नारी तू है एक ,पर तेरे रूप है अनेक

0
541

–आर के रस्तोगी

नारी तू है एक,पर तेरे नाम है अनेक \
विद्या की दायनी सरस्वती कहलाती
तू धन की दायनी लक्ष्मी भी कहलाती
mनारी तू है एक,पर तेरे नाम है अनेक

जब तू सुबह सुबह आती उषा कहलातीrr
जब तू शाम को जाती संध्या है बन जाती
कैसे तू दोनों टाइम बन जाती है एक
नारी तू है एक,पर तेरे नाम है अनेक

जब दिन रात का मिलन हो तू संध्या बन जाती
संध्या के बाद तू एक दम निशा भी बन जाती
इस रात्रि में निंद्रा लेकर तू स्वपन लेती अनेक
नारी तू है एक,पर तेरे नाम है अनेक

नारी तू वंदना व पूजा भी कहलाती
दीप जला कर तू दीप्ति भी बन जाती
कैसे तू दीप की ज्योति बन जाती एक
नारी तू है एक,पर तेरे नाम है अनेक

तू ही माँ की ममता भी बन जाती
क्रोध आने पर तू क्षमा बन जाती
क्षमा याचना मांगते है तुझसे अनेक
नारी तू है एक पर तेरे नाम है अनेक

जया व पराजय भी तू कहलाती
कभी कभी भावना भी बन जाती
भावना में बह कर लिखते हैअनेक
नारी तू है एक पर नाम है तेरे अनेक

माया ममता महबूबा भी बन जाती
राजनीति के रंग में भी तू रंग जाती
बड़े बड़े नेता भी तेरे आगे माथा देते है टेक
नारी तू है एक पर नाम है तेरे अनेक

Previous articleआचार संहिता : सावधानी एवं जवाबदारी
Next articleपुलिस की हफ्ता वसूली और लोकतंत्र
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here