उत्सव बड़े जनादेश का

-फख़रे आलम-

नई दिल्ली स्थित भारत के प्रशासनिक खण्ड पर बड़े उत्सव का माहौल है। जश्न की तैयारियां और सरकार के शपथग्रहण समारोह का बड़े ही बेसबरी से लोग प्रतिक्षा कर रहे हैं। यह भव्य समारोह है। सब से बड़े जनादेश का। लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं नरेन्द्र मोदी और उनके मंत्रीमंडल के शपथ लेने का। सार्क देशों के के शासनाध्यक्षों और प्रतिनिधियों के आगमन के मध्य पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का समारोह को शामिल होना प्रमुख खबरों में है। कैदियों की रिहाई। समहयारी और कुटुम्ब रिश्तों को निभाने का बड़ा अच्छा कार्यक्रम है। कहीं हमारी आशायें और अपेक्षायें यूं धरी की धरी न रह जायें। स्वागत सत्कार और विदेशियों खासकर अपने पड़ोसी और गठबंधन के देशों के साथ निर्वाह कोई बुरी बात नहीं। मगर इतिहास बार-बार आप को सचेत करता है। इतिहास पढ़ने और पढ़ाने का उद्देश्य ही पिछली घटनाओं को नजर में रखना है। कदम आगे बढ़ाते समय कन्धर, कारगिल और लाहौर सत्कार को नहीं भूलना होगा।

हां मगर आज जो कुछ राष्ट्रपति कार्यालय की देखरेख में, नॉर्थ ब्लाक और साउथ ब्लॉक के प्रान्गण में सम्पन्न हो रहा है। वह बड़े जनादेश के बाद की सबसे बड़ी खुशी है। जिसे देश ओर दुनिया को देखना और दिखाना चाहिए। इस समारोह को न केवल भारत देखेगी ओर याद भी रखेगी बल्कि विश्व के करीब सौ से अधिक देशों में इस भव्य कार्यालय का प्रसारण भी देखेगा। यह समारोह वैसा सूर्य की किरण की भांति होगा जो पूरे दिन का पता देती है। उसी प्रकार यह समारोह पांच वर्षों के कार्यकाल और उसके रूप देखा का पता देगी। देश और देश से बाहर इसी समाराह के माध्यम से संदेश जायेगा। यह हमारे पांच वर्षों के भविष्य का कास्टिंग होगा।

भव्य जश्न मनाया जाना चाहिए। विकास और प्रगति की ज्योत जला कर। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करके। समाज में शान्ति स्थापित करके। समाज के सभी वर्गों को विकास के पथ पर लाकर देश और राष्ट्र का आत्म सम्मान वापस लाकर। देश को विकास और शिखा का गुरू बनाकर। काशी, नालंदा और विक्रमशिला की गरिमा वापस लाकर। एक समृद्ध और खुशहाल भारत के लिये पहल होनी चाहिए, जिसका प्रत्येक राज्य और प्रत्येक प्रान्त, आत्मनिर्भर और विकास करता है। प्रदेश से पलायन रुके। विकास और समृद्धि की गंगा बहे। भय का अंत हो। बेरोजगार के लिए नौकरी ही नहीं अवसर मिलते रहे। शिक्षा और स्वास्थ्य सरकार की जिम्मेवारी बने। हर घर को पानी और बिजली मिले ओर उनके मार्ग को शहरों से जोड़ा जाये। रसोई में चूल्हा जलाने के लिए पर्याप्त गैस हो। कम से कम दिन प्रतिदिन बढ़ते मूल्यों से छुटकारा प्राप्त हो। देश का सभी नागरिक और नौकरी पेशावर आशा में जीवन जिये, अब निराशा के दिन खत्म होनी चाहिए क्योंकि अच्छे दिन आज से आ गये हैं।

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