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नजर झुकाये बेटियाँ - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
कभी बने है छाँव तो, कभी बने हैं धूप !सौरभ जीती बेटियाँ, जाने कितने रूप !! जीती है सब बेटियाँ, कुछ ऐसे अनुबंध !दर्दों में निभते जहां, प्यार भरे संबंध !!रही बढाती मायके, बाबुल का सम्मान !रखती हरदम बेटियाँ, लाज शर्म का ध्यान !!दुनिया सारी छोड़कर, दे साजन का साथ…