कारोबार के लिए भगवान कृष्ण का मजाक बनाता मिंत्रा विज्ञापन

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जिन योगेश्वर कृष्ण को हम हिन्दु अपना पालक उपदेशक और परम गुरु मानते हैं। जो गीता का उपदेश देकर समस्त मानव जगत में श्रद्धाभाव से पूजे जाते हैं। जिन्हें इस्कॉन के मंच से पश्चिमी समाज हरे कृष्णा हरे रामा का महामंत्र गाकर बारंबार आनंदपूर्वक याद करता है उन्हें मिंत्रा नाम की कपड़ों की ऑनलाइन कंपनी ने मजाक बना दिया है। कंपनी अपने एक विज्ञापन में दिखा रही है कि जब द्रोपदी चीर हरण के समय अपनी लाज बचाने के लिए चीत्कार कर रही है। उस वक्त कृष्ण मिंत्रा पर द्रोपदी के लिए शरीर ढकने कपड़े तलाश रहे हैं।
मित्रों क्या ये हमारे परम देवता और एक हिन्दू कथा का वीभत्स मजाक बना देना नहीं है। क्या किसी महिला के प्रति होते अपराध का अपने धंधे और व्यापार के विस्तार के लिए मजाक बनाना सही है। क्या भारत में बहुसंख्यक हिन्दू आबादी की भावनाओं और संवेदनाओं का कोई मोल नहीं है।
मित्रों यह विज्ञापन कुछ समय पूर्व का है मगर इन दिनों सोशल मीडिया पर फिर से बहस का बिन्दु बन गया है। ध्यान से देखिए किस कदर हमारे प्रतीकों के साथ इस एड में खिलवाड़ किया जा रहा है। क्या हमारे योगेश्वर श्रीकृष्ण इतने असमर्थ हो गए हैं कि अपनी बहन द्रोपदी की लाज बचाने के लिए उन्हें मिंत्रा वीयर का सहारा लेना पड़ रहा है। क्या श्रीकृष्ण अपनी अद्वितीय शक्तियों एवं कलाओं से क्षीण हो गए हैं। क्या द्रोपदी और उन जैसी पीड़ित बहनों को अब श्रीकृष्ण नहीं बल्कि मिंत्रा जैसी बाजारु ताकतों के चमत्मकार के भरोसे रहना चाहिए।
मित्रों दरअसल ये भद्दा मजाक हिन्दू प्रतीकों के साथ निरंतर हो रहा है। हम सहनशील हैं, सहिष्णु हैं। माफ करते हैं क्षमा करते हैं और आगे बढ़ते जाते हैं। हमारी इस क्षमाशीलता और सरल सहज स्वभाव के कारण हमारी भावनाओं और संवेदनाओं के साथ निरंतर खिलवाड़ किया जा रहा है।

जरा याद कीजिए कुछ समय पहले आई एक फिल्म के जरिए सलमान ने अपने फलॉप जीजा को कैसे चर्चा में लाने की कोशिश की। फिल्म का नाम लवरात्रि रखा गया और इसमें नवरात्रि के गरबा पंडाल को प्रेमालय की तरह चित्रित किया गया। क्या यह फिल्म देवी उपासना के पावन पर्व नवरात्रि का मजाक नहीं बना रही थी। क्या हमारे गरबा पंडाल मातारानी की आराधना की बजाय सिर्फ प्रेमलीलाओं के लिए तैयार किए जाते हैं। क्या नवरात्रि सिर्फ इसी प्रेमालाप का उत्सव होता है। नहंी कभी नहीं मगर अपनी फिल्मों को हिट कराने के लिए सलमान खान सरीखे किसी भी स्तर तक नीचे गिरने को तैयार हैं। वे हिन्दू प्रतीकों का मखौल उड़ाकर विरोध का वातावरण तैयार कर चर्चा में रहना जानते हैं। उन्हें पता है कि विवाद कितना घटिया विषय पर ही क्यों न हो मगर लोग उसे जानना चाहते हैं, उसकी पड़ताल करते हैं। सलमान ने इसी चालाकी के कारण लोगों को इस फिल्म से अपने जीजा आयुष जैन का नाम याद करा दिया था।
और बहुत पीछे क्यों जाते हैं अक्षय कुमार सरीखे राष्ट्रवादी विचार से प्रेरित अभिनेता भी माता लक्ष्मी को लक्ष्मी बम बनाने वाली फिल्म को छोड़ नहीं पाते। क्या हमारे प्रतीकों के प्रति उनकी कोई संवेदना नहंी है।
कुछ साल पहले आमिर खान और राजू हीरानी ने तो बकायदा अभियान चलाकर देश के करोड़ों मूर्तिपूजकों को बकायदा भद्दा मजाक बनाया था। यह फिल्म हिन्दू देवी देवताओं के खिलाफ अब तक की सबसे कटुतापूर्ण फिल्म थी। यह फिल्म हमारे भोलेनाथ शिवशंकर को असहाय बताकर छतों पर भागता हुआ दिखा रही थी तो समूचे हिन्दू समाज को ढोंगी बाबाओं का गुलाम बता रही थी। फिल्म की मानें तो जो हिन्दू समाज मुस्लिम से शादी की अनुमति नहीं देता वो सबसे बड़ा भ्रष्ट समाज है। फिल्म मेें पल पल मंदिर, मूर्तियों और हमारे प्रतीकों व आस्था पर चोट की गई थी।
मित्रों यह सिलसिला बहुत लंबा है और लगातार चलता चला जा रहा है। इस देश में पैगंबर मुहम्मद का एक कार्टून मात्र बना देने पर संपादक आलोक तोमर को तिहाड़ भेज दिया जाता है मगर सरस्वती मां और हिन्दू देवियों के नग्न चित्र बनाने वाले एम एफ हुसैन को अलंकरण से विभूषित किया जाता है। यह दोहरा मापदण्ड हिन्दुत्व के खिलाफ बड़ा षडयंत्र है। आपकी मान्यताओं पर हिंसा है इसलिए मंत्रा जैसे विज्ञापन और पीेके जैसी फिल्मों का बहिष्कार करते हुए कड़ा विरोध और बॉयकॉट कीजिए।

1 COMMENT

  1. मुकेश बंसल द्वारा स्थापित मिंत्रा के पाच वर्ष से अधिक पुराने विज्ञापन को लेकर लेखक हमें क्या क्या याद करने को कहते हैं और क्यों कहते हैं? युगपुरुष मोदी के नेतृत्व के अंतर्गत आज के राजनैतिक वातावरण में हिंदुत्व के आचरण का पालन करते हमें सांप्रदायिक सद्भावना व परस्पर भाईचारे से नागरिक- व राष्ट्र-विकास रुपी रथ को आगे बढाना है न कि भेद-भाव की “कांग्रेसी संस्कृति” को दोहराना है|

    मैं लेखक से पूछूँगा कि क्या उन्होंने नाज़ पटेल की तरह मिंत्रा के विरुद्ध कोई पुलिस कार्यवाही के लिए रपट लिखवाई है? हमारी संस्कृति व भावनाओं के उल्लंघन करती मिंत्रा का बहिष्कार करने से पहले कानूनी हस्तक्षेप भी आवश्यक है|

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