानंद नीड्म सहित कई ओबरब्रिज बने और बन रहे हैं तो झांसी और शिवपुरी लिंक रोड सालों बाद हाइवे के रुप में आए। टेकनपुर में देश के सशस्त्र बलों के डीजीपी का राष्ट्रीय कार्यक्रम तोमर के प्रयासों का नतीजा रहा। इस साल जम्मू और हैदराबाद के लिए ग्वालियर से नियमित उड़ान तोमर के प्रयासों का नतीजा है। उन्होंने अपने प्रभाव से तीसरे चरण में ग्वालियर को स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल कराया।
इसके अलावा ग्वालियर में केन्द्रीय मंत्रियों की ग्वालियर में आवाजाही और उनसे मिली सौगातों में मुरार के मुन्ना भैया के योगदान को सहज समझा और देखा जा सकता है। लोकतंत्र जनता की अपेक्षाओं और उनको पूरा करने का जरिया भी है। बीमारु के तमगे का शिकार रहा मप्र सहित ग्वालियर चंबल अंचल की तमाम विकास जरुरतें हैं।
ग्वालियर के लाखों शहरी और ग्रामीण अब भी केन्द्र और प्रदेश सरकार से बहुत कुछ विकास और बदलाव चाहते हैं।
आज आवश्यकता है कि लोकतंत्र में ये जिम्मा पाए हमारे सांसद और विधायक इन अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को मनए वचन और आत्मा से समझने और पूरा करने की कोशिश करें। केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को केन्द्र सरकार में अहम जिम्मेदारी मिलने पर एक आम नागरिक के रुप में बधाई। हर कोई जाएगा कि उनकी बुद्धि, उनका कौशल, उनकी दूरदर्शिता अंचल और मध्यप्रदेश को प्रगति पथ पर ले जाने में कामयाब हो। इससे अच्छा हम सबके लिए क्या हो सकता है।

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