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मूर्तिपूजा और सत्यार्थप्रकाश : काशी शास्त्रार्थ के 150 वर्ष पूर्ण होने पर - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द को सत्यार्थप्रकाश लिखने की आवश्यकता इस लिये पड़ी थी कि उनके समय में वेद एवं वैदिक शिक्षाओं का लोप हो चुका था और यदि कहीं कुछ बचा हुआ था तो वह भी लुप्त होता जा रहा था। वैदिक धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के साथ…